प्रस्तावना -
दुनिया में बाल श्रम या बाल मजदूरी एक अभिश्राप की तरह है मूल रूप से बाल श्रम जैसे कृत्य पिछड़े, विकासशील एवं अधिक आबादी वाले देशों में देखने मिलती है। जहां छोटे-छोटे कम उम्र के बच्चों को भी बड़ों की तरह जिम्मेदारियों वाले काम अपने कंधों पर लेने पड़ते हैं जिससे उन बच्चों की खेलने कूदने की उम्र में उन्हें अपना बचपन भूलकर भारी भरकम काम करने पड़ते हैं और यही वजह होती है जिनसे उनका मानसिक विकास रुक जाता है या फिर यह बच्चे कुपोषण जैसी घातक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।Child labour essay |
अगर हम सभी भारत की बात करो तो कहा जाता है भारत युवाओं का देश है यहां की आबादी में सबसे अधिक युवाओं का योगदान है। लेकिन सन 2011 की जनगणना में मिले आंकड़ों अनुसार भारत में अभी भी लगभग एक करोड़ से ज्यादा बाल मजदूर हैं जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। आजादी के इतने सालों बाद भी हम भारत को बाल श्रम या बाल मजदूरी के इस श्रापित माया जाल से मुक्त नहीं कर पाए है।
अभी भी बहुत से होटल, कारखाने, चाय के ठेले, दुकानें है जहां हम सभी को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बच्चे दिख ही जाते है। छोटे और मंझले, हथकरघा एवं कुटीर उद्योग जैसी जगहों पर भी कटाई, बुनाई आदि कामों के लिए बाल श्रमिक रखे जाते है। इसके अलावा ह्यूमन ट्रैफिकिंग भी बाल मजदूरी के लिए एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से छोटे-छोटे बच्चों को दूसरे शहर या देशों में भेजा जाता है जहा उनसे भीख मंगवाने, बंधुआ मज़दूरी एवं देह व्यापार जैसे बुरे काम भी करवाए जाते हैं।
कुछ ऐसे भी मां-बाप हैं जो शिक्षा के अभाव या गरीबी के कारण बच्चों को काम पर भेजते हैं ऐसे लोग बच्चों को अपनी जागीर मान कर उन्हें इस्तेमाल करते हैं और यह सोचते हैं की बच्चा जितना जल्दी काम सीख जाए उतना ही उसके लिए अच्छा हो परंतु उनके मां-बाप उन बच्चों पर हो रहे दुष्प्रभावों पर कभी ध्यान नहीं देते जिनकी वजह से कम उम्र में ही कारखानों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल या फिर प्रदूषण के कारण उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ने लगता है।
बाल मजदूरी क्या है -
बाल श्रम या बाल मजदूरी का अर्थ समझना इतना भी कठिन नहीं है अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो 14 वर्ष या उससे कम आयु के बच्चों को उनके शिक्षा यह कहां से वंचित कर किसी भी तरह के काम में लगाया जाता है तोर बाल मजदूरी कहलाती है।
अक्सर कहां जाता है की बचपन जैसा सुहाना समय कभी लौट कर वापस नहीं आता जब ना तो कोई चिंता होती है और ना कोई डर लेकिन कई ऐसे ही बच्चे हैं जिनसे बचपन में ही उनकी खेलने का अधिकार शिक्षा का अधिकार छीन कर उन्हें बाल श्रम की ओर धकेला जाता है इसका सीधा सा आशय यही होता है कि गरीब परिवारों की आमदनी में इजाफा होगा लेकिन ऐसे लोग शिक्षा के अभाव में शिक्षा का महत्व भी नहीं समझ पाते हैं और कम उम्र से पैसे कमाने के लिए मासूम बच्चो को जबरजस्ती काम करने भेजा जाता है। सरकार के द्वारा कई कानून बनाए जाने की बावजूद भी इसमें कोई ज्यादा सुधारना नहीं हो सका इसकी एक वजह यह भी कहीं जा सकती है कि कारखानों, होटल या अन्य जगहों पर काम करने के लिए बाल मजदूर, वाहा के मालिकों के लिए एक सस्ता विकल्प होते है उन्हें कम पैसे में काम करने वाले मजदूर मिल जाते है।
26 जनवरी पर निबंध
प्रवासी मजदूर पर निबंध | Essay On Migrant
बाल मजदूरी के कारण -
बाल मजदूरी हमारे समाज के लिए कैंसर की तरह है जिसके कारण निम्न प्रकार है।गरीबी -
