रजस्त्राव 11 से 13 वर्ष की आयु में शुरू होकर लगभग 45 वर्ष की आयु में बंद हो जाता है। सामान्य तौर पर पाए जाने वाले रजोधर्म संबंधी विकार इस प्रकार है:-गर्भाशय से होने वाला दुषक्रिय रक्त स्राव (डिस्फंक्शनल ट्यूटराइन ब्लीडिंग), रजोधर्म पूर्व संलक्षण, रजोनिवृत्ति के बाद होने वाला रक्त स्राव, कस्टतर्व (डिस्मेनोरिया) और स्वेत प्रदर (लुकोरिया)।
रजोधर्म से जुड़ा रक्तस्राव प्रायः कष्ट दायक व दुर्बल करने वाला होता है और कभी कभी गंम्भीर रूप भी धारण कर लेता है।
गर्भाशय से होने वाले असामान्य रक्त रिसाव का पैटर्न -
अतिरज: स्त्राव (मेनोरेेजिया):
अधिक मात्रा में रक्त रक्तस्त्राव, लेकिन रजोधर्म की v सामान्य हो सकती है।
बहूआतरव (पोलिमेनोरिया):
21 दिन से भी कम समय में रक्त स्त्राव होना।
दीर्घ चक्रीअल्पातव ओलिगो मेनोरिया):
रजोधर्म की अवधि में रक्तस्राव की मात्रा में कमी।
रक्तप्रदर (मेट्रो रेजिया):
रजोधर्म की अवधि में किसी भी समय अनियमित रक्त स्त्राव होना।
प्रगतर्व या राजस्थानी की पूर्व संलक्षण (प्री मेंस्टू अल सिंड्रोम)-
उन महिलाओं में से, जिन्हें रजोधर्म होता है 40% प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम से पीड़ित होती हैं जो राजस्थान की अवधि शुरू होने से 3 से 7 दिन पहले तक होता है इसके लक्षण हैं-सिर दर्द, जी मिचलाना, गुस्सा, थकान, पेट में दर्द, पैरों में हाथों में सूजन, मिठाई खाने की ललक, अवसाद और स्तनों में नरमी। रजोधर्म शुरू होते ही लक्षण आमतौर पर लुप्त हो जाते हैं।
उपचार -
मरीज की स्थिति को सहानुभूति पूर्वक समझना चाहिए और मनोवैज्ञानिक एवं व्यवहार विशेषज्ञ की मदद से उसे भरोसा दिलाना चाहिए।
सुसंतुलित आहार, जिसमें नमक कम हो क्योंकि आमतौर पर रजोधर्म शुरू होने से पहले शरीर में पानी इकट्ठा होने लगता है।
पेशाब खुलकर आए इसके लिए कच्चे नारियल का पानी, जौ का पानी, धनिया का पानी या छाछ का सेवन करना बहुत अच्छा माना जाता है।
पर्याप्त मात्रा में आराम करना जरूरी है नियमित रूप से 10 मिनट तक योग निंद्रा या शव आसन का अभ्यास करना चाहिए।
सिर दर्द की पीड़ा से बचने के लिए सिर की हल्की मालिश और 20 मिनट का पैरों का गर्म स्नान अत्यंत आवश्यक उपयोगी होता है।
नियमित रूप से 5-10 मिनट तक चेहरे पर भाप लेने से सिर में दर्द से आराम मिलता है।
गरम पानी के स्नान से आराम मिलता है थकान वाच अकेलापन दूर होता है।
एक गिलास गर्म दूध में शहद मिलाकर पीने से अच्छी नींद आती है।
जरूरत से ज्यादा रक्त स्त्राव का उपचार -
- प्रतिदिन रात में 1 घंटे तक गीले कटी लपेट का इस्तेमाल।
- रक्त स्त्राव को काबू में रखने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में पेट के निचले हिस्से में बर्फ की तरह ठंडे मिट्टी लपेट का इस्तेमाल करें।
- मीनोरेजिया के दौरान पूरी तरह बिस्तर पर आराम करना चाहिए और टांगे उंची उठाकर रखनी चाहिए।
- यदा कदा ठंडा पैर और बाह स्नान करते रहने से पेल्विक क्षेत्र को रक्त की सप्लाई करने वाली रक्त वाहिका सिकुड़ जाती हैं और इसलिए रक्त स्त्राव कम हो जाता है।
- सुसंतुलित आहार, पर्याप्त विश्राम, सैर करने, योग व प्राणायाम जैसे रोग निवारक उपायों को उपचार का हिस्सा बनाना चाहिए।
