भाप(स्टीम) की प्रथा सालों पहले से चली आ रही हैं रोम और यूनान जैसे देशों के लोग भी भाप भाग लेना पसंद करते थे। भाप लेने की विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं जो अलग-अलग तरह से काम करते हैं आप लेने से ब्लड वेल्स में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक हो जाती है जिससे शरीर की गंदगी साफ होती है और बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है।
नीचे भाप (स्टीम) लेने के विभिन्न प्रकार बताए गए हैं ।
• नाक से भाप लेना -
सामग्री -
फेशियल सोना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला उपकरण इसके लिए भी सुविधाजनक रहता है। यह उपकरण उपलब्ध ना होने पर पानी को भाप उठने तक किसी अन्य बर्तन में भी उबाला जा सकता है।
उपचार की अवधि -
5 से 8 मिनट तक करना सही होता है।
विधि -
इस उपकरण कोस दूर पर रखें तथा इसमें एक कप पानी डालकर इसका स्विच ऑन कर दें। कुछ ही क्षणों में भाप निकलने लगती है। इस उपकरण के ठीक सामने स्टूल पर बैठकर इसके ऊपर झुके और नाक व मुंह से भाप लें।
सिरको अच्छी तरह से मोटे तोलिए के साथ ढक कर रखें। इस बात का ध्यान रहे कि अधिक भाप अंदर ना लें, क्योंकि ऐसा करने से नाक की संवेदनशीलता नष्ट हो जाती है और आंखों में जलन पैदा होने लगती है। चेहरे को हल्के से ठंडे पानी से धो व पोंछ कर सुखा लें।
लाभ -
यह क्रिया सर्दी जुकाम,डिप्थीरिया,टॉन्सिलाइटिस, और साइनसाइटिस का इलाज करने में उपयोगी है। फैरिंग्स व लैरिंग्स में सूजन या सर्दी लगने से कंठ कर्ण नली (यूस्टेशियन ट्यूब) के पूरी तरह बंद हो जाने की स्थिति में नाक से भाप लेने से भारी और तुरंत लाभ होता है। इससे साइनसाइटिस, रक्त-संकुलता या पुराने जुकाम की वजह से होने वाले सिर दर्द से छुटकारा पाने में भी मदद मिलती है अस्थमा और एंफिसिमा (वातस्फीति) के मामलों में यह क्रिया एक शक्तिशाली कफोतसारक (बलगम निकालने वाले) के रूप में काम करती है।
• भाप कक्ष (स्टीम रूम) -
सामग्री -
इस उद्देश्य के लिए विशेष रुप से बनाया गया कमरा। छिद्र नलियों की मदद से भाप कमरे में पहुंचाई जाती है।
उपचार की अवधि -
10 मिनट से 20 मिनट या बहुत अधिक पसीना आने तक।
विधि -
भाप कक्ष में जाने से पहले मरीज को 1 से 2 गिलास ठंडा पानी पीना चाहिए और ठंडे पानी से नहाना चाहिए। ठंडे पानी से नहाने के शीघ्र बाद एक गिलास नींबू का ठंडा रस पीने से शरीर में ताजगी आ जाती है। मरीज को 30 से 45 मिनट तक आराम करना चाहिए।
चेतावनी -
कभी-कभी स्नान करते समय मरीज का सिर घूमने लगता है या उसे बेचैनी होने लगती है। ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत कमरे से बाहर निकाल कर उसे एक गिलास ठंडा पानी पीने को देना चाहिए और उसका सिर ठंडे पानी से धोना चाहिए। इन लक्षणों के दूर होने तक उसे पर्याप्त विश्राम करना चाहिए।
लाभ -
भाप कक्ष त्वचा की सतह से अपशिष्ट पदार्थों को हटाने का शक्तिशाली इलाज है। इस स्थिति को कभी-कभी "त्वचा कब्ज" भी कहा जाता है। भापकक्ष अर्थराइटिस (अस्टियो और रूमेटाइड), गाठिया यूरिक अम्ल संबंधी विकार और मोटापे का उपचार करने में सहायक हैं। भाग कक्ष समस्त प्रकार के पुराने टांकसिमिया (विष रक्ता) में प्रभाव कारी है।
इससे शियाटिका चेहरे व रीढ़ की तंत्रिकाओं की दुर्बलता, मेरुरज्जु के क्रियाशीलता संबंधी विकारों आदि की स्थिति में भी आराम मिलता है। पुराने नेफ्राइटिस (व्रक्क शोथ), माइग्रेन (आधा सीसी का दर्द), मलेरिया की वजह से होने वाली तंत्रिकाओं की दुर्बलता आदि में भी इस उपचार की सलाह दी जाती है।
चेतावनी -
अत्यंत कमजोर मरीजों को, हृदय रोगों तथा उच्च रक्तचाप व बुखार से ग्रस्त मरीजों को भाप स्नान नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ें 👉
• सौना बाथ -
आधुनिक सौंना बाथ के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली चेंबर पुराने समय की टर्किश बाथ चेंबर्स का ही सुधरा हुआ रूप है। देवदार या चीड की लकड़ी से खास तौर पर बनाई गई कैबिन इस कार्य के लिए इस्तेमाल की जाती है। केबिन के आकार पर निर्भर करते हुए एक समय में 2 से लेकर 10 मरीजों तक का उपचार किया जा सकता है।
