दीवाली के पावन पर्व को किसी व्याख्या की जरूरत तो नहीं लेकिन वर्तमान में कई तरह की नीबंथ व भाषण प्रियोगिताओं में हम सभी कभी ना कभी भाग लेते ही है। Online hitam द्वारा प्रस्तुत निबंध के माध्यम से आपको भी ऐसी विभिन्न प्रतियोगिताओं में आपको भी अपना स्थान बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही class 3,4,5,6,7,8, के बच्चो के लिए भी यह निबंध काफी उपयोगी है।
दीवाली पर निबंध |
प्रस्तावना -
दीवाली सनातन धर्म के प्रमुख चार त्योहारों में से एक है इसे अत्यंत ही शुभ दिनों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम आपने अनुज लक्ष्मण एवं अपनी पत्नी सीता के साथ चौदा वर्ष का बनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे। संपूर्ण अयोध्या में उनके स्वागत के लिए दीप प्रज्वलित किए गए थे। यह दीप बुराई पर अच्छाई अंधेरे पर उंजाले की जीत का प्रतीक माना जाता है।दीवाली की तैयारियां -
दीवाली की तैयारियां तो लोग पहले से ही शुरू कर देते है। चुकी यह साल में एक बार आती है लोग दीवाली से पहले अपने घरों की सफाई करते है।घरों को नए रंग लगाते है।नए पर्दे, चादर आदि से ले कर घर में रंग बिरंगी लाइट लगा कर घर को सजाते है, घर के बाहर रंगोली बनाते है।
बच्चो में दीवाली को ले कर खास उत्साह देखने को मिलता है बच्चे दीवाली से पहले ही छोटे पटाखों या टिकिया, बंदूक द्वारा लोगो को दीवाली की शुरुआत का एहसास करवाने लगते हैं वही बड़े भी बच्चों को देखकर अपने बचपन को याद करते हैं और दिवाली के उत्सव के लिए लिए मन लगाकर तैयारियां करने लगते हैं।
हर कोई अपने लिए नए कपड़े जूते आदि लेता है वहीं लड़कियों व औरतों के लिए भी एक विशेष मौका होता है मार्केट में दुकानदार साड़ी और सलवार सूट का नया कलेक्शन लेकर आते है और मार्केट में सबसे ज्यादा भीड़ भी महिलाओं की ही देखने को मिलती है।
जहा महिलाएं घर की सज सज्जा के समान से ले कर कपड़े और सोने चांदी तक की खरीदी करती है। और बच्चे भी अपनी पसंद के पटाखों को घर के बड़ों के साथ जा कर खरीदते है।
दीपावली में धनतेरस का क्यों मानते है (धनतेरस का महत्व) -
ऐसा कहा जाता है कि जब असुर और देवताओं द्वारा समुंद्र मंथन किया जा रहा था तब कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि हाथो में स्वर्ण कलश ले कर प्रकट हुए थे। ये भगवान विष्णु के अंश कहे जाते है और आयुर्वेद का संदेश देते है यही कारण है कि भारत सरकार धनतेरस के दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मानती है।इस कारण ही दीवाली के दो दिनों पहले हर साल धनतेरस या धन्य तेरस मनाया जाता है इस दिन लोग सोने, चांदी या फिर बर्तन की खरीद करना शुभ मानते है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी कम से कम एक छोटा बर्तन जरूर खरीदता है।
जैन धर्म में भगवान महावीर से जुड़ी मान्यता से धन तेरस को ध्यान तेरस कहते है
दीवाली में किसकी पूजा की जाती है -
मान्यता है कि पूर्व में ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए श्राप के कारण महालक्ष्मी का स्वर्ग से लोप हो गया था जिसके बाद देवता बहुत कमजोर पड़ गए थे। अन्य देवताओं की विनती पर ब्रम्हा जी ने समुंद्र मंथन का सुझाव दिया जिससे माता लक्ष्मी का धरती पर पुनः प्रादुर्रभाव होना संभव हो और इस तरह कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी जी धरती में प्रकट हुई।यही कारण है कि दीपावली के दिन माता महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कुछ लोग लक्ष्मी गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती की भी पूजा करना शुभ मानते है। जिससे घर में धन ऐश्वर्य के साथ ज्ञान और बुद्धि का भी आगमन हो।
