योग के नाम पर आजकल केवल कुछ आसनों का अभ्यास कराया जाता है लेकिन इन आंसुओं को योग कहना भी अज्ञानता की तरह है योग अभ्यास में दो क्रियाएं साथ साथ चलती है आसन और ध्यान इन दोनों में से किसी एक का भी आभाव हो तो कोई थाई शारीरिक स्वास्थ्य लाभ नहीं होता मानसिक लाभ भी संपूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता।
योग पर निबंध |
योग क्या है -
योग का मतलब होता है जोड़ना लेकिन योग अभ्यास में कौन किस से जुड़ा जाता है यह आजकल के अधिकांश लोग या इंस्टिट्यूट भी बताने में असमर्थ हैं कारण केवल एक है। कि उन्हें इस विषय में संपूर्ण ज्ञान नहीं होता वह आसनों को योग समझते हैं और अभ्यास केवल जाया के रूप में करवाते हैं।योग में किसको जोड़ा जाता किस से किस को जोड़ा जाता है यह जानने के लिए हमें प्राचीन विषयों के विज्ञान को समझना होगा वे जीवित और निर्जीव दोनों मैं एक ही चेतना तत्वों की उपस्थिति मानते हैं यह चेतना सकते हो इस संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है और निरंतर इसका प्रवाह हो रहा है।
योगाभ्यास में मनुष्य स्वयं की सुध बुध यानी की चेतना को ब्रह्मांड की चेतना से जोड़ता है इससे उसकी शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
एक उदाहरण के द्वारा समझी समझिए मान लो समुद्र में एक घड़ा दे रहा हो और उसमें आधा पानी भरा हो तो कार्य का पानी अलावा समुद्र का पानी अलग होगा हलचल का प्रभाव पड़ेगा लेकिन उस पानी पर नहीं।
अब यदि घड़े को समुद्र में डुबो दिया जाए तो घड़े का पानी समुद्र के पानी से मिल जाएगा तब उस पानी में हुई हलचल का प्रभाव समुद्र के पानी पर पड़ेगा और समुद्र की हलचल का प्रभाव भरे के पानी पर पड़ेगा इस जगत में जीव और ब्रह्म आने की स्थिति यही है जी को घर आ उसकी चेतना का पानी ब्रह्मांड को समुद्र और उसकी चेतना को संबोधित जल राशि मान लीजिए जाए तो योग की सारी प्रक्रियाओं का उद्देश्य उपयुक्त उदाहरण के जैसा होगा।
योगाभ्यास के लिए आवश्यक तत्व और आसन -
योगाभ्यास की प्रक्रिया मैं मनुष्य के शरीर कास्वस्थ और चुस्त रहना जरूरी है। स्वस्थता शरीर के अंदर और बाहर दोनों में होनी चाहिए इसके लिए गुरु सबसे पहले साधक को शरीर के विभिन्न अंगों की सफाई एवं उनके व्यायाम की प्रक्रिया बताता है। जिस तरह हम प्रतिदिन शौच जाते हैं दांत साफ करते हैं या स्नान करते है। उसी प्रकार योगाभ्यास के मध्य निरंतर इन आसनों को किया जाता है ऐसा करने से योगाभ्यास में सफलता होती है एवं इसके बाद कठिन आसनों को करने का अभ्यास शुरू किया जाता है।
आसन के लाभ -
केबल आसनों का अभ्यास करने से भी लाभ होता है लेकिन यह नाम हमेशा के लिए नहीं बल्कि अधूरा होता है आसनों के अभ्यास से शरीर का व्यायाम होता है। इससे दिमाग और आत्मशक्ति कोई बात नहीं पहुंचता। शरीर के व्यायाम के रूप में भी इसका फायदा अधूरा होता है यह सही है जिसे कोई व्यक्ति अपने घर की गंदगी हर रोज साफ करता है लेकिन गंदगी वाली जगह को कभी खत्म करने की कोशिश नहीं करता।शरीर में विषैले तत्व के निर्माण का मुख्य कारण हमारा दिमाग की होता है इस से शरीर स्वाभाविक रूप से स्वस्थ और तंदुरुस्त रहता है। कांति, उल्लास, यौन अवस्था, और उम्र में अविश्वसनीय लाभ मिलता है और इनका विकास होता है।
