मोहन दास करमचंद गाँधी | गाँधी जी का परिवार पत्नी , पिता एवं माता |महात्मा गाँधी पर निबंध व जीवन परिचय | गाँधी जी पर निबंध 300 ,600,1000 शब्दों में | गाँधी जी पर निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 और प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही निबंध व भाषण प्रतियोगिता के लिए महत्वपूर्ण | गाँधी जी पर निबंध 10 लाइन में , (Mahatma Gandhi Essay For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 In Hindi, Mahatma Gandhi Biography , Mother,Wife, Father Mahatma Gandhi Essay In Hindi, Gandhi Essay In Hindi, Short Essay On Gandhi ji, Mahatma Gandhi Essay in 10 Lines Hindi)
Gandhi Ji Essay (300 Words) In Hindi | गाँधी जी पर निबंध 300 शब्दों में
प्रस्तावना -
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत की आजादी के विशेष सूत्रधार है इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है एवं इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था गांधी जी के पिता पोरबंदर के दीवान थे और इनकी माता पुतलीबाई एक ग्रहणी थी पुतलीबाई स्वभाव से काफी आस्था वादी भी थी एवं गांधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा बाई था।
बचपन में गांधी जी को बहुत ही मंदबुद्धि समझा जाता था इनका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। इनकी शुरुआती शिक्षा पोरबंदर नहीं हुई इसके बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई राजकोट और अहमदाबाद से पूरी की, इसके बाद वे वकालत सीखने लंदन गए।
वापस आ कर गांधी जी ने भारतीयों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का मन बनाया उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण आंदोलन भी छड़े जिनमें उन्हें अदभुत सफलता प्राप्त हुई। भारत की जनता भी गांधी जी के मंतव्य को समझ चुकी थी और इसी कारण उन्हें भारतीयों का पूरा साथ प्राप्त था।
गांधीजी गांधी जी शिक्षा के महत्व को समझते थे और शिक्षा पर भारी जोर देते थे उनका मानना था कि 7 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए और शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए।
गांधी जी अहिंसा वादी थे और समय समय पर आत्म शुद्धि के लिए उपवास भी किया करते थे
इनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में नाथू राम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा गोली मारे जाने से हुई।
उपसंहार - गांधी जी अहिंसावादी और शांत स्वभाव के थे उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत की जनता व भारत की आजादी के लिए न्योछावर कर दिया। यही वजह है कि आज हम सभी गांधी जी को महात्मा गांधी और राष्ट्र पिता कह कर संबोधित करते है।
महात्मा गांधी पर निबंध 600 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 600 Words)-
प्रस्तावना -
मोहन दास करम चंद गांधी (महात्मा गांधी ) एक ऐसा नाम है जिन्हे आज बच्चा बच्चा जनता है आज भारत के इतिहास में इनकी एक अहम भूमिका नजर आती है। जहा इन्होंने अपना जीवन भारत देश व भारत की जनता के नाम कर दिया था
गांधी जी के व्यक्तिगत जीवन और परिवार पर रोशनी डालें तो इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी व माता का नाम पुतलीबाई था गांधी जी की माता स्वभाव से काफी आस्था वादी महिला थी एवम् इनके पिता पेशे से पोरबंदर के दीवान थे। गांधी जी पर भी अपनी माता और क्षेत्र में प्रचलित जैन परंपराओं का गहरा असर हुआ। गांधी जी ने कुछ खास परंपराओं को अपने जीवन में खास महत्व दिया जैसे उपवास कर आत्मा की शुद्धि करना।मात्र 13 वर्ष की छोटी आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से कर दिया गया था।
