प्रस्तावना -
कृष्ण जन्माष्टमी भारत के अलावा भी विश्व के अलग-अलग हिस्सों में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी देवता है जिनमें भगवान श्री कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है इन्होंने अपने कृष्ण अवतार में अनेकों लीलाओं से सभी का दिल जीत लिया था, भगवान कृष्ण को बचपन से ही उनकी लीलाओं के लिए जाना जाता रहा है, इसीलिए भगवान कृष्ण को लीलाधर के नाम से भी जाना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध |
सनातन धर्म की कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु अलग-अलग युग मे बढ़ते अत्याचारों को समाप्त करने के लिए अवतार लेते रहे हैं। इसी तरह द्वापर युग में मथुरा नगरी के राजा कंस के बढ़ते अत्याचारों से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान कृष्ण धरती में अवतरित हुए।
भगवान कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान है इसके पहले कंस भगवान कृष्ण से पहले जन्मे वासुदेव और देवकी के 7 पुत्र व पुत्रियों की हत्या कर चुका था।
कंस आकाशवाणी द्वारा की गई भविष्यवाणी को हर हाल में रोकना चाहता था इसलिए वह अपनी बहन देवकी को कारागार में रखकर निर्ममता से उनकी संतानों की हत्या करता रहा परंतु कृष्ण जन्म के समय भगवान विष्णु अपनी लीला से सभी पहरेदारों गहरी नींद में सुलाकर वासुदेव को आदेश दिया कि वह अपने आठवें पुत्र को गोकुल ले जाएं और माता यशोदा और नंद बाबा के घर छोड़ आए। और इस तरह भगवान कृष्ण का बालपन कंस की छत्रछाया से बचा रहेगा परंतु भगवान कृष्ण बचपन से ही कंस द्वारा भेजे गए राक्षसों का वध कर अपनी लीलाएं दिखाना शुरू कर चुके थे।
भगवान श्री कृष्ण के बारे में एक और बात प्रचलित है की उनकी 16108 रानियां थी परंतु उनका प्रेम राधा के लिए अधिक रहा परंतु उनकी राधा से कभी शादी नहीं हो सकी यही कारण है कि आज भी श्री कृष्ण का राधा के प्रति प्रेम को ध्यान में रखकर राधा कृष्ण का नाम लेने पर राधा रानी का नाम भगवान कृष्ण से पहले दिया जाता है।
कब मानते है कृष्ण जन्माष्टमी -
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद महीने की अष्टमी को रोहिणी नक्षत् में मनाया जाता है।इस दिन लोग रात्रि के ठीक 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है -
भगवान श्री कृष्ण सबसे ज्यादा प्रचलित अपनी लीलाओं की वजह से ही है जिसका असर हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा है भगवान श्री कृष्ण को मुरलीधर भी कहा जाता है जोकि किसी ग्वाले की तरह वृंदावन में अपनी गायों को चराने ले जाया करते थे एवं उनकी मधुर मुरली की धुन सुन कर एवं सिर में सजती मोर की कलगी वाले मनोरम रूप को देख कर पशु-पक्षी, इंसान सभी मंत्रमुग्ध हो जाते थे।भगवान कृष्ण को उनके उपासक उनकी अलग-अलग कहानियों के लिए पूजते हैं। फिर चाहे गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाने की बात है या फिर श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश देने की बात हो अलग-अलग कहानियां है जो लोगो में प्रचलित है।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है
(फेमस दही हांडी व मटकी तोड़ उत्सव) -
जिस तरह कृष्ण जन्माष्टमी को लोग उपवास रख कर श्रद्धा पूर्वक मनाते हैं ठीक उसका एक अगला पहलू हमें मटकी फोड़ या दही हांडी उत्सव के रूप में देखने को मिलता है।इसमें युवा और बाल गोविंदा अपने अलग-अलग समूहों में दही और छाछ से भरी व ऊंचाई पर लटकाई गई मटकी को फोड़ने का प्रयत्न करते हैं मटकी फोड़ने वाले समूह को उचित इनाम दिया जाता है और विजेता घोषित किया जाता है।
भारत के अलावा भी इंडोनेशिया अमेरिका बांग्लादेश आदि देश हैं जहां कृष्ण जन्माष्टमी में मनाई जाती है जिसमें बांग्लादेश का नाम व्यापक रूप से लिया जाता है क्योंकि यहां कृष्ण जन्माष्टमी को एक राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत -
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के भक्त पूरा दिन उपवास रखकर रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बनाते हैं एवं उनकी पूजा करते हैं और फिर अपना उपवास खोलते हैं।लोग घरों में भगवान कृष्ण या के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति पालने में रखकर उनका जन्म मनाते हैं भगवान कृष्ण के पूजन के लिए लोग दही मेवे पंचामृत मिष्ठान आदि बनाते हैं।
कृष्ण मंदिरों को कृष्ण जन्माष्टमी के लिए विशेष तौर पर सजाया जाता है मंदिर परिसर को पूरी तरह से लाइट और फूलों से ढक दिया जाता है एवं रात 12 बजते ही मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के आगमन का उत्सव ढोल ताशे और भजन कीर्तन के साथ किया जाता है।
उपसंहार (conclusion) -
हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को देव पुरुष कहां जाता है पूरे भारत में कृष्ण जन्माष्टमी को बड़ी धूम व हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है।कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर कई जगहों पर मेलों का आयोजन होता है दंगल कुश्ती का आयोजन होता है एवं कृष्ण जन्माष्टमी का मुख्य केंद्र दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन भी जगह जगह पर किया जाता है जहां अनेकों अनेक बाल गोविंदा के समूह प्रतियोगिता में भाग लेकर दही हांडी फोड़ कर प्रतियोगिता जीतने का प्रयास करते हैं।
और जिस तरह भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कर बुराई का नाश किया था इसी प्रकार प्रतियोगिता में भाग लेने वाले गोविंदा की प्रतियोगिता जीतकर उस परंपरा को कायम रखते हुए सत्य की राह में चलने का प्रण लेते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर दस वाक्य -
1. कृष्ण जन्माष्टमी का बड़ा त्यौहार भारत के साथ साथ दुनिया के कई देशों में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
2. भगवान कृष्ण के भक्त व्रत रख कर और भगवान की भक्ति में लीन होकर भक्ति गीत गाते है।
3, कृष्ण जन्माष्टमी में रात 12 बजे लोग भगवान कृष्ण का जन्म दिन बनते है। गाजे बजे से भगवान का स्वागत करते है।
4. इस दिन दही हांडी या मटकी फोड प्रतियोगिताएं होती है।
5 लोग कृष्ण जी की जीवन लीला एवम् चमत्कारों को याद करते है।
6. इन्हे युग पुरुष भी कहा जाता है।
7. पौराणिक कथाओं के अनुसार इनका जन्म अत्याचारी कंस का वध करने के लिए हुआ था।
8. कृष्ण के 108 नाम है जो उनकी अनेकों लीलाओं के उपरांत प्रचलित हुए है।
9. बांग्लादेश में जन्माष्टमी के त्यौहार को राष्ट्रीय त्यौहार की तरह मनाया जाता है।
10. यह सावन माह में रक्षाबंधन के बाद मनाया जाता है।