ध्यान -
हम अपने दिमाग को एकाग्र करके किसी भी काम में एक चांस और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह बात तो किसी से भी छुपी नहीं है एकाग्रता के साथ किया गया कोई भी काम असफल नहीं होता फिर चाहे वह पढ़ाई हो या किसी तरह का शोध। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक काम करो रहने की हमेशा आवश्यकता होती है।लेकिन योग की कविता अलग तरह की होती है। सांसारिक जीवन में मनुष्य कैसे व्यक्ति विशेष या वस्तु पर एकाग्र चित्त होता है तो यह कविता पूर्ण प्रकार की नहीं होती उस समय भी उसके मस्तिष्क में दूसरे खयाल चलते रहते हैं।
योग में इस प्रकार की एकाग्रता का कोई महत्व नहीं है। इसमें इस प्रकार की एकाग्रता की आवश्यकता है कि आपका मन आंखें भावनाएं सभी मन एकाग्र की गई वस्तु पर स्थिर होनी चाहिए। उस वक्त आपके लिए उस वस्तु के अलावा दुनिया में और कुछ नहीं होना चाहिए आप स्वयं के अस्तित्व को भी उस वस्तु के आगे भूल जाएं आपका ध्यान इस तरह उस पर केंद्रित होना चाहिए।
योगाभ्यास में ध्यान के द्वारा इस एकाग्रता की शक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लाभ भी अविश्वसनीय होते हैं। विद्वानों का मानना है की अगर कोई व्यक्ति ध्यान की अवस्था में निरंतर यह सोचता है कि उसने हाथी खबर है तो उसके बल में असमान रूप से वृद्धि होने लगती है।
योगाभ्यास में आसान और ध्यान -
योगाभ्यास आसन और ध्यान की प्रक्रिया एक साथ ही चलती है आसनों का अभ्यास इसके शुरुआती स्टेप्स में ही करना होता है बाद में इतने व्यस्त हो जाते हैं क्यों ने उनके नियंत्रण अभ्यास की आवश्यकता नहीं रहती।योग अभ्यास में सबसे अधिक महत्व ध्यान का है आसन क्रियाएं इसे ध्यान को लगाने के लिए अभ्यास कराई जाती हैं ध्यान निगाह कठिन आसन के अभ्यास को किए सामान्य आसनों ने भी किया जा सकता है ऐसे लाभ भी होता है लेकिन ध्यान केंद्रित करना थोड़ी करना कठिन होता है यूं समझ लीजिए कि आसनों का अभ्यास करके ध्यान लगाना किसी रास्ते पर सीधे चलकर अपनी मंजिल पाने जैसा होगा और बिना ध्यान लगाएं किसी सामने दिख रही मंजिल के पास भी घूम फिर के जाने जैसी स्थिति कहलाती है अतः आसनों का अभ्यास सर्वप्रथम करना चाहिए।
योग साधना के षटकर्म -
योग साधना में आसनों के अभ्यास के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक दुकान की सफाई के लिए साधक साधिका और कुछ नहीं करवाई जाती हैं ऐसे योग में षटकर्म कहते हैं।यह छ: प्रकार के होते हैं-
1.धौति क्रिया
2. नेती क्रिया
3.नौली क्रिया
4. बस्त्ती क्रिया
5.कपालभाति
6.त्राटक
•धौति क्रिया -
यह क्रिया पर पेट और आंतों सफाई के लिए की जाती है। इसके लिए कई क्रियाएं हैं जिसमें से एक ही अपनाना पर्याप्त है।i. जलासार
ii. जल-बमन-धौती
iii. कपड़े की पट्टी से धौती क्रिया
धौति क्रिया से लाभ -
कफ, पित्त, आंत शादी की गंदगी इस क्रिया से साफ हो जाती है मन शांत रहता है इससे पेट और गधे को रोगमुक्त भी किया जा सकता है गैस खट्टी, डकारें, अजीर्ण, आदि बीमारियां दूर र रहती है।सावधानियां-
