मोटापा आधुनिक विश्व का एक जटिल विकार है। यह शरीर की वह स्थिति है जिसमें आमतौर पर चर्बी जमने के कारण शरीर का भार इसके वांछनीय स्तर से 10% से भी अधिक बढ़ जाता है।
मोटापा -
मोटापा बढ़ने में सामाजिक कारणों का उल्लेखनीय प्रभाव रहा है। कतिपय परिस्थितियों का मोटे लोगों की खानपान संबंधी आदतों पर भारी प्रभाव पड़ता है। मोटापा बढ़ाने के लिए उत्तरदाई रहन सहन की नकारात्मक पद्धतियों में निम्नलिखित बातें शामिल है :-
खानपान संबंधी अनुचित आदतें।
शारीरिक व्यायाम का आभाव या बैठे रहने की आदत।
मंदिरा, धूम्रपान, चाय, कॉफी, पान, तंबाकू आदि का सेवन।
दबाव व तनाव।
यह सभी कारण मोटापे के लिए एक मूल कारण कहे जा सकते हैं शारीरिक व्यायाम के अभाव के साथ-साथ जरूरत से ज्यादा भोजन करना।
यद्यपि मोटापा अधिकांश मामलों में जरूरत से ज्यादा खाने पीने के स्वभाव के साथ साथ भावात्मक, पारिवारिक, चयापचय एवं अनुवांशिकी संबंधी कारणों की वजह से बढ़ता है, चंद एक मामले में देखा गया है कि अंतः स्त्रावी ग्रंथियों के विकारों की वजह से मोटापा भी बढ़ता है।
वजन पर निर्भर करते हुए मोटापे का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है।
हल्की से मध्यम - अपेक्षित वजन से 10-20 प्रतिशत अधिक।
मध्यम से अधिक - अपेक्षित वजन से 20-30 प्रतिशत अधिक।
बहुत अधिक मोटापा - अपेक्षित वजन से 30 प्रतिशत या इससे अधिक।
उपचार -
- ठंडा कटी स्नान दिन में दो बार। मौसम के अनुकूल होने पर 15 से 20 मिनट तक स्नान किया जा सकता है।
- सप्ताह में एक बार तेल मालिश करने से शरीर की आधारी चयापचय की दर में वृद्धि होती है तथा यह वजन घटाने में सहायक औषधि के रूप में उपयोगी रहती है।
- स्टीम, सौना स्नान शरीर के चयापचय के आधार को बढ़ा देते हैं कथा वजन कम करने में भी सहायक है।
- गर्म पानी में इप्सम साल्ट मिलाकर 15 से 20 मिनट तक स्नान करना भी सहायक होता है।
- फ्रिक्शन स्नान, ग्रेजुएट इमर्सन स्नान, न्यूट्रल वर्लपूल (भंवर) स्नान तथा पानी के नीचे मालिश भी लाभकारी है।
- आम तंदुरुस्ती में सुधार करने के उद्देश्य से किया जाने वाला उपचार मोटापा कम करने के लिए किया जा सकता है।
- उपवास के पहले 3-4 दिनों तक नीबू का रस जैसे कम कैलरी वाले पेय पदार्थों का तथा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना लाभकारी है।
- उपवास शुरू होने में तीन-चार दिनों के दौरान गर्म पानी का एनिमा और उसके बाद उपवास की लंबी अवधि में हर दूसरे दिन एनिमा लेना उपयोगी रहता है।
- इसके बाद सप्ताह में एक बार उपवास रखना काफी होता है।
- उपवास समाप्त करने के बाद व्यक्ति को वजन के अपेक्षित स्तर पर पहुंचने तक स्वयं को कम कैलोरी वाला भोजन लेने तथा नियमित शारीरिक व्यायाम, जैसे-5 किलोमीटर 20 घंटे की रफ्तार से सैर करना तथा शरीर को गर्म करने वाले मुक्त व्यायाम, करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए लेकिन कुछ एक व्यायाम आगे भी जारी रखना चाहिए।
• मधुमेह (डायबिटीज मेलिटस) -
