दवाब, दवाब वह अवस्था है जब यह पताल चल जाता है की व्यक्ति की किसी विशेष परिस्थिति से तालमेल स्थापित करने की क्षमता बहुत अधिक हो गई है। तालमेल संबंधी व्यवहार में होने वाले परिवर्तन से दबाव पैदा हो सकता है। दबाव का स्तर कैसा भी क्यों ना हो- शारीरिक, मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक-इसका परिणाम दबाव प्रतिक्रिया के रूप में निकलता है, जो शरीर के लिए हानिकारक होती है और जिसके कारण उच्च रक्तचाप, स्नायु संबंधी विकार, अवसाद, पाचन तंत्र संबंधी विकार और अरक्तताजन्य रोग आदि पनपने लगते हैं।
दबाव व तनाव |
शारीरिक दबाव मौसम, शोर-शराबे, प्रदूषण या बीमारी के कारण पैदा होता है।
क्रोध, निराशा, हर्ष, दुख, प्रसन्नता व घबराहट जैसी मनोभावनाओं से मनोवैज्ञानिक दबाव पैदा होता है।
कतिपय मात्रा में दवाओं का होना ठीक है, क्योंकि इससे हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपेक्षित शक्ति, बल व प्रोत्साहन मिलता है। इस तरह के दबाव को वास्तव में सकारात्मक दबाव कहा जाता है।
दबाव पर प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। जीवन के प्रति दृष्टिकोण और काम करने की पद्धति, जिसके जरिए व्यक्ति दवा संबंधी परिस्थितियों से उबरने के लिए तालमेल स्थापित करता है, वे उल्लेखनीय कारक है, जिनसे उसकी दवा प्रक्रिया निर्धारित होती है।
क्या करना चाहिए? -
- निदान पहला कदम है। सबसे पहले दवाओं की परिस्थिति का पता लगाना चाहिए।
- दबाव से संबंधित लक्षणों की संभावना को सामान्य रूप से स्वीकार करना चाहिए।
- दबाव को समुचित रूप से व्यवस्थित रखने के लिए शरीर को आराम दिलाने वाली पद्धतियां अपनानी चाहिए, जैसे- योग निद्रा, शवासन, बायोफीडबैक, कार्य उत्सर्ग, ध्यान।
- संतुलित आहार तथा निर्धारित समय पर भोजन करना चाहिए।
- नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करना चाहिए,जैसे सैर करना योगासन व प्राणायाम का अभ्यास करना।
- प्रतिदिन 30 मिनट तक ठंडा रीड स्नान करना चाहिए।
- बीच-बीच में पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए, जिससे आम तौर पर अन्य दूसरे लाभों के साथ साथ सही के अवयवों को आराम मिल जाता है।
- आमतौर पर गर्म पानी में स्नान करने से शरीर की प्रणालियों को आराम मिलता है।
- न्यूट्रल इमर्शन स्नान से आराम मिलता है।
- छाती लपेट का प्रयोग न्यूट्रल रीढ़ स्नान नियमित रूप से करना भी लाभकारी होते हैं।
- न्यूट्रल वर्लपूल स्नान, पानी के नीचे मालिश, भाप व सौना स्नान तथा कंट्रास्ट पैर स्नान भी लाभकारी है।
- 30 से 45 मिनट की अवधि का ठंडा पैर स्नान करने से तनाव दूर होता है।
- विवेकपूर्ण लक्ष्य नियत करने, समस्त परिस्थितियों में शांत बने रहने, का समय उद्देश्य पूर्ण ढंग से उपयोग करने, समुचित विश्राम करने की आदत डाल लेने से भी दबाव प्रतिक्रिया से उबरने में भी सहायता मिलती है।
माइग्रेशन (आधा सीसी का दर्द) -
माइग्रेन का कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है, जिसने विश्व की 12% आबादी को अपनी चपेट में ले रखा है माइग्रेन कोई नई चीज नहीं है। इसका दौरा पड़ने पर सिर में एक और हथौड़ी जैसे बजने का एहसास होता है या लूप लूप होने लगती है। इसके साथ ही जी मचलने लगता है और उल्टियां होने लगते हैं। माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति एस के दौरे की तीव्रता को समझ सकता है इसका दौरा पढ़ते ही मरीज का सारा काम बंद हो जाता है, और मैं कुछ करना जैसे बहुत ही मुश्किल हो जाता है।