जबलपुर के सुनहरे इतिहास में इसे कई नामों एवं उप नामों से जाना जाता रहा है प्राचीन समय में इसे"जब्बलपोर" (Jubbulpore) , जब्बालीपुरम (jabbalipuram) जैसे नाम से पुकारा जाता था। तो वहीं वर्तमान समय में जबलपुर को हम संस्कारधानी, मध्य प्रदेश की न्यायिक राजधानी हैं। जैसे कई उप नामों से भी जानते हैं।
कचनार सिटी |
यहां कई ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थल भी हैं जिसने अपने आप में प्राचीन काल से लेकर स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक की कई स्वर्णिम गाथाओं को भी संजो कर रखा है।
मध्य प्रदेश का जबलपुर जिला गोंड एवं कलचुरी राजवंशों का केंद्र रहा एवं इसके अलावा कुछ समय तक यह मुगल और मराठों के संपर्क में भी था।
यहां कई बेहतरीन पर्यटन स्थल भी है जहां दुर दूर से लोग घूमने आते है तो चलिए आज हम आपको जबलपुर के एक ऐसे ही बेहतरीन मंदिर के बारे में बताने वाले है जिसे हम सभी कचनार सिटी के नाम से जानते है।
कचनार सिटी मंदिर (kachnar city temple) -
कचनार सिटी मंदिर एक भव्य मंदिर है जोकि जबलपुर शहर के एक पॉश इलाके में स्थित है। यहां भगवान शिव की एक बहुत ही बड़ी प्रतिमा का निर्माण किया गया है जिसे देखकर आप सभी मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। इसकी सुंदरता और बनावट भी अपने आप में बेजोड़ है यह मंदिर 6 एकड़ क्षेत्र में बना हुआ है जिसमें एक बहुत ही बड़ा गार्डन और इसी गार्डन के बिचोंबिच खुले आसमान के नीचे भगवान शिव की यह मूर्ति स्थापित की गई है।
अगर इस मूर्ति के आकार की बात की जाए तो इसका आकार लगभग 72 फीट ऊंचा है एवं इसके नीचे एक गुफा का निर्माण किया गया है जहां संपूर्ण 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रतिरूपों को स्थापित किया गया है इसके अलावा यहां एक बड़ा गेट और अन्य आकर्षक मूर्तियां भी लगाई गई है, जो की यहा आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है। जबलपुर में इसके निर्माण का ख्याल सबसे पहले कचनार सिटी को बसाने वाले बिल्डर श्री अरूण तिवारी जी को आया था।
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कचनार सिटी की प्रेरणा -
कचनार सिटी की शुरुआत कुछ इस तरह होती है कि साल 1996 के समय श्री अरूण तिवारी अपनी साउथ इंडिया में बन रही किसी बिल्डिंग के काम को देखने पहुंचे थे तभी वाहा उन्होंने भगवान शिव की एक 40-41 फीट बड़ी मूर्ति देखा और वह मूर्ति उन्हें इतनी पसंद आई की उन्होंने उससे बड़ी मूर्ति जबलपुर में बनवाने का निश्चय कर लिया था।देखते ही देखते कुछ समय बाद सन 2000 में श्री अरुण तिवारी ने जबलपुर में अपना खुद का एक नगर बसाने की शुरुआत की जिसका नाम उन्होंने कचनार सिटी दिया और तभी उन्होंने अपने उस प्रोजेक्ट में 6 एकड़ भूमि केवल अपनी उस कल्पना (शिव मूर्ति) के नाम छोड़ रखा था।
