हम सभी ने स्कूल मैं जो भी वक्त बिताया होगा और जो कुछ सीखा होगा वह सब अभी तक हमारे साथ होगा पढ़ाई के अलावा कुछ ऐसी शिक्षाएं भी देता है जो सारी जिंदगी हम नहीं भूलते और अंत तक वह बातें हमारे काम आती है।
इसी कड़ी में अक्सर स्कूल कॉलेज या फिर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं अन्यथा भाषण या डिबेट के लिए हमें कुछ ऐसे टॉपिक्स भी मिल जाते हैं विद्यालय भी कुछ ऐसे ही टॉपिक्स में से एक है।
इसी कड़ी में अक्सर स्कूल कॉलेज या फिर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं अन्यथा भाषण या डिबेट के लिए हमें कुछ ऐसे टॉपिक्स भी मिल जाते हैं विद्यालय भी कुछ ऐसे ही टॉपिक्स में से एक है।
मेरा स्कूल पर निबंध 500 शब्दों में
प्रस्तावना -
स्कूल या विद्यालय वह जगह है जहां बच्चे अपने अच्छे भविष्य और एक सदाचारी जीवन पाने के लिए जाते है विद्यालय हमारे बाल्यकाल में सब कुछ सिखाने वाला हमें हमें अच्छे बुरे की पहचान कराने वाला होता है।एक अच्छा विद्यालय वहां पढ़ने वाले छात्रों की सुख सुविधाओं के साथ उनके पढ़ाई के स्तर पर भी पूरा ध्यान रखता है जो बच्चे विद्यालय जाते हैं उनमें कोई भी मतभेद ना हो इसलिए वहां प्रत्येक छात्र को एक रंग की ड्रेस ही पहनी होती है स्कूल की यूनिफॉर्म में शर्ट, पैंट, सलवार, कमीज़ के बाद टाई और बैज का भी बहुत अधिक महत्त्व होता है जो यह दर्शाता है कि कोई बच्चा किस स्कूल जा संस्थान में अध्ययनरत है।
आदर्श स्कूल का परिसर ऐसा होना चाहिए जो शहर की भीड़ भाड़ वाहनों की आवाज आदि से मुक्त हो अर्थात शांत क्षेत्र में हो, स्कूल के बाहरी आस पास क्षेत्र में शराब, पान, सिगरेट आदि जैसी कोई दुकान ना हो। स्कूल की दीवारें बड़ी होनी चाहिए जो कि पूरे स्कूल को अपने अंदर खेले हुए हैं जिससे कोई भी आवारा पशु या असामाजिक तत्व स्कूल के अंदर बिना अनुमति प्रवेश ना कर सके।
स्कूल का बच्चो पर प्रभाव -
बच्चे जब स्कूल में प्रवेश लेते हैं तब उन्हें किसी भी बात का ज्ञान नहीं होता है वह तो स्कूल उनके आदर्श शिक्षकों के द्वारा दी गई शिक्षा पाकर ही सीखते हैं अच्छे और बुरे हैं परत समझते हैं।जब जब छात्र स्कूल जाने लगते हैं तब उनके सामने एक नई और अलग दुनिया होती है जहां शिक्षक ही उनका मार्गदर्शक होता है छात्रों को वहां नए नए दोस्त मिलते हैं जिनके साथ हम हंसते खेलते यहां तक कि रोते भी हैं।
किसी भी स्कूल में शिक्षा का स्तर तो अच्छा होना ही चाहिए परंतु इसके साथ साथ वहां अन्य वार्षिक, सामूहिक, एवं साहित्य कार्यक्रम भी कराए जाने चाहिए जिससे बच्चों का समाज के प्रति जुड़ाव बना रहे और वे अपनी जिम्मदारियों को भलीभांति समझे।
स्कूल का माहौल -
सामान्यता स्कूलों में एक प्रधानाचार्य होते हैं जो अन्य शिक्षकों के स्टाफ को संभालते हैं प्रधानाचार्य के अलावा किसी भी स्कूल में आवश्यकतानुसार (टीचरस) शिक्षक भी होते हैं जो बच्चों उनके पाठ्यक्रम के अनुसार उन्हें विषय वार पढ़ाते हैं और बच्चों को सही मार्गदर्शन देकर सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं कभी-कभी कुछ बच्चों और शिक्षकों का रिश्ता कुछ इतना गहरा हो जाता है वह माता-पिता से ज्यादा अपने शिक्षक के करीबी हो जाते हैं शिक्षकों को अपना दायित्व भली-भांति निभाना चाहिए। बच्चों को डांटने व डराने की जगह उन्हें अच्छे कामों के लिए जागरूक करें उनकी गलतियों पर उन्हें समझाएं और उनकी गलतियों को सुधारने की प्रेरणा दें यही एक आदर्श और अच्छे शिक्षक की निशानी होती है।उपसंहार -