माइग्रेन या तो क्लासिकी माइग्रेन का रूप लेता है या फिर साधारण माइग्रेन का। क्लासिकी माइग्रेन के दौरे को इसके फल स्वरुप शरीर में होने वाली प्रतिक्रियाओं को देखकर या अन्य दूसरी तरह के माइग्रेन के दौरे से अलग पहचाना जा सकता है। इसका महत्वपूर्ण लक्षण तो यही है कि इस का दौरा पड़ने का पहले से ही आभास होने लगता है। इस लक्षण से ऐसा अजीब आभास होता है कि व्यक्ति पूरी तरह ठीक और स्वस्थ है। यही वह बात है जो व्यक्ति को संभावित दौरे के प्रति सचेत करती है। आमतौर पर धुंधला दिखाई देना माइग्रेन के आरंभिक लक्षणों में से है जो 15 से 30 मिनट में अपने पराकाष्ठा पर पहुंच जाता है और इसके बाद यह स्थिति लुप्त हो जाती है। सामान्य दृष्टि के लौटने में लगभग एक घंटा लग जाता है। इसके बाद सिर में एक ओर खास तरह का दर्द होने लगता है सिर में हथौड़े बजने लगते हैं, जी मिचलाने लगता है, और उल्टियां होने लगती है।
यह दर्द शुरू में हल्का उसके बाद माध्यम हो जाता है और तत्पश्चात इसकी तीव्रता बढ़कर बर्दाश्त करने से बाहर हो जाती है लगता है सिर में हथौड़ी बज रहे हैं, अक्सर ही यह दर्द तेज रोशनी और भारी शोर-शराबे से विकराल रूप धारण कर लेता है।
क्लासिकी माइग्रेन की अपेक्षा साधारण माइग्रेन पराया हो जाता है। इसका पहले से कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ता और नाही पहले से कोई चेतावनी मिल पाती है। लेकिन माइग्रेन का दौरा पड़ने के संभावित लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।
उपचार (माइग्रेन का सटीक उपचार घरेलू नुस्खे) -
A) दर्द निवारक उपचार -
- पहले दो-तीन दिन तक गर्म पानी का एनिमा लेकर पेट साफ करते हुए इसके बदहजमी व कब्ज जैसी बुनियादी कारणों का उपचार करना चाहिए।
- योगासन, क्रियाओं व प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और शरीर को आराम मिलता है।
- योग निद्रा या शवासन अथवा शरीर को आराम दिलाने से संबंधी क्रियाओं के नियमित अभ्यास से शरीर वह मस्तिष्क को आराम दिलाने में मदद मिल जाती है जिससे माइग्रेन नहीं होता।
- पाचन तंत्र की कार्य क्षमता में सुधार करने के लिए अपनाए जाने वाले अन्य साधन उपायों से भी माइग्रेन का उपचार करने में मदद मिलती है।
B) माइग्रेन का दौरा पड़ने से पहले -
- दर्द के दौरे की संभावना का पता चलने पर मसाले, अचार, चीनी, चाय, तंबाकू मंदिरा और तेज मिर्च के भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दर्द शुरू होने से पहले गर्दन के पिछले हिस्से पर गर्म सिकाई करना भी लाभकारी होते हैं।
C) दौरे के दौरान आराम पाने के लिए -
- सिर की मालिश, इसके बाद पैर के गर्म इमर्शन स्नान, या ठंडे ट्रामा और ठंडी लपेट के इस्तेमाल से दर्द के लक्षणों में कमी आती है।
- स्वयं कोशिश करके उल्टियां करने से पेट खाली हो जाता है और दबाव में कमी आती है।
- नाक से भाप लेने से चेहरे की रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और रक्त के प्रवाह में सुधार होता है, जिससे माइग्रेन के लक्षण में काफी हद तक कमी हो जाती है।
- घर में पैर वाह स्नान से शरीर के ऊपर व निचले हिस्सों में रक्त का प्रवाह वह जाता है और इस तरह रोग के लक्षण कम करने में मदद मिलती है।
D) सामान्य उपाय -
- भाप व सौना स्नान से स्वेद छिद्र खुल जाते हैं, जिनसे पसीने के जरिए विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलती है और आंतरिक प्रणाली की सफाई हो जाती है।
- लंबी अवधि तक गरम इमोशन स्नान का करना भी लाभदायक रहता है जिससे रक्त का प्रवाह ऊपरी सतह की ओर होने लगता है।
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