उपचार अवधि -
20 मिनट तक उपयुक्त होगा।
विधि -
चेंबर में जाने से पहले मरीज को ढेर सारा ठंडा पानी पीना चाहिए और ठंडे पानी से नहाना चाहिए। कैबिन में रहने के दौरान व्यक्ति को अपना शरीर अक्सर ही रगड़ते रहना चाहिए, जिससे सतही वाहिकाएं फैल सके। अंदर खांसी गर्मी अनुभव होने पर व्यक्ति को फिर ठंडे पानी से नहाकर केबिन में लौटना चाहिए। अंततः दूसरी बार पसीना आ जाने पर मरीज को ठंडे पानी से नहा कर जल्दी से अपना शरीर सुखा लेना चाहिए। इसके बाद 30 से 40 मिनट तक आराम करना चाहिए। एक गिलास नींबू का रस पीने से शरीर में ताजगी आ जाएगी।
चेतावनी -
अगर मरीज को लगे किसे चक्कर आ रहा है, तो तुरंत यह उपचार रोक कर उसे तुरंत ठंडे पानी से नहलाना चाहिए। 20 से 30 मिनट तक आराम करने से यह लक्षण दूर हो जाएंगे।
लाभ -
यह स्नान अधिकांश पुराने विकारों के उपचार में उपयोगी है, जैसे: रूमेटिज्म, पुरानी बदहजमी और पित्त की वजह से होने वाली विषरक्तता, मोटापा, शिआटीका, लंबेगो, महा वाहिनी से जुड़ी दर्द भरी तकलीफे।
चेतावनी -
हृदय संबंधी रोगों, त्वचा संबंधी विकारों, मधुमेह, एकजाफ्थैलिमिया, गला फूलना, आर्टीअरि ऑस्कलिरोसिस (धामनी- कठिन्य), उच्च रक्तचाप, एडवांस नेफ्राइटिस, ज्वर तथा कमजोरी का शिकार मरीजों को यह स्नान नहीं करना चाहिए।
• स्पंज बाथ -
स्पंज बाथ उन सैंयाग्रस्त मरीजों को कराया जाता है, जो काफी समय से बीमार और अत्यंत दुर्बल होते हैं।
सामग्री -
एक बाल्टी, एक टर्किश तौलिया या टर्किश कपड़े से बने दस्ताने तथा विस्तर ढकने के लिए रबर की एक चादर।
अवधि -
शरीर के प्रत्येक अंग के लिए 3 से 5 सेकंड।
विधि -
मरीज को एक चादर ओढ़ा देनी चाहिए। तौलिया या दस्ताने को बार-बार पानी में भिगोकर शरीर के अंग को निम्न क्रम में रगड़ कर साफ़ किया जाता है: पैर, हाथ,छाती और पेट। इसके बाद मरीज को धीमे से करवट दिला कर उसकी कमर पर स्पंज करना चाहिए। उसका चेहरा और सिर धोकर इसे जल्दी से पोंछ कर सुखा देना चाहिए। इसके बाद मरीज को चादर उड़ा देनी चाहिए।
पानी का तापमान इस बात पर निर्भर करता है की रोगी की हालत कैसी है इसका प्रभाव कितना होना चाहिए। तेज बुखार होने पर 18 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाला पानी से ठंडा स्पंज करने से बुखार कम हो जाता है। लेकिन अत्यंत कमजोर मरीज या उन व्यक्तियों को, जिन्हें सर्दी लगकर बुखार चढ़ता है स्पंज कराने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
गर्म पानी से बार बार स्पंज कराने से त्वचा की नमी बढ़ जाती है जिससे भाप बनकर उड़ने से बुखार कम हो जाता है।
इस स्नान का टॉनिक जैसा प्रभाव प्राप्त करने के लिए पानी का तापमान लगभग 10 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए और मरीज का शरीर अधिक से अधिक 5 मिनट तक जोर-जोर से रगड़ना चाहिए। ठंडा स्पंज मिक्सडीमा, हृदय संबंधी रोगों व जलंधर के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
गर्म स्पंज करते समय तापमान उतना होना चाहिए जितना कि बर्दाश्त किए जा सकते हैं और इसकी अवधि कम होनी चाहिए। इससे भारी जुकाम, बदन दर्द, बुखार, रीढ़ की अकड़न, सिर दर्द, पित्त उछलने, खुजली और अनिद्रा की स्थिति में बेहद आराम मिलता है।
रीढ़ पर बारी बारी से गर्म और ठंडा स्पंज करने से हृदय एवं स्वशन केंद्र उत्तेजित होने लगता है और इसलिए यह क्रिया सभी प्रकार की विष रक्तता का उपचार करने में उपयोगी है। तंत्रकीय सिर दर्द में इससे केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली को आराम मिलता है और दर्द कम होता है यह मोंच, चोट और रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज में भी सहायक है।
यह भी पढ़ें 👉
🙏 लपेट कम्प्रेस और सिकाई कैसे करें।
🙏 प्राकृतिक गर्म लपेट चिकित्सा जाने पूर्ण विधि व लाभ
Tags:
Beauty & Wellness