इस उपचार में गर्म और ठंडे लपेटो का इस्तेमाल त्वचा की सतह पर किया जाता है जिसके नीचे शरीर का रोक से प्रभावित अंग स्थित होता है उपचार किए अद्भुत पद्धति शरीर के यहां बत्तख बतलाए गए क्षेत्रों व समुचित परिस्थितियों में ही इस्तेमाल में लाई जा सकती है:- सिर, छाती, रीड, पेट और पेल्विस रीजन। इस लपेट से मांसपेशियों में समस्त प्रकार के दर्द और जकड़न की स्थिति में आराम मिलता है।
गर्म व ठंडा लपेट |
गर्म व ठंडे लपेट के जरिए किए जाने वाला यह इलाज 15 से लेकर 45 मिनट तक या अपेक्षित आराम मिलने तक किया जा सकता है। इस लपेट के इस्तेमाल से शरीर के अंदरूनी भागों की रक्त संकुलता दूर होती है यह अत्यंत प्रभावी जलीय उपचारों में से है।
• सिर के लिए गर्म और ठंडा लपेट :-
सामग्री -
बर्फ की थैली, दो लपेट 1 बर्फीला ठंडा तथा 1 गर्म।पानी का तापमान -
बर्फ का ठंडा पानी जीरो डिग्री सेंटीग्रेड और गरम पानी 42 से 45 डिग्री सेंटीग्रेड।अवधि -
15 से 45 मिनट तक किया जा सकता है।पद्धति -
बर्फ के ठंडे पानी से भरी थैली गर्दन के पीछे और बर्फीला लपेट से के पीछे रखें। तेज गर्म लपेट चेहरे व कानों पर लगाएं। गर्म लपेट को जबड़ों से नीचे तक ना लाएं, ताकि गर्दन की रक्त वाहिकाएं गर्म ना होने पाए।सिर के पीछे ठंडा लपेट रखने से मस्तिष्क की वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं और मस्तिष्क को ठंडक मिलती है सिकाई करने से रक्त मस्तिष्क से चलकर चेहरे की मांसपेशियों में पहुंचने लगता है इसी तरीके से विपरीत क्रम में निम्न प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है।
गर्म पानी से भरी रबर की थैली पर गिला कपड़ा लपेट कर गर्दन के पीछे ऊपरी हिस्से पर रखे और ठंडे लपेट को चेहरे पर व सिर के ऊपर रखें। इस लपेट के इस्तेमाल से मस्तिष्क की रक्त संकुल ता दूर होती है।
लाभ -
सिर में होने वाले ज्यादातर दर्दो में खोपड़ी की (विशेषकर आंखों मकानों की) नसों में खिंचाव होने की वजह से इस लपेट का इस्तेमाल एक अच्छा इलाज माना जाता है। इससे अच्छी नींद आती है और नींद ना आने जैसी समस्याओं से आराम मिलता है।चेतावनी -
अनीमिया (अरक्तता) की वजह से होने वाले दर्द में इस लपेट का इस्तेमाल ना करें।• फेफड़ों के लिए गर्म और ठंडे लपेट :-
सामग्री -
गर्म पानी की थैली और ठंडा लपेट।पानी का तापमान -
ठंडा पानी 18 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तक और गर्ल पानी 42 से 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक।अवधि -
15 से लेकर 45 मिनट तक इस विधि को किया जा सकता है।विधि -
गर्म में पानी की थैली पीठ पर तथा ठंडा लपेट आगे की तरफ गर्दन के नीचे आधे भाग से लेकर सबसे नीचे पसली तक रखा जाता है। सिकाई से रक्त फेफड़ों की धमनियों से दूसरी ओर चला जाता है।और इससे अंतरापर्शुक (इंटर्कोस्टल) क्षेत्र की रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, जबकि ठंडा लपेट फेफड़ों की धमनियों को सिकोड़ता है। गर्म स्नान के जरिए या साथ साथ टांगों पर भी गरम लपेट रखकर उपचार का यह प्रभाव और बढ़ाया जा सकता है।
लाभ -
यह विधि आरंभिक चरण में निमोनिया और फेफड़ों में भारी रक्त संकुलता का उपचार करने की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है।अस्थमा की स्थिति में इस पद्धति को उल्टे क्रम में अपनाना चाहिए। ठंडा लपेट गर्दन के पीछे और सिर पर तथा गर्म लपेट को पूरी छाती पर सामने कॉलर बोन से लेकर नाभि तक इस्तेमाल में लाया जाता है बाद में पीठ पर भी सिकाई की जा सकती है।
• गुर्दे के लिए गर्म और ठंडे लपेट :-
सामग्री -
गर्म पानी की थैली, बर्फ की थैली, पेट पेट बनाने का सामान।पानी का तापमान -
गर्म पानी 42 - 45 डिग्री सेंटीग्रेड, बर्फ का ठंडा पानी।अवधि -
45 मिनट तक।विधि -
पेट लपेट के फलालैन के और सूखे कपड़े को मेज या बिस्तर पर फैला दिया जाता है। इस पर गर्म पानी की थैली रखो मरीज को इस तरह लिटाया जाता है, जिससे गर्म पानी की थैली उसकी रीढ़ की हड्डी के बीच लेकर निचले हिस्से तक सटी रहे। बर्फ की थैली पेट पर छाती की हड्डी (उरोस्थी) के नीचे हिस्से तक रखी जाती है। इसके ऊपर पेट पेट रख दिया जाता है।लाभ -