हमारे समाज में एक अजीब सी धारणा बन चुकी है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का स्तर अच्छा नहीं है और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता अच्छी है और इसी बात का फायदा उठाकर लोग शिक्षा को अपना बिजनेस बना चुके हैं।हमे सरकार द्वारा उठाए जा रहे सकारात्मक कदमों के बारे में भी सोचना चाहिए सरकार लगातार पढ़ाई के स्तर को अच्छा करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है एवं आवश्यकता अनुसार नए कानूनों का निर्माण भी कर रही है।
• मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में
प्रस्तावना -
प्राचीन काल से ही हमारे भारतवर्ष में घर से बाहर जाकर शिक्षा ग्रहण करने की प्रथा रही है।उदहारण के तौर पर आपने महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों को बहुत बार टीवी में देखा या उनके बारे में सुना होगा उन किरदारों में बड़े से बड़े महानायक जिन्होंने इतिहास रचा है। उन्हें भी अपने बाल्यकाल में शिक्षा ग्रहण करने आश्रम जाना पड़ता था। जहां वे लोग माता-पिता से दूर आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते और अपने गुरु की सारी बातें मान कर उन्हें ही अपनी माता और पिता का दर्जा देते।
वर्तमान समय तो पहले जितना कठिन नहीं है लेकिन वर्तमान समय की चुनौतियां कहीं अधिक है इन सब के बावजूद भी हमें मौका मिलता है कि हम सभी स्कूल जाकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें और समाज में एक अच्छा स्थान पाकर अपना अपने माता पिता का नाम ऊंचा करें।
आजकल के बढ़ते कंपटीशन वाले समय में बच्चों को भी हर वक्त अपडेट रहना और अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करना आवश्यक हो गया है स्कूल इन बातों को समझ कर पढ़ाई का स्तर लगातार बदल रहे हैं नए नए क्षेत्रों में हो रही खोजो के अनुसार नया सिलेबस भी डिजाइन किया जा रहा है। जिससे कि बच्चों को इतिहास में हो चुकी की घटनाओं के साथ वर्तमान में हो रही घटनाओं का ज्ञान भी मिले।
शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के मानसिक विकास का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए यही वजह है कि बदलते समय के साथ विद्यालय की परिभाषा भी लगातार बदलती रहती है वर्तमान समय में एक अच्छा विद्यालय वही होगा जो शोरगुल से दूर शांत जगह पर हो जहां का वातावरण साफ हो स्कूल में कम से कम बच्चों के खेलने के लिए एक बड़ा मैदान हो स्कूल में स्वच्छता और हरियाली का भी खास ध्यान रखा जाता हो।
विद्यालय का परिसर कैसा हो ? -
