लपेट कम्प्रेस और सेंकाई एक विचारणीय विधि है जिसके सटीक प्रयोग से हमें कई तरह के लाभ व बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।नीचे इसके विभिन्न प्रकार बताए गए है।
ठंडा लपेट -
ठंडे पानी में कपड़ा भीगा कर इससे शरीर (बॉडी) के प्रभावित (अफेक्टेड) पार्ट पर लपेटने को ही ठंडा लपेट कहते हैं।
आवश्यक सामग्री -
मोटा सूती कपड़ा और दो बड़े तौलिए।
पानी का तापमान -
ठंडे पानी का तापमान 18 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड।
उपचार की अवधि -
20 मिनट उपचार का उपयुक्त समय है परंतु परिस्थिति अनुसार इसे बढ़ाया याद हटाया भी जा सकता है।
विधि -
कपड़े को 4 परत मोड़ कर ठंडे पानी में भीगा लेना चाहिए। इस्तेमाल से पहले अच्छी तरह से निचोड़ कर प्रभावित भाग पर रखना चाहिए लपेट कर लगातार इस्तेमाल करने के लिए दो लपेट का इस्तेमाल करना चाहिए और थोड़ी थोड़ी देर में बदलते रहना चाहिए। लपेट का इस्तेमाल सिर, गर्दन, छाती, पेट रिड या शरीर के ऐसे किसी भी हिस्से पर किया जाए सकता है जिस में जलन होती है सिर पर रखते समय लपेट को कस कर पकड़ कर रखना चाहिए। जिससे यह खोपड़ी से सटा रहे। एवं तकिए पर प्लास्टिक की चादर ध्यान से बिछा लेनी चाहिए एवम् पेट पर लपेट का उपयोग करने से पहले प्लास्टिक शीट को बेड में अच्छी तरह बिछाकर कवर कर लेना चाहिए।
लाभ -
ठंडी लपेट का इस्तेमाल रक्त संचार ब्लड सरकुलेशन तथा जिगर दिल्ली पेट गुर्दे आंतों फेफड़ों मस्तिष्क गर्भाशय मूत्राशय और दूसरे अंदरूनी अवयवों के कामकाज को नियमित बनाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग शरीर के इन भागों में होने वाली जलन या सूजन के लिए किया जाता है।
ठंडा लपेट सतही या अंदरूनी सूजन का उपचार करने की दृष्टि से मूल्यवान है।
इसे बुखार की स्थिति में भी कारगर ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। सिर पर ठंडे लपेट के बराबर इस्तेमाल से शरीर का तापमान कम हो जाता है।
हृदय क्षेत्र के ऊपर ठंडे लपेट का इस्तेमाल करने से धड़कन धीमी पड़ती है और इससे ह्रदय तथा फेफड़ों से गुजरते समय रक्त का तापमान (खून का टेंपरेचर) कम हो जाता है। चेहरे तथा रीढ़ के ऊपर हिस्से पर ठंडा लपेट रखने से नाक से खून बहना जिसे आम भाषा में नकसीर भी कहा जाता है बंद हो जाता है। इससे बवासीर में बहने वाला खून ऊपर बताए गए अवयवों के रक्त रिसाव को बंद करने में मदद मिलती है।
शरीर के किसी भी अंदरूनी हिस्से में होने वाला रक्त रिसाव तथा बाहरी जख्म से बहने वाले खून को रोकने के लिए ठंडे लपेट को बर्फ की थैली के जरिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बहुत ज्यादा उल्टियां होने पर बर्फ की थैली को पेट पर रखा जा सकता है।
डर्मेटाइटिस की स्थिति में ठंडे लपेट के इस्तेमाल से त्वचा को ठंडक पहुंचती है और आंखों के बाहरी हिस्सों में होने वाली जलन से छुटकारा मिलता है। नेत्र गोलक के प्रभावित हो जाने पर ठंडा लपेट थोड़ी सिकाई करने के बाद रखना चाहिए।
पेट पर ठंडा लपेट (ठंडे तौलिए का पैक) -
विधि -
एक तौलिया ठंडे पानी अभी गोरिए और इसे मैं छोड़कर अतिरिक्त पानी बाहर निकाल दीजिए तौलिए को 12 से 14 इंच लंबी और 10 इंच चौड़ी तीन चार पर्तो मैं मोड़ें। तौलिया पेट पर रखकर इसे किसी सूखे तौलिए या ऊनी कपड़े से ढक दें। 10 मिनट बाद तौलिए को लपेट दें जिससे इसका ऊपर वाला सिरा पेट को छूने लगे। इसे और 10 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें। जरूरी होने पर तोलिया को दोबारा ठंडे पानी में भिगोकर लंबे समय तक यह क्रिया दौराई जा सकती है।
लाभ -
इससे पेट के अवयवों में रक्त के संचार में वृद्धि होती है, तथा तंत्र का तंत्रिका प्रणाली को शांति मिलती है। इसके इस्तेमाल से आराम महसूस होता है। तथा पाचक अवयवों जननांगों एवं मूत्रीय अवयवों में दर्द कम होता है, एवं रक्त संकुलता से छुटकारा मिलता है।
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