अधिक आबादी वाले विदेशों में गरीब जनसंख्या अधिक ही होती है और यही कारण है कि इस घोर गरीबी के कारण एक साधारण परिवार का भरण पोषण भी काफी मुश्किल हो जाता है। और इस कारण दो वक्त अपना पेट भरने के लिए परिवार के सभी सदस्यों को काम करने के लिए जाना पड़ता है।शिक्षा का अभाव -
परिवार के लोगों में शिक्षा का आभाव होने के कारण वे लोग शिक्षा के महत्व को समझने में असमर्थ होते हैं और यही कारण है कि वह बच्चों की बचपन को बाल मजदूरी जैसी आग में झोंक देते हैं ऐसे लोग यह भी नहीं समझ पाते कि अगर बच्चे शिक्षित होंगे तो आगे चलकर अपने परिवार को संभालने में सक्षम हो सकेंगे। मानव तस्करी - कुछ ऐसे भी लोग है जो अनाथ बच्चो या घरों स्कूलों से बच्चों को अगवाई कर गलत हाथो में बेंच देते है और थोड़े मुनाफे के लिए किसी मासूम की ज़िंदगी को खराब कर देते है ऐसे बच्चो को बंधुआ मजदूरी और देह व्यापार में धकेल दिया जाता है।
लालच वश -
कुछ माता पिता अपने बच्चों को कम उम्र से ही काम करने के लिए भेजते हैं ऐसे माता-पिता अपने बच्चों को सिर्फ एक कमाई का जरिया समझ का उन्हें इस्तेमाल करते हैं वे लोग सोचते हैं कि उन पर उनके माता-पिता का अधिकार होने के कारण उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
अधिक जनसंख्या -
हमारे जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश में गरीबी और बेरोजगारी प्रमुख समस्या जिसकी वजह से लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार काम नहीं मिल पाता जिसके कारण लोग अपनी सामान्य आवश्यकताओं को पूरा करने में भी असमर्थ हो जाते हैं यही कारण है कि पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी संपूर्ण परिवार को काम करने के लिए जाना पड़ता है। इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए सरकार कई कानून पहले भी बना चुकी है।बाल मजदूरी को रोकने या दूर करने के उपाय-
- बाल मजदूरी को दुर भागने के लिए सबसे पहले हमें खुद को जागरूक करने की जरूरत है जिससे बाल मजदूरी करते या करवाते हुए अगर कोई मिले तो कम से कम एक अच्छा नागरिक होने का सबूत देते हुए संबंधित संस्थाओं को खबर करनी चाहिए।
- अशिक्षित एवं कमजोर वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करनी चाहिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न शिक्षा कार्यक्रमों को और अधिक व्यापक बनाकर छोटे गांव तक पहुंचाना चाहिए।
- बाल मजदूरी से बड़े लोगों को खासकर ऐसे एजेंटों के लिए सख्त कानून बनाया जाना चाहिए।
- समाज के उन्नत वर्गों को यह समझना चाहिए की थोड़े मुनाफे के लिए किसी बच्चे का जीवन बर्बाद ना करें।
- सरकारों को इससे जुड़े कानूनों को और सख्त गाना चाहिए।
बाल मजदूरी की समस्या और समाधान -
समस्या-
बाल मजदूरी की समस्या भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक बहुत ही गहरी समस्या जहां जनसंख्या का एक का हिस्सा पढ़ लिख कर मुख्यधारा से जुड़ा हुआ है वही समाज में एक ऐसा दबा हुआ तपका भी है जो शिक्षा के अभाव में अपनी और अपनी आने वाली पीढ़ियों को अच्छा जीवन देने में असफल है।समाधान-
इस बीमारी का समाधान हम सभी को मिलकर ही करना होगा एक और जहां सरकार अपनी तरफ से नए कानून बनाकर कुछ कदम उठा रही है वही हमें भी अपने जिम्मेदारियों का एहसास करते हुए अपने हृदय को नर्म बना ना होगा एवं एक अच्छे नागरिक का फर्ज निभाना होगा।उपसंहार (conclusion)-
भारत जैसे विकासशील देश के लिए बाल मजदूरी जैसी कुप्रथा को जड़ से मिटाना बहुत जरूरी है। जब हम बात करते है प्रगति करने की इसके लिए हमे सभी को साथ ले कर चलना होगा सरकार को अपनी नीतियों में निश्चित सुधार कर शिक्षा गरीबी बेरोजगारी जैसी समस्याओं को मिटाना होगा एवं बाल मजदूरी जैसे गलत काम को करवाने वाले लोगों के लिए सख्त कानून और जुर्माने का प्रावधान बनाना चाहिए।यह भी पढ़ें -