अगर महात्मा गांधी जी की शिक्षा की बात करे तो किसी भी इंसान की प्रारंभिक शिक्षा उसके आस पास के माहौल व घर वालों से ही शुरू हो जाती है। गांधी जी ने भी अपने बालपन से ही सही और ग़लत में फर्क करना सीख लिया था इन्होंने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई स्थानीय पोरबंदर से पूरी की और बाद में हाईस्कूल की शिक्षा इन्होंने राजकोट से पूरी की। और मैट्रीक के लिए वे अहमदाबाद गए। बाद में वकालत की पढ़ाई इन्होंने लंदन से पूरी की।
इन्होंने भारतीय समाज में सभी के शिक्षित होने पर जोर दिया था वे भारतीय पद्धति को (द ब्यूटिफुल ट्री) कह कर संबोधित करते थे।
गांधी जी भारतीय शिक्षा पद्धति में निम्न बातों को स्तंभ के रूप में स्थापित करना चाहते थे।
- शिक्षा का माध्यम हमेशा छात्र की मात्र भाषा होनी चाहिए।
- साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।
- शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
- 7 - 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।
महात्मा गांधी ने भी भारत को आजादी की तरफ ले जाने का महत्व पूर्ण काम किया इस दौरान उन्होंने कई मुश्किलों का सामना भी किया भारत को अपना सम्मान दिलाने के रास्ते में उन्हें कई बार जेल यात्रा भी करना पड़ा कई अनशन व आंदोलन भी करने पड़े।
गांधी जी द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण आंदोलन -
असहयोग आंदोलन -
सितंबर1920- फरवरी1922 कांग्रेस के नेतृत्व में यह आंदोलन बहुत सफल रहा भारतीय जन समूह ने भी भरपूर योगदान दिया था।
नमक सत्याग्रह -
12 मार्च 1930 साबरमती आश्रम से दांडी ग्राम तक कुल 24 दिन यह काफी महत्वपूर्ण सत्याग्रह माना जाता है।
दलित आंदोलन -
1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
भारत छोड़ो आंदोलन -
(द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान) 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया। जिसका उद्देश्य भारत को आज़ाद करवाना था।
चंपारण सत्याग्रह -
1917 में बिहार के चंपारण से यह आंदोलन शुरू हुआ इस आंदोलन का कारण यह था कि अंग्रेज शासन द्वारा किसानों से जबरदस्ती काम दाम में नील की खेती करवाई जाती थी जिसके कारण किसान दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पाते थे। इस आंदोलन की जीत गांधी जी के लिए राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी
गांधी जी द्वारा किए गए कुछ ऐसे ही प्रयासों से वे मोहन दास करम चंद गांधी से महात्मा गांधी कहे जाने लगे। गांधी जी को राष्ट्र पिता भी कहा जाता है लेकिन राष्ट्रपिता की उपाधि किसने प्रदान किया इसका कोई सटीक उल्लेख ना होने के कारण 1999 में गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया कि अब से यही लिखा जाय की - रविन्द्र नाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा।
और अंत में 30 जनवरी 1948 की शाम बिड़ला भवन दिल्ली में गांधी जी की नाथू राम गोडसे द्वारा गोली मर कर हत्या कर दी गई।
निष्कर्ष -
अगर साफ शब्दों में कहा जाय तो गांधी जी भारत की आज़ादी के लिए मजबूत आधार स्तम्भ बने रहे। इन्होंने कई आंदोलन किए जिसमें भारत के लोगो ने गांधी जी का पूरा साथ दिया था। इन्होंने हमेशा अहिंसा रूपी आंदोलन पर जोर डाला।महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 1000 Words)-
प्रस्तावना -
मोहनदास करमचंद गांधी या यूं कहे कि महात्मा गांधी गुजरात के एक छोटे से तटीय गांव में जन्मे और आज भी हम सभी भारत वासी इनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती मनाते है। इन्होंने अपने अथक प्रयासों द्वारा भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई। गांधीजी सनातन धर्म के गुजराती पारसी परिवार से संबंधित है बचपन से ही अपने आसपास के जैन समुदाय व रितिरीवाज में ढल कर गांधीजी का विश्वास पूरी तरह अहिंसा में था वे एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ आध्यात्म वादी भी थे जो उपवास, आत्म शुद्धि, शाकाहारी जीवन जीने जैसे विचारो पर विश्वास रखते थे।