दीवाली का त्यौहार कैसे मनाए -
दीवाली के दिन सुबह से लोग दिवाली पूजा के लिए तैयारियों में जुट जाते हैं घरों में फूलों की माला लगाई जाती है श्री लक्ष्मी और गणेश की छोटी मूर्ति लाई जाती है एवं इसके साथ ही लाई बतासे एवं अनेकों तरह की मिष्ठान घर में बनाएं वह खरीद कर लाए जाते हैं।घरों की चौखट में आम के तोरण लगाए जाते हैं घर के मुख्य द्वार में लड़कियां बड़ी ही सुंदरता से अलग-अलग तरह की रंगोलियां बनाती हैं। लोग घरों की अच्छी तरह से साफ सफाई कर घर को सजाते हैं जिससे देवी महालक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में प्रवेश करें।
दिए गए शुभ मुहूर्त के अनुसार लोग अपने घरों में दिवाली का पूजन शुरू करते हैं जिसमें वह घर के गल्ले की , पटाखों की एवं लाई गई लक्ष्मी गणेश की पूजा करते है पूजन के बाद लोग रात भर घर का मुख्य दरवाजा खुला रखते हैं जिससे देवी लक्ष्मी उनके घर प्रवेश कर सके।
दिवाली पूजा के बाद लोग अपने आपसे रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलकर बधाइयां देते हैं पूजा का प्रसाद बांटते हैं और बच्चे घर के बड़ों के साथ मिलकर पटाखे चलाने का आनंद लेते हैं।
भारत व दुनिया के विभिन्न हिस्सों में दीवाली का महत्व, दीवाली से जुड़ी अनोखी मान्यताएं -
- लगभग संपूर्ण भारत में दिवाली पूजन के बाद जुआ खेलने की अनोखी प्रथा है जिससे लोग अपने आने वाले साल का आकलन करने की कोशिश करते हैं।
- दिवाली के अगले ही दिन छोटे या बड़े व्यापारी वर्ग अपने पुराने बही खातों को छोड़ कर नए बही खाते बनाते हैं।
- किसान वर्ग अपनी समृद्धि के लिए उनके खेतों में पकी खरीफ की फसल के अच्छे दामों की कामना करते हैं।
- भारत से सटे हुए मित्र देश नेपाल में दिवाली के दिन ही नए वर्ष की शुरूआत मानी जाती है।
- सिख धर्म में भी, दिवाली का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण एवं खुशी का होता है क्योंकि इसी दिन उनके छठवें गुरु हरगोविंद सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था एवं अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास किया गया था।
- दिवाली के दिन स्त्रियां ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूप में कचरा भरकर घर से दूर फेंक कर आती है एवं सुख को पीटकर दरिद्रता को दूर भागती है।
- जैन धर्म तीर्थंकर भगवान महावीर ने दीपावली के दिन ही निर्वाण को प्राप्त किया था।
सेफ दीवाली कैसे मनाए -
- दिए प्रज्वलित करने के बाद घरों में ध्यान पूर्वक रखने चाहिए इन्हें एलपीजी सिलेंडर या किसी भी तरह के जलन पदार्थों से दूर रखना चाहिए खिड़की और दरवाजे के पर्दों से भी बचा कर रखना चाहिए।
- बच्चों को बड़ों की देखरेख में ही पटाखे जलाने चाहिए।
- पटाखे चलाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आसपास कोई ना हो या फिर पटाखे से किसी के घर या संपत्ति पर हानि न पहुंचे।
- दिवाली में उपयोग होने वाले मिष्ठान नकली ना हो, संभव हो तो मिठाईयां को घरों में ही बनाना चाहिए।
ग्लोबलवार्मिंग पर दिवाली का असर -