रहन सहन का स्तर ऊंचा हो जाने से प्रत्येक व्यक्ति ढेर सारे खाद्य पदार्थों में से अपनी पसंद के भोजन को चुनने में सक्षम हो गया है औद्योगिक दृष्टि से विकसित देशों में खाद्य पदार्थ की प्रचुरता एक मिलाजुला वरदान साबित हो चुकी है। रेफ्रिजरेशन तथा खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक खाने योग्य बनाए रखने और इन्हें प्रक्रियाबध करने वाली तकनीक के कारण वसायुक्त खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक भंडारित करना संभव हो गया है, जो अन्यथा इस्तेमाल ना किए जाने पर अल्पावधि में ही बासी हो जाते हैं या सर जाते हैं। इसके अलावा अधिकांश समय बैठे रहने या बैठकर काम करने की आदतों के कारण, व्यायाम के अभाव तथा जीवन के तनावग्रस्त होने के कारण भी कई प्रकार की विकराल बीमारियों की दिशा में मार्ग प्रशस्त हुआ है, जैसे-मोटापा, मधुमेह, हृदय संबंधी बीमारियां, गुर्दे संबंधी विकार, गर्दन व पीठ में दर्द, इत्यादि।विगत 25 वर्षों के दौरान क्षेत्र में किए गए कई प्राकृतिक सर्वेक्षण कार्य से ज्ञात हो चुका है की पश्चिम के विकसित देशों के साथ-साथ विकासशील देशों में भी मधुमेह के रोगियों की संख्या 3-4 प्रतिशत है गांव वासियों की अपेक्षा शहरवासी अधिक संख्या में मधुमेह के शिकार होते हैं।
मधुमेह की परिस्थितियों में शरीर के भीतर रक्त में शर्करा (चीनी) की मात्रा बढ़ जाती है। इसे व्यापक रूप से इंसुलिन पर निर्भर करने वाले या जुवेनाइल डायबिटीज (जिसमें रक्त में शर्करा बढ़ाने से रोकने के लिए इंसुलिन दी जाती है)
तथा इंसुलिन पर निर्भर ना करने वाले मधुमेह के रूप में विभाजित किया गया है, जिस पर आहार और व्यायाम के जरिए ही काबू पाया जा सकता हैं।
ऐसे कई कारण है जिनसे कुछ व्यक्तियों के मधुमेह ग्रस्त हो जाने की पहले से आशंका रहती है जैसे -परिवार में मधुमेह मोटापे शारीरिक निष्क्रियता तनाव व संघता (ट्रामा) और आवश्यकता से अधिक भोजन करने की वजह से पहले ही कुछ 1 सदस्यों का इस रोग का शिकार होना। जरूरत से ज्यादा प्यास और भूख लगना बार-बार पेशाब करने की इच्छा मधुमेह के आम लक्षणों में से है। वजन में गिरावट तथा कमजोरी को इन लक्षणों में शामिल किया जाता है।
उपचार -
- प्रतिदिन 15 से 20 मिनट तक पेट पर मिट्टी लपेट रखने से पेट व श्रेणी प्रदेश (पेल्विक रीजन) अवयवों में रक्त की संचार में सुधार होता है और इनकी विशेषकर जिगर व अग्नाशय की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। मिट्टी लपेट के स्थान पर तालियों के ठंडे लपेट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- मौसम के अनुकूल होने पर प्रतिदिन 15 से 20 मिनट तक ठंडा कटी स्नान कराने से भी ऊपर बताए गए लाभ मिलते हैं।
- दो-तीन दिन तक सुबह के समय गर्म पानी का एनिमा लेने से ब्रहदंट्रा में जमा अपशिष्ट पदार्थों को साफ करने में मदद मिलती है।
- 20 मिनट तक गर्म पानी से इमर्शन स्नान तथा 10 मिनट तक ठंडा फ्रिक्शन (घर्षण) स्नान करना कि उपयोगी है।
- कभी-कभी शरीर की मालिश करने से रक्त संचार में सुधार होता है, मांसपेशियां मजबूत होती है तथा आम तन्दरूस्ती में सुधार होता है।
- भोजन करने के 3 घंटे बाद रात में पेट लपेट का इस्तेमाल करने से उदरीय अवयव, विशेष रूप से जिगर व अग्नाशय, सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है तथा चयापचय दर में वृद्धि होती है।
- भाप या सौना स्नान करने से आधारी चयापचय दर में वृद्धि होती है, कार्बोहाइड्रेट की पचने से अतिरिक्त कैलोरी जल जाती है इनसे ग्लूकोस का समुचित परिसारिय इस्तेमाल करने में भी मदद मिलती है।
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