गर्म लपेट इस तरह से लपेटा गया ठंडा लपेट होता है, जिससे जल्दी ही गर्माहट आने लगती है। गर्म लपेट में ठंडे पानी में भिगोए हुए लीनिंन कपड़े की तीन या चार परतें होती है। इसे में छोड़कर किसी सूखे कपड़े, फलालेन के टुकड़े या कंबल से अच्छी तरह ढक दें। जिससे की हवा बाहर ना निकल पाए और शरीर को अपनी गर्माहट मिल सके। इस लपेट को कम से कम एक घंटे तक रखना चाहिए, लेकिन कभी-कभी इसे कई घंटो तक रखा जा सकता है।
गर्म लपेट |
रात में इस्तेमाल करते समय अगर मरीज को नींद आ जाए तो उसे जगाना नहीं चाहिए। लपेट हटाने के बाद उस जगह को गीले कपड़े से रगड़ कर तौलिए से सुखा देना चाहिए।
गर्म लपेट को -
गले - गला लपेट,छाती - छाती लपेट (छाती पैक),कमर - कमर लपेट,पेट - पेट लपेट,जोड़ो - जोड़ लपेट।
इत्यादि पर लगाया जा सकता है। नीचे बताए गए सभी लपेटो में ठंडे पानी का ही इस्तेमाल किया जाता है।
(1) छाती लपेट -
सामग्री -
दो सूती छाती लपेट और एक कंबल लपेट। लपेटने का साइज मरीज की छाती के आकार को ध्यान में रखते हुए 2-2.5 मीटर लंबा और आधा मीटर चौड़ा होना चाहिए।अवधि -
कम से कम 30 मिनट एवं ज्यादा से ज्यादा एक घंटा।विधि -
एक सूती लपेट को ठंडे पानी में भिगो कर निचोड़ लें। यह कपड़ा पीठ पर रखा जाता है तथा इसके दो सिरे बगल के नीचे से आगे की ओर लाएं जाते हैं। इन सीरो का दाहिना आधा हिस्सा बाएं कंधे पर तथा बाया आधा हिस्सा दाहिने कंधे पर लगाएं। यह दोनों सिरे पीछे की और एक दूसरे को क्रॉस कराते हुए और इनके सिरे बगलो के नीचे से सामने की ओर लाकर बांध दिए जाते है। इसे सूखे कपड़े से और फिर फलालेन के टुकड़े से ढके। यह लपेट, जितना संभव हो सके आराम से और कसकर बांधना चाहिए।लाभ -
इस लपेट का अत्यंत आरामदायक असर पड़ता है इसलिए अधिकांश मरीजों को कुछ 1 मिनट में ही नींद आ जाती है। ध्यान रहे अगर मरीज को नींद आ जाए तो उसे जगाना नहीं चाहिए।यह सर्दी जुकाम, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, प्लुरसी, निमोनिया, बुखार, खांसी, काली खांसी इत्यादि में अत्यंत लाभकारी है।
(2) पेट लपेट -
सामग्री -
दो या ढाई मीटर लंबे और आधा मीटर चौड़े सूती कपड़े के दो टुकड़े। 1*2½ का कंबल का टुकड़ा।अवधि -
कम से कम 1 घंटा।पेट लपेट |
विधि -
सूती कपड़ा ठंडे पानी में भिगोएं और इसे निचोड़कर अतिरिक्त पानी निकाल दें। अब इस कपड़े को पेट पर पसलियों के नीचे से कमर तक लपेटे इसके ऊपर सूखा कपड़ा और इसके बाद फालालेन का टुकड़ा कसकर लपेट दें।लाभ -
पेट लपेट, गैस्ट्राइटिस, अम्ल पित्त, बदहजमी, जिगर में अपर्याप्त रक्त संचार, पीलिया, कब्ज, तथा पेट के अन्य दूसरे अवयवों से संबंधित विकारों में उपयोगी रहता है।(3) गीला कमर लपेट -
सामग्री -
दो जोड़े अंडरवियर एक सूती तथा दूसरा मोटा सूती या फिर उन्हीं ऊनी।अवधि -
एक घंटा या इससे कम।विधि -
अंडरवियर से पूरा पेल्विक रीजन (कमर के नीचे का हिस्सा) ढक जाना चाहिए। मरीज को यह सूती अंडरवियर ठंडे पानी में भिगोने के बाद निचोड़ कर पहनना चाहिए। मोटा अंडर वियर इसके ऊपर पहनना चाहिए।लाभ -
यह समस्त पेल्विक और जननांग एवं मूत्र संबंधी विकारों तथा विशेष रुप से निम्न बीमारियों के उपचार में उपयोगी है। डिसमेनोरिय (रजोधर्म की अवधि में तकलीफ होना), अतिरज: स्त्राव (रोज धर्म के दौरान जरूरत से ज्यादा रक्त रिसाव), ल्यूकोरिया (स्वेत प्रदर) तथा रिकरिंग अपेंडिसाटिस, मूत्र अस यती, ज्वलनशील बहू मुत्र, मूत्र नली में संक्रमण, खूनी बवासीर, गर्भाशय में फाइब्रॉयड की वजह से रक्त रिसाव तथा पेल्विक क्षेत्र में जलन और संकुलन।(4) गला लपेट -
सामग्री -
दो सूती कपड़े (एक ठंडे पानी में भीगा हुआ और दूसरा सूखा) तथा एक फॉलालेन का टुकड़ा (प्रत्येक की लंबाई 6 फीट चौड़ाई 5 इंच)।विधि -
भीगे कपड़े को कई परतों में गर्दन पर लपेट लें, इसके बाद अन्य दूसरे लपेट की तरह इसके ऊपर सूखा कपड़ा और सबसे ऊपर फलालैन का सूखा कपड़ा लपेटे।अवधि -
कम से कम एक घंटा।लाभ -
गला लपेट गला बंद हो जाने या आवाज बैठ जाने टॉन्सिलाइटिस, फैरिंजाइटिस, लैरिंजाइटिस, कंठ कर्ण नली की सूजन आदि के उपचार में उपयोगी है।(5) घुटना लपेट -
दूसरे लपेंटो की तरह घुटना लपेट भी सिकाई करने वाला लपेट है जिसे घुटनों का इस्तेमाल किया जाता है।सामग्री -
गला लपेट में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री।अवधि -
कम से कम एक घंटा।लाभ -
घुटनों के जोड़ों के लिए यह लपेट घुटनों की सूजन का उपचार करने और अर्थराइटिस में दर्द व अकड़न से आराम दिलाने की दृष्टि से उपयोगी है।यह भी पढ़ें 👉
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