मध्यप्रदेश राज्य की संस्कार धानी कहे जाने वाला शहर है जबलपुर, जो कि अपने आप में मध्यप्रदेश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां मध्यप्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों के मुख्यालय भी है। इन सब के अलावा यहां कई ऐसे अविस्मर्णीय पर्यटन स्थल भी है जो अपने आप में अनोखे है, इनकी अपनी खासियत व मान्यता है।
पाट बाबा |
आज online hitam के इस लेख में हम आपको
जबलपुर के ऐसे ही एक धार्मिक स्थल पाट बाबा मंदिर (path baba temple) के बारे में बताने वाले है।
श्री पाट बाबा मंदिर भगवान बजरंग बली (हनुमान जी) के लिए जाना जाता है। जबलपुर में यह जगह अपने आप में ख्याति प्राप्त है। बहुत ही अच्छे माहौल एवं थोड़ी ऊंचाई में स्थित होने के साथ यह मंदिर चारो तरफ से छोटे पहाड़ों से घिरा हुआ है। मिलिट्री एरिया में होने की वजह से यह काफी शांति वाला और साफ सुथरा कैंपस है।
मंदिर के पीछे की तरफ वाले भाग में कुछ जंगल नुमा इलाका भी है जहा काफी मात्रा में पेड़ पौधे है। इस हरियाली वाले माहौल में कई पशु पक्षी जैसे - मोर, हिरण, आदि देखने को मिल जाते है। यहां पर मोर काफी संख्या में है। कभी कभी तो आप मंदिर परिसर के आस पास या मंदिर के पीछे बने रास्ते में भी मोर घूमते देख सकते है।
मंदिर तक जाने का रास्ता -
यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही आसान और सीधा है। श्री पाट बाबा मंदिर जबलपुर के कुछ सबसे पुराने हिस्सों में से एक स्थित है। आमतौर पर अगर हम हाईकोर्ट की तरफ से चलना शुरू करें तो हमें सबसे पहले जी.सी.एफ फैक्ट्री तक पहुंचना होगा।पाट बाबा मंदिर |
जीसीएफ फैक्ट्री का रास्ता हम सभी आसानी से अपने मोबाइल में गूगल मैप्स पर देख सकते हैं इस फैक्ट्री के पास पहुंच कर कुछ दूर आगे जाने पर ही लेफ्ट साइड में हमें श्री पाट बाबा मंदिर का प्रारंभिक द्वार नजर आ जाएगा जहां से हमें अंदर जाकर कुछ दूर जाने पर एक और विशाल द्वार नजर आएगा जोकि पहाड़ी नुमा चढ़ान वाले रास्ते पर होगा थोड़ी चढ़ाई पार करने के बाद ही आपको श्री पाठ बाबा मंदिर नजर आने लगेगा और पहुंचते ही सामने एक बड़ा पार्किंग का मैदान भी नजर आ जाएगा। जहां बाइक या कार के लिए बहुत ही अच्छी पार्किंग की व्यवस्था है।
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मंदिर परिसर व झूले -
पाट बाबा मंदिर में साफ सफाई का खास ध्यान दिया जाता है हर चीज की एक उत्तम व्यवस्था है यहां आपको हर तरफ सीमेंटेड टाइल्स वाला फर्श देखने मिलेगा।इस मंदिर का परिसर काफी बड़ा और शांत है यहां के माहौल में आपको सकारात्मक भाव महसूस होगा आपका मन आध्यात्मिक शांति को महसूस करेगा। इन सब बातों के साथ यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हर तरफ सीमेंटेड चेयर्स लगा कर अच्छी बैठक व्यवस्था का इंतजाम भी किया गया है। इन चेयर्स में बैठ कर आप यहां की ताजी और शुद्ध हवा का मज़ा ले सकते है।
अगर आपके साथ बच्चे भी है तो उनके मनोरंजन के लिए एक छोटा प्ले ग्राऊंग भी बनाया गया है यहां फिसल पट्टी और कुछ छोटे झूले लयागे गए है।
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पाट बाबा मंदिर का आध्यात्मिक दृष्टिकोण -
मंदिर की पार्किंग की दूसरी तरफ आपको प्रसाद आदि की दुकानें देखने को मिल जाती हैं जहां से लोग प्रसाद खरीद कर मंदिर के अंदर की तरफ जाते हैं।पाट बाबा सिद्ध पीठ प्रवेश द्वार |