गांधीजी व्यावहारिक रूप से काफी शांत और निर्मल स्वभाव के थे अपनी उम्र के बाकी बच्चों की तुलना में भी गांधी जी काफी शांत स्वभाव के थे खुद अपनी गलतियों से सीख ले कर प्रण करते की आगे से इस तरह की गलती नहीं दोहराना है इन्होंने हरिश्चंद्र जैसे किरदारों को जीवन का आदर्श माना और उनसे सीख ली।
गांधीजी अपने प्रयासों के कारण अंग्रेजों के सामने एक चुनौती बने हुए थे जो बिना हिंसा के ही अपनी बात मनवाना जानते थे। गांधी जी की यही अहिंसा रूपी क्रांति भारत की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुई आज पूरी दुनिया मोहनदास करमचंद गांधी को एक सफल नेता एवं सत्य और अहिंसा के पुजारी के रूप में जानते हैं।
गांधी जी का जन्म स्थान और परिवार -
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी का एवं उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था वे अपने पिता की आखिरी संतान हुए एवं उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जोकि करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी उनके पहले करमचंद गांधी की तीन पत्नियों का प प्रसव के दौरान आकस्मिक निधन हो गया था।
महात्मा गांधी अभी स्कूल में पढ़ ही रहते थे कि 13 वर्ष की आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया जोकि उनसे उम्र में 6 माह की बड़ी थी कस्तूरबा और गांधी जी के पिता आपस में काफी पुराने अच्छे मित्र थे यही वजह थी कि उन दोनों ने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का निश्चय किया।
गांधी जी की शिक्षा -
इन्होंने अपने शुरुआती शिक्षा पोरबंदर में की आगे की और स्कूलिंग करने राजकोट चले गए महात्मा गांधी पढ़ाई में कोई खास प्रगतिशील नहीं थे और ना ही किसी खेलकूद में में ज्यादा रुचि थी वे केवल एक आम से छात्र की तरह ही थे शायद उस वक्त तो उन्होंने खुद भी अपने बारे में यह नहीं सोचा होगा कि आगे जा कर उन्हें दुनिया इतना सम्मान देगी।
स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद गांधी जी को वकालत की शिक्षा लेने हेतु इंग्लैंड भेज दिया गया जहां पर उन्होंने अपना बैरिस्टर बनने का सफर पूरा किया और उसके साथ ही इंग्लैंड की संस्कृति आदि को बारीकी से समझा बैरिस्टर बन कर उन्होंने किसी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाने का फैसला किया और इंग्लैंड से अफ्रीका तक के सफर में गांधी जी को सिर्फ उनके रंग के कारण काफी अभद्र व्यवहारों का सामना करना पड़ा यहां तक की उन्हें टिकट होने के बावजूद भी ट्रेन के उस खास हिस्से में सफर नहीं करने दिया गया और इसके बाद गांधी जी ने इस अत्याचार के खिलाफ शांतिपूर्वक विचार का मन बना लिया और एक लंबे समय तक चली लड़ाई के बाद आखिरकार गांधीजी अफ्रीका के अल्पसंख्यक भारतीयों को उनका हक दिलाने में सफल रहे लेकिन जब वे भारत आए तो उन्हें भारत में भी वैसा ही कुछ हाल देखने को मिला जहां अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर ज़ुल्म हो रहे थे भारतीयों को उनकी ही मिट्टी में गुलाम बन कर रहना पड रहा था। तब तक गांधी जी सत्य और अहिंसा की कीमत समझ चुके थे और उन्होंने निश्चय लिया की दे भारत को इस गुलामी से आजाद करा कर ही रहेंगे और गांधी जी ने कुछ समय तक भारतीयों को समझाया वह तैयार किया अहिंसा का मतलब समझाया और फिर धीरे-धीरे अंग्रेजों की नींव हिलाने प्रयास करने लगे।
महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन -
महात्मा गांधी ने अपने अहिंसा रूपी दिव्य अस्त्र से अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था उनके द्वारा समय-समय पर कई आंदोलन चलाए गए जिसके फलस्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा था।
दक्षिण अफ्रीका में मिली सफलता के बाद गांधीजी सन 1915 मैं भारत वापस लौट आए भारत लौटने पर उनका स्वागत किया गया और तब ही से इन्हें महात्मा कहकर पुकारा जाने लगा। भारत आने के बाद उन्होंने आगे तीन-चार साल भारत की स्तिथि का अध्यन किया और किसान एवं श्रमिकों पर लगाए गए भारी लगान व अन्य करो विरोध में लोगों को जागरूक कर एकत्र करना शुरू किया एवं अपने अहिंसा अहिंसा रूपी आंदोलन की शुरुआत की।