भारत जो की आबादी के मामले में दुनिया का दूसरा बड़ा देश है यहां का कार्बन उत्सर्जन भी अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है।आज के दौर में हम सभी ने देखा होगा कि बारिश का कम गिरना, सूखा पड़ना या जरूरत से ज्यादा पानी गिरना एक आम बात हो गई है। इन सब आपदाओं की एक मूल वजह ग्लोबल वार्मिंग है।
ऐसी हालत को देखते हुए वर्तमान में लगभग सभी देश अपने अपने स्तर पर कार्बन के उत्सर्जन को कम करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं यहां तक की कुछ देशों ने कोयले जैसे महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ का उपयोग भी कम करने का निर्णय लिया है।
इसी इसी कारण हम सभी को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए पटाखों का उपयोग कम करना चाहिए जिससे हमारा वातावरण शुद्ध रहे एवं हमारे वायु मंडल में कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा ना बढ़े।
कोविड-19 में दिवाली का त्यौहार कैसे मनाए
How to celebrate Diwali during covid-19 in Hindi? -
कोविड-19 अब हमारी जिंदगी का एक ऐसा किस्सा बन चुका है जिसे हम चाह कर भी भूल नहीं सकते इसने हमें साफ सफाई का मतलब भली भांति समझा दिया है। इसके अलावा भी कोविड-19 में बहुत सी ऐसी बातें मानव जाति को सिखाई है जो भूलना असंभव ही होगा।कोविड़ - 19 अपने प्रचंड रूप में आ कर मानव प्रजाति को यह संदेश दिया कि हम सभी को मिलने वाली यह फ्री ऑक्सीजन जिसकी हम सभी कीमत भूल चुके थे अगर वक्त रहते हमने कुछ सही कदम नहीं उठाए तो आगे यह पूरी पृथ्वी के लिए विनाशकारी हो सकता।
Covid-19 में सेफ दीवाली मनाने का सबसे बेहतरीन तरीका यही होगा की हमारे द्वारा कम धुआ देने वाले या पटाखों को कम मात्रा में जलाया जाए जिससे वायुमंडल में धुएं की मात्रा ना बढ़ पाए। हमें अपने आसपास कुछ वृक्षारोपण कर दिवाली को और खास बनाना चाहिए। हो सके तो मिठाइयां व अन्य खाद्य पदार्थों को घर में ही बनाना चाहिए।
घर से बाहर मास्क पहनकर ही निकलना चाहिए 2 गज की दूरी का पालन करना चाहिए भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए अधिक लोगों से मेलजोल नहीं बनाना चाहिए अपने परिवार मित्र व आसपास के लोगों से मिलकर दिवाली के त्यौहार को मनाना चाहिए।
उपसंहार -
दिवाली या दीपावली जैसा प्रमुख त्योहार हर साल भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में भरपूर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है भारत के विभिन्न हिस्सों मे लोग दिवाली भरपूर आनंद ले कर मनाते हैं। हिंदू धर्म के अलावा भी अन्य धर्म के लोग पटाखे और आतिशबाजी करके दिवाली का आनंद लेते हैं।जो भारतीय भारत से बाहर विदेशों में रहते हैं वह भी दिवाली को भरपूर आनंद से मनाते हैं घरों में पूजन हवन कर दोस्तों और मित्रों से मिल बधाई देते हैं एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं।
इन सब अच्छी बातों के साथ-साथ हमें जुआ खेलने जैसी कुप्रथा से भी बच कर रहना चाहिए।
यह भी पढ़े 👉
🙏 विजयदशमी / दशहरा पर निबंध
नमस्कार हमें पूरी आशा है कि onlinehitam द्वारा लिखे गए लेख आप सभी पाठको को पसंद आ रहे होंगे। आप अपने सुझाव हमे कमेंट कर जरूर बताए।
नमस्कार हमें पूरी आशा है कि onlinehitam द्वारा लिखे गए लेख आप सभी पाठको को पसंद आ रहे होंगे। आप अपने सुझाव हमे कमेंट कर जरूर बताए।
Tags:
Essay