इस सिकाई से रक्त वृक्धमनी की शाखा से बाहर निकलता है, जो गुर्दे से जुड़ी होती है और इसका एक हिस्सा वृक्कीय सिरा से मांस पेशीय शाखाओं की ओर जाता है। ठंडी लपेट के इस्तेमाल से गुर्दे की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती है और इस तरह इनकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है।यह लपेट गुर्दों में रक्त के प्रवाह की कमी और मूत्र मार्ग में सूजन के मामलों में उपयोगी है। इससे गुर्दों को ताकत मिलती है और इसलिए यह मूत्र के साथ एल्ब्यूमिन आना, पेशाब करते समय जलन, और गुर्दे की पथरी की स्थितियों में उपयोगी है। इस लपेट के इस्तेमाल से पेशाब खुलकर आता है।
• गर्म और ठंडा गैस्ट्रो हैपेटिक लपेट :-
सामग्री -
पानी का तापमान और उपचार की अवधि गुर्दा लपेट की तरह ही होती है।विधि -
इस लपेट को गुर्दा लपेट के विपरीत क्रम में इस्तेमाल किया जाता है। सेकने वाली थैली चौथी पसली से लेकर नाभि तक पेट पर रखनी चाहिए, जबकि ठंडा लपेट रीढ़ के बीच से लेकर निचले हिस्से तक इस्तेमाल करना चाहिए।लाभ -
इस लपेट का इस्तेमाल करने से रक्त पेट, जिगर, तिल्ली और अग्नाशय से बाहर निकल जाता है। और रक्त संकुलन की स्थिति में सुधार होता है। इस प्रकार इस लपेट से पेट और जीगर ही नहीं, बल्कि तिल्ली व अग्नाशय प्रभावित होते हैं। यह लपेट गैस्ट्राइटिस, जिगर व दिल्ली के बढ़ जाने, पेट में अल्सर, अम्लपित्त और अग्नाशय में जलन के मामलों में लाभकारी है। डायबिटीज मेलिटस का उपचार करने के लिए इस लपेट को व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।चेतावनी -
ऐसा देखने मैं आया है कि इस लपेट का इस्तेमाल करने के बाद रक्तचाप अस्थाई रूप से बढ़ (ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना) जाता है इसलिए उच्च रक्तचाप के मरीजों को इस लपेट का इस्तेमाल किसी चिकित्सक की देखरेख में करना उचित होगा।कमर के बीचों बीच और निचले हिस्सों में दर्द होने पर इस लपेट का इस्तमाल नहीं करना चाहिए।
• गर्म और ठंडा पेल्विक लपेट :-
इसमें ठंडे लपेट का इस्तेमाल कमर के निचले इससे पर और सिकाई पेल्विक रीजन के ऊपर की जाती है। यह लपेट गर्भाशय, फैलोपी नालियों, डिम्बाशय, मूत्राशय, पुरस्थ ग्रंथि, अंडकोष और अपेंडिक्स में सूजन का इलाज करने के तरीके से उपयोगी है।• पेट पर बारी बारी से गर्म और ठंडे लपेट का इस्तेमाल :-
सामग्री -
6 से 8 परतों में तह किए गए तौलिए जैसे कपड़े के दो टुकड़े।पानी का तापमान -
बर्दाश्त करने लायक गर्म पानी, नल का ठंडा पानी।विधि -
कपड़े का एक टुकड़ा गरम पानी में भिगोकर इसका एक्स्ट्रा पानी निचोड़ दें। अब यह कपड़ा 3 मिनट तक पेट पर रखें।कपड़े की गर्माहट बरकरार रखने के लिए इसके ऊपर गर्म पानी की थैली या गर्म पानी में भीगा हुआ एक कपड़ा रखें।
3 मिनट के बाद अब इन कपड़ों को हटाकर ठंडे पानी मैं भीगा हुआ कपड़ा केवल 1 मिनट के लिए पेट पर रखें।
इस प्रक्रिया को बारी-बारी से 3 बार दोहराएं, लेकिन सबसे बाद वाले लपेट (ठंडा लपेट) को 3 मिनट तक पेट पर रखें।
प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह से बारी-बारी से गर्म लपेट को 5 मिनट तक और ठंडे लपेट को 2 मिनट तक रखा जा सकता है।
लाभ -
इस लपेट का इस्तेमाल गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल गैसो, अम्ल पित्त, कब्ज से छुटकारा पाने, गैसीय रसों के रिसाव में वृद्धि करने और जिगर व पित्ताशय में संकुल ता की स्थिति से आराम पाने के लिए कर सकते है।चेतावनी -
हृदय को छोड़कर शरीर के किसी भी दुखते हुए अवयव पर इस लपेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।Note -
गर्मियों में जब नल का पानी ठंडा नहीं होता, बर्फ का पानी या सुराही में भर कर रात भर छत पर रखा हुआ पानी ठंडे लपेट के लिए प्रयोग करें।🙏 प्राकृतिक चिकित्सा उपचार पद्धति क्या होती है।
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