- हृदय रोगी को यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
- इस क्रिया को करते समय हाथ के नाखून साफ होने चाहिए हो सके तो इन्हे काट कर हाथ को बिल्कुल साफ रखें।
•जल-नेती-क्रिया -
नेती क्रिया के द्वारा नासिका छिद्र एवं गले की नली की सफाई की जाती है। इसके कई प्रकार है जिस में से कोई एक हम अपना सकते हैं।i. जल नेती
ii. सूत नेती
नेती क्रिया के लाभ -
इस क्रिया से नाक की गंदगी साफ हो जाती है एवं गले का बलगम साफ हो जाता है और हमारे दिमाग तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन का रास्ता आसान हो जाता है जिससे दिमाग भरपूर ऑक्सीजन मिलती है और हमारा मन प्रफुल्लित रहता है।सावधानियां -
- नाक में किसी भी प्रकार की परेशानी अभाव होने पर इस प्रक्रिया का उपयोग ना करें।
- सूत्र नेती क्रिया का प्रयोग सावधानी से करें सूत्र को नाक से निकालकर बाद में गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करें।
•नौली क्रिया -
इस प्रक्रिया में तीन अभ्यास को एक बार में एक साथ ही करना पड़ता है।i. उड्डीयान बंध
ii.अग्निसार क्रिया
iii.नौली क्रिया
नौली क्रिया से होने वाले लाभ -
इस अभ्यास में 3 व्यायाम एक साथ ही सम्मिलित हैं। उसके कारण जठर अग्नि प्रज्वलित होती है पाचन शक्ति बढ़ती है पेट के रोग दूर होते हैं वही पेट में चर्बी भी कटता नहीं होती।•बस्ती क्रिया -
यह मल साफ करने की क्रिया है। जब कब्ज हो जाय तब इसे करना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति भी महीने में एक बार कर सकते हैं।•कपालभाति -
इस क्रिया द्वारा मस्तिष्क की शुद्धि की जाती है इसमें प्राणायाम का प्रयोग भी किया जाता है इसलिए सर्वप्रथम प्राणायाम एवं बन्ध का अभ्यास करना चाहिए।लाभ -
कपालभाति एक विलक्षण क्रियाएं इससे स्वसन मार्ग साफ रहता है। मस्तिष्क की नस नाड़ियां स्वस्थ और शुद्ध होती हैं। बुद्धि, अनुभूति, चेतना, संवेदना, आदि का विकास होता है।सावधानियां -
रेचक करते समय पेट झटके से अंदर संकुचित होना चाहिए रेचक प्रारंभ में 1 मिनट में 30 बार और सही प्रैक्टिस के साथ 150 बार तक किया जा सकता है।•त्राटक -
यह क्रिया ध्यान अभ्यास से ही संबंधित है। पहले भी कह चुके हैं की योग साधना के मुख्य क्रिया ध्यान है। आसन नहीं।त्राटक से लाभ -
त्राटक से दृष्टि मस्तिष्क की शक्ति का विकास होता है स्फूर्ति और लगन बढ़ती है।किसी कार्य को करने के लिए अपनी एकाग्रता साधने में आसानी होती है।सावधानियां -
- त्राटक ब्रह्म मुहूर्त रात्रि के समय करना उचित होता है।
- त्राटक की क्रिया तब तक करें जब तक आंखों में हल्की जलन ना महसूस होने लगे।
- त्राटक में ध्यान केंद्रित करने के लिए किसी बल्ब का प्रयोग ना करें इसके लिए दीप, मोमबत्ती या घी का दीपक जलाएं।
योग पर निबंध (400 शब्दों में) -
प्रस्तावना -