- इन विकारों में वे सब उपचार भी हैं, जिनके बारे में पिछले अध्याय में बताया जा चुका है और जिनसे आम सेहत में सुधार होता है।
- अगर लाक्षणिक उपचार के बावजूद रक्त स्त्राव बंद ना हो तो चिकित्सक की राय देना जरूरी हो जाता है इसके लिए तत्काल स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
डिस्मेंनोरिया -
रजो धर्म के दौरान होने वाला दर्द लगभग 60% महिलाओं में पाया जाता है कभी-कभी यह इतना तेज होता है कि रोजमर्रा का कामकाज कर पाना भी मुश्किल हो जाता है।
प्राथमिक डिस्मेंनोरिया -
यह विकार पेल्विक रोग हीनता (अब्सेंस पेल्विक डिसीज) की व्यवस्था में होता है यह रजोधर्म शुरू होने के प्राय: 2 से 3 वर्ष बाद शुरू होता है और 17 से 24 वर्ष की आयु के दौरान गया गंभीर रूप ले लेता है इसके बाद यह लोग अपने आप शांत हो जाते हैं।
सेकंडरी डिस्मेंनोरिया -
गौण डिस्मेंनोरिया आम तौर पर किसी विशेष कारण से होता है, जैसे पहले क्षेत्र में सूजन, गर्भाशय का फाइब्रॉयड, एंडोमेट्रीयोसिस, बच्चेदानी में ट्यूमर या अंदर किसी गर्भाशय युक्त की मौजूदगी जिसमें डिस्मेंनोरिया के ऐसे भी मामलों में जिनका निश्चित कारण ज्ञात होता है चिकित्सक द्वारा उपचार किए जाने पर जांच से राहत मिलती है
उपचार -
- प्रति दिन 10:15 मिनट का ठंडा कटी स्नान करने से रजोधर्म संबंधी सभी विकार ठीक हो जाते हैं।
- उचित मात्रा में नियमित और संतुलित भोजन।
- रजोधर्म की अवधि को छोड़कर नियमित शारीरिक व्यायाम।
- पूरी तरह बिस्तर में आराम करना चाहिए और दोनों टांगे थोड़ी ऊंची उठा कर रखनी चाहिए रजत धर्म के दौरान दर्द होने पर गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।
- अगर रक्त स्त्राव अधिक नहीं है तो ऐठन और दर्द छुटकारा पाने के लिए पेट के निचले हिस्से की गर्म में सिखाई करनी चाहिए।
- गर्भाशय ग्रीवा को फैलाने में मदद करने के लिए गर्म व ठंडा कटी स्नान या गर्म अथवा ठंडी लपेट का इस्तेमाल करना चाहिए ऐसा करन से रक्त स्त्राव खुलकर होता है और दर्द से राहत मिलती है, बताशे ऐसे रक्त स्त्राव की मात्रा अधिक ना हो।
ल्यू कोरिया -
ल्यूकोरिया कोई बीमारी ना होकर डिंबक्षारण (ओवुलेशन) या स्थानिक अथवा दैहिक बीमारी का संकेत मात्र है जिसके कारण सफेद रंग के पदार्थ स्त्राव होने लगता है ऐसा किसी भी अवस्था में हो सकता है और करीब-करीब सभी महिलाएं कभी ना कभी प्रभावित होती है।
इस स्त्राव से बदबू आती है और यह स्वयं रोग ग्रस्त महिला के लिए संकोच का विषय हो सकता है।
इस स्त्राव के होने पर कोई तकलीफ तो नहीं होती लेकिन इस कारण जननांग में इसके आसपास खुजली की शिकायत हो सकती है।
उपचार -
जननांग को गर्म पानी में नीम के पानी से नियमित रूप से धोकर इसकी बाहरी सफाई बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
सेनेटरी नैपकिन और टैंपूनो के इस्तेमाल से जननांग के गीलेपन, खुजली व बदबू कम होगा।
नीम का पानी या इप्सम नमक मिलाकर गर्म पानी से 15 से 20 मिनट तक कटी स्नान करने से खुजली से राहत मिलती है।
नीम के पानी से जननांग के भीतर सफाई करने से संक्रमण आगे नहीं करता और ल्यूकोरिया का प्रभाव घटने लगता है।
रात में 1 घंटे तक गीले कमल लपेट का इस्तेमाल करने से गर्भाशय को शक्ति मिलती है।
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