या तो हम पहले ही बता चुके हैं कि एक अच्छा विद्यालय शांत स्थान पर स्थित होना चाहिए स्वच्छ वातावरण एवं शुद्ध व ताजी हवा मिलती रहनी चाहिए स्कूल परिसर में छात्रों के अध्ययन के लिए सुव्यवस्थित कमरे खेलने के लिए बड़ा मैदान आवश्यक होता है।विद्यालय का स्तर -
हम सभी जानते हैं कि विद्यालय में सुबह-सुबह जाते ही छात्रों को सबसे पहले प्रार्थना करनी होती है इसके बाद सारे बच्चे अपनी अपनी क्लास में जाकर उस दिन की पढ़ाई शुरू करते हैं।एक बार कक्षा प्रारंभ होने के बाद बच्चों के विषय वार कक्षाएं चलती रहती हैं और दोपहर लंच के टाइम कुछ देर के लिए छुट्टी मिलती है जहां बच्चे अपना लाया हुआ टिफिन खाकर साथ खेलते हैं और फिर निश्चित समय के बाद अपने आगे की पढ़ाई के लिए अपनी-अपनी कक्षाओं में चले जाते हैं।
जहा शिक्षक आगे की पढ़ाई और ग्रह कार्य का काम आएंगे बढ़ते है। इन सभी कामों के साथ
शाला की पढ़ाई का स्तर ऐसा ही होना चाहिए जहा बच्चो की पढ़ाई पर खास ध्यान रखा जाता है हर जरूरी एक्टिविटी के साथ उसके शारीरिक विकास का भी खयाल रखना चाहिए समय समय पर विभिन्न कार्यक्रम जैसे - खेल कूद प्रतियोगिता , सिंगिंग, डांसिंग, निबंध व भाषण, रंगोली, डिबेट आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन होते रहना चाहिए जिससे बच्चो में उत्सुकता बनी रहे और उन्हें अपना हुनर जांचने का मौका भी मिलेगा।
बच्चो में बढ़ता मोबाइल, टीवी व इंटरनेट का उपयोग -
अब चुकी वक्त तेजी से बदल रहा है टी.वी, कंप्यूटर और मोबाइल आने के साथ ही बच्चो में घर से बाहर जा कर खेलने कि प्रवती कम होती जा रही है बच्चो का सारा टाइम ऑनलाइन गेम्स खेलने और चैटिंग में ही निकल रहा है। फिजिकल फिटनेस के बारे में जैसे बच्चो को कुछ चिंता ही नहीं रही और बच्चो की आंखो में भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बीते कुछ वक्त में हम सभी ने कठोर लॉक डाउन (lock down)का समय भी झेला है। इसके कारण बच्चो के पढ़ाई करने के तरीके में एक बड़ा परिवर्तन आया है इसलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम बच्चों को मोबाइल, कंप्यूटर, और टीवी के प्रयोग को ले कर जागृत करे और उन्हें आउट डोर गेम्स का महत्व समझाएं और इस कार्य की शुरुआत के लिए बच्चों की स्कूल से अच्छी और कौन सी जगह हो सकती है जहां तरह-तरह के आउटडोर फिजिकल प्रतियोगिताओं द्वारा बच्चों को उसका महत्व समझाएं आकर्षक उपहार और सर्टिफिकेट प्रदान कर बच्चों में एक नई उमंग का संचार करें।
उपसंहार -
बच्चों के माता पिता से भी ज्यादा बढ़कर स्कूल का महत्व होता है। बच्चे स्कूल जा कर ही समाज में रहने का अच्छे बुरे का फर्क समझते हैं स्कूल केवल एक शिक्षा का स्थान नहीं बल्कि स्कूल उस कुम्हार की तरह है जो गिल्ली मिट्टी को सही आकार दे कर एक सुंदर और मजबूत मिट्टी के बर्तन में बदल देता है।लड़पन की उम्र पार होने के बाद अक्सर लोग अपने स्कूल के दिनों को याद कर खुश होते है और जीवन में आगे बढ़ते है।
नमस्कार हमें पूरी आशा है कि onlinehitam द्वारा लिखे गए लेख आप सभी पाठको को पसंद आ रहे होंगे। आप अपने सुझाव हमे कमेंट कर जरूर बताए।
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Essay