योग मानव जीवन को सदियों से निरोगी व चुस्त रखने में मदद करता आया है। योग की कला प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनियों द्वारा सिखाई जाती रही है। पीढ़ी दर पीढ़ी योग की कला आज वर्तमान में हम सभी के सामने भी प्रस्तुत है। हालाकि बदलते समय और नई नई सुविधाओं के सामने मानव जीवन बहुत सरल हो गया है। जिसकी वजह से हमारी खान पान पद्धति या यूं कह लीजिए की हमारे जीवन जीने का तरीका ही बदल गया है। हम सभी जानते है कि किसी भी चीज में जरूरत से ज्यादा या जल्दी बदलाव हमेशा खतरे कि निशानी होती है और आज जो हमारे खाने, सोने और अन्य सुविधाओं में बदलाव आया है यही सब मिल कर ही हमारे शरीर को नई नई बीमारियों का घर बना रहे है।वर्तमान में मेडिकल साइंस योग से होने वाले फायदों को नकार नहीं पाया है योग के अन्तर्गत किए जाने वाले अभ्यासों को निरंतर वसई प्रकाश से करने पर हम अपने आप को स्वस्थ और बीमारियों से बचा कर रख सकते हैं।
योग क्या है -
अगर सीधे और साफ शब्दों में कहा जाए तो योग मनुष्य के शरीर को साफ तंदरुस्त, सुंदर,स्वस्थ और लचीला बनने में मदद करने वाले कुछ योगाभ्यास हैं जो हमारी सभ्यता में प्राचीन काल से चले आ रहे हैं। योग द्वारा मनुष्य अपनी इंद्रियों पर काबु कर अपने दिमाग व अपनी इच्छाओं पर संतुलन बना कर अपनी मानसिक स्तिथि को भी सुचारू रूप से चला सकता है।योग का महत्व व लाभ -
यह हमें अनेकों अनेक बीमारियों से बचा कर रखता है हमें एक सुंदर जिंदगी जीने का मौका देता दुनिया भर में कई अरब लोग ऐसे हैं जो अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करना पसंद करते हैं एवं अपने दिन की शुरुआत योग से ही करते हैं। वर्तमान समय में भारत के द्वारा सुझाव दिए जाने पर विश्व राष्ट्र संगठन द्वारा 21 जून को "विश्व योग दिवस" घोषित किया गया है।उपसंहार (conclusion)-
दुनिया भर में ध्यान केंद्रित कर अपनी एकाग्रता को हटाने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है और ऐसा करना योगाभ्यास का एक हिस्सा ही कहलाता है। इसके विभिन्न प्रकार के योगासनों को निरंतर अभ्यास करने से कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा भी मिल जाता है इसके अलावा हमार ध्यान केंद्रित करना, मन शांत रहना डिप्रेशन पर काबू पाना , सांस की बीमारियां दूर होना आदि में भी मदद मिलती है।योग पर 10 लाइन(योग पर छोटा निबंध)-
- योग भारतीय परंपरा में सदियों से शामिल रहा है।
- योग द्वारा कई तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
- योग हमारी एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।
- निरंतर योग करने से मनुष्य जीवन में संतुलन बनता है मनुष्य अपनी इंद्रियों पर पूर्ण रूप से काबू पा सकते हैं।
- योग करने से गैस, कब्ज जैसी समस्या से मुक्ति मिलती है।
- योग करने से शरीर की मांसपेशियां लचीली होती है।
- भारत सरकार एवं यू एन ओ द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया गया है।
- भारत के साथ-साथ अब विश्व के अन्य देश में योग की शक्ति से प्रभावित होकर अपनी दिनचर्या में योग को शामिल कर रहे हैं।
- निरंतर योग करते रहने से शरीर की फुर्ती व चेहरे की कांति बढ़ती है।
- आध्यात्मिक रूप से कहां जाता है की योग जीवन का संतुलन बनाकर आत्मा की शुद्धि करने में भी मदद करता है।
नमस्कार हमेंपूरी आशा है कि onlinehitam द्वारा लिखे गए लेख आप सभी पाठको को पसंद आ रहे होंगे।
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