मंदिर के प्रवेश द्वार में एक भव्य लोहे का गेट है जो कि ज्यादातर समय बंद ही होता है। और इसके अगल-बगल दो छोटे गेट बनाए हुए हैं। जोकि भक्तों के आगमन और प्रस्थान के काम आते हैं। मंदिर परिसर में अंदर प्रवेश करते ही आपको दोनों तरफ छोटे-छोटे पेड़ों से सजे बगीचे देखने को मिलेंगे और इसके पीछे की तरफ एक छोटा गार्डन भी देखने को मिलेगा जहां सफाई के नजरिए से प्रवेश सदैव वर्जित होता है।
थोड़ा और आगे चलने पर आपको वहां जूते चप्पल का स्टैंड और कुछ नल लगे हुए मिल जाते हैं। जहां लोग अपने हाथ पैर धो कर मंदिर की तरफ बढ़ते हैं।
यहां आपको मंदिर परिसर के बीचोबीच श्री पाट बाबा महाराज यानी की भगवान बजरंगबली का मंदिर देखने को मिलेगा जो कि यहां का विशेष आकर्षण केंद्र है। प्रत्येक शनिवार व मंगलवार हजारों भक्त यहां दर्शन के लिए आते है।
इस मंदिर में लोगों की आस्था बहुत ही अधिक है। एवं मंदिर परिसर में ही एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ है इस पर बने चबूतरे पर हनुमान जी का एक छोटा मंदिर और है, जहा लोग पूजा कर बरगद की शाखाओं में धागा बांध कर अपनी इच्छा अनुसार मन्नत मानते हैं। पाट बाबा मंदिर में भगवान बजरंगबली के अलावा कई दूसरे भगवानों के भी भव्य मंदिर भी बनवाए गए हैं। प्रमुख मंदिर में भगवान बजरंगबली की मूर्ति के एक और श्री राम, सीता एवं लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापित है तो दूसरी ओर राधा और कृष्ण की मूर्ति देखने को मिलेगी।
सिद्ध श्री पाट बाबा मूर्ति |
मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर गणेश जी की छोटी मूर्ति भी स्थापित की गई है। इसके बाद मुख्य मंदिर के दोनों ओर दो अन्य मंदिर भी स्थापित किए गए हैं जिसमें एक और कांच की दीवारों का बना हुआ श्री दुर्गा मंदिर एवं दूसरी ओर भगवान श्री पाटेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर में एक मनभावन शिवलिंग स्थापित किया गया है।
मंदिर के इस विशाल परिसर में मंदिर के अलावा एक बड़ा यज्ञ शाला, लाइब्रेरी, नाटक मंचन हेतु स्टेज आदि का निर्माण भी किया गया है। आप यहां अपनी श्रद्धा अनुसार यज्ञ हवन, पूजा अनुष्ठान आदि भी करवा करते है।
पाट बाबा मंदिर का अलौकिक इतिहास -
श्री पाट बाबा मंदिर अपने आप में जितना सुंदर और मनोरम है उतनी ही अदभुद एवं अलौकिक श्री पाट बाबा की मूर्ति के प्रकट होने की कहानी भी है।कहा जाता है जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था एवं उनके द्वारा यहां स्थित जी.सी.एफ फैक्ट्री का निर्माण शुरू किया गया उस समय चमत्कारी तरीकों से इसके निर्माण कार्यों में बाधा आने लगी थी। मजदूरों द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्य अचानक ही अज्ञात कारणों से नष्ट हो जाते थे।
तभी फैक्ट्री के निर्माण अधिकारी कर्नल स्टैनली स्मिथ के सपने में पाट बाबा महाराज ने कहा कि-
और इस तरह गन कैरिज फैक्ट्री (GCF) से 12 अगस्त 1903 को सावन माह की शुक्ल पक्ष को दस फीट गहरे गड्ढे में से लाल कपड़े में लपेटकर पर श्री पाट बाबा जी की मूर्ति को बाहर निकाला गया।
और इसके बाद सन् 1960 हस्त नक्षत्र नागपंचमी के दिन निर्माणी क्षेत्र से हट कर पहाड़ी क्षेत्र में घनी वादियों के बीच संपूर्ण विधि विधान से इस मूर्ति को प्रतिष्ठित करवाया गया और फैक्ट्री के विभिन्न विभागों और आम जनता द्वारा यहां झंडा चढ़़ा़ने की प्रथा शुरू हुई जो भक्तो द्वारा आज तक पूरी कि जा रही है।
आस पास के लोगों द्वारा ऐसा भी कहा जाता है कि पाट बाबा के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मानो कामना पूरी होती है।
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