सन् 1919 में गांधी जी ने अंग्रेजों द्वारा बनाए रॉलेट एक्ट कानून पूर्ण विरोध किया जिसके तहत किसी को भी केवल शक के आधार पर बिना कोर्ट के फैसले की जेल में डाल दिया जाता था और इसके आगे भी गांधी जी ने दांडी यात्रा, 1920 सविनय अवज्ञा आंदोलन,1930 असहयोग आंदोलन एवं 1942 भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसा एवं शांतिपूर्ण आंदोलनों को जारी रखा जिसके फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिली।
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गांधी जी को दी गई उपाधियां -
1915 में गांधी जी के भारत वापस लौटने के बाद उन्हें उनके अच्छे कामों के कारण कई उपाधियों से नवाजा गया था जिसमें सबसे पहले रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधी जी को महात्मा कहकर संबोधित किया था विद्वानों के अनुसार एक मत यह भी है कि गांधी जी को सबसे पहले महात्मा स्वामी श्रद्धानंद जी ने कहा था।
इसी प्रकार महात्मा गांधी साबरमती में जिन लोगों के साथ रहते थे वे उन्हें बापू कहकर संबोधित करते थे इसके अलावा उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि से सम्मानित सर्वप्रथम सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से 6 जुलाई 1944 को किया था।
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महात्मा गांधी का अंतिम समय -
15 August 1947 का दिन यही समय था जिसके लिए गांधीजी के साथ अनेकों क्रांतिकारी, गांधी जी के पदचिन्ह के पीछे चल रहे थे और अपने मार्गो में सफलता प्राप्त कर रहे थे परंतु आजादी के उपरांत 30 जनवरी 1948 के दिन बिरला भवन में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दिया था।
उपसंहार (conclusion) -
महात्मा गांधी या यूं कहें कि हमारे राष्ट्रपिता का जीवन काफी परेशानियों से भरा रहा है उन्होंने भारत की जनता के लिए काफी अच्छे कार्य किए हैं एवं भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए अनेकों आंदोलन किए जिसमें संपूर्ण भारत ने गांधी जी का साथ दिया अपने ऐसे ही कार्यों के कारण गांधीजी अंग्रेजों के गले की फांस बन गए थे जिसकी वजह से उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है और उन्होंने कई वर्ष जेल में भी बिताए मगर वे अपने निर्णय में हमेशा अडिग रहे और अंग्रजों को भारत छोड़ने पर मजबुर किया।
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महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता पर 10 वाक्य -
(10 lines on why Gandhiji is called as the father of nation Essay) -
1. 2 अक्टूबर 1869 के दिन संपूर्ण भारत में सरकारी अवकाश घोषित है इस दिन को सभी गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं।
2. गांधीजी सदैव ही सत्य और अहिंसा के पुजारी रहे हैं
3. महात्मा ने अपने जीवन काल और आजादी के संघर्ष के समय 35000 से ज्यादा पत्र पत्रिकाएं लिखें।
4 गांधी जी को अनेकों उपनाम से भी पुकारा जाता था।
5. भारत लौटने के बाद इन्होंने अंग्रेजों से संघर्ष स्वरूप कई तरह के आंदोलन की शुरुआत की।
6. गांधीजी ने संपूर्ण भारत वासियों से विदेशी सामानों का बहिष्कार करने का आवाहन किया था।
7. महात्मा स्वयं चरखा चलाकर अपने लिए खादी वस्त्र बनाते थे।
8. UNO द्वारा वर्ष 2007 से उनके जन्मदिवस को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
9. इन्होंने अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई इंग्लैंड से पूरी किया था।
10. गांधी जी ने संपूर्ण विश्व को एक अनोखा शांति संदेश दीया और अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
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