और सन 2002 में साउथ इंडिया के शिमोगा जिले से आए खास मूर्ति बनाने वालों में प्रमुख मूर्तिकार का नाम के. श्रीधर था जो की अपने 15 मजदूरों के साथ आखिरकार मूर्ति का काम करने के लिए जबलपुर आ गए थे। बुनियादी आवश्यकता के पूरा होने के बाद सन् 2003 में कारीगरों द्वारा मूर्ति बनाने का काम शुरू कर दिया गया था ऊंचाई बढ़ने पर यह काम करने के लिए खास लिफ्ट का यूज भी किया गया था।
मूर्ति बनाने में लगभग 3 साल का समय लगा हर तीन साल में मूर्ति के मेंटेनेंस का काम करवाया जाता है। आपको बता दें कि अरुण तिवारी जी ने मूर्तिकार के. श्रीधर से लगभग 81 फीट ऊंचाई वाली मूर्ति की इच्छा जताई थी लेकिन मूर्ति बन कर रेडी होने के बाद इसकी ऊंचाई 72 फीट थी। एवं साथ ही भगवान शिव के वाहन नंदी जी को भी यहां स्थापित किया गया है।
12 बड़ी मूर्ति का निर्माण करने वाले के. श्रीधर भी यह मानते है कि कचनार सिटी की यह मूर्त्ति उनके द्वारा बनाई गई अन्य मूर्तियों से ज्यादा आकर्षक है। के. श्रीधर खुद भी 4-5 साल में एक बार यहां जरूर आते है।
कचनार सिटी मंदिर जबलपुर शहर के मुख्य इलाके विजय नगर से एकदम सटा हुआ है जहां पहुंचने के लिए पक्की सड़कें और व्यवस्थित रास्ते बने हुए हैं अब कचनार सिटी मंदिर jabalpur का एक आकर्षक केंद्र भी बन चुका है
यह मंदिर यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं शिव भक्तों के लिए हमेशा खुला रहता है। लोग वैसे तो अक्सर दूर दुर से यहां घूमने आते रहते हैं लेकिन नए साल के दिन, महा शिव रात्रि, नांग पंचमी एवं सावन सोमवार जैसे कुछ खास दिनों पर यह मंदिर व गार्डन सुबह से शाम तक पूरा वक्त खुला रहता है और यहां बहुत ही भारी भीड़ उमड़ती है। जिसकी वजह यहां का भक्तिमय माहौल भगवान भोलेनाथ की आकर्षक मूर्ति है।
यहां की साफ सफाई का स्तर भी बहुत ही बढ़िया है। यहां तक कि अगर आप कचनार सिटी मंदिर में जब अंदर जाते है तो आपको अपने जूते चप्पल बाहर बने स्टैंड में वाहा के कर्मचारियों द्वारा रखवाए जाते है।
यहां के गार्डन और हरियाली अपने आप में अनूठी है यही कारण है कि लोग यहां आकर भगवान शिव की पूजा कर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं और साथ ही यहां भरे हुए मेले और गार्डन में अपने परिवार के साथ एक क्वालिटी टाइम बिता कर उन्हें खुश कर सकते है।
मंदिर तक कैसे पहुंचे -
कचनार सिटी मंदिर की सबसे अच्छी बात यह भी है की शहर के घनी आबादी वाले इलाके में सटे होने के बावजूद भी यहां का माहौल बहुत ही शांति भरा और सुकून देने वाला है। इसके अलावा आपको यहां आने के लिए कोई लंबा सफर तय करने की जरूरत नहीं होती शहर के बीचोंबीच स्थित होने के कारण ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी बहुत ही अच्छी है।तो अगर आप जबलपुर से बाहर किसी शहर से कचनार सिटी मंदिर घूमने के लिए आए हैं तो आपको सबसे पहले विजय नगर चौक पहुंचना होगा जोकि मुख्य रेलवे स्टेशन से कुछ 6 या 7 किलोमीटर दूरी पर है। रेलवे स्टेशन से आपको यह तक आने के लिए मेट्रो बस, ऑटो टैक्सी आसानी से मिल जाएगी।
और अगर आप बस से जबलपुर आते है तो आपको मुख्य बस स्टैंड में उतर कर विजय नगर चौक का रास्ता लेना चाहिए एवं यहां से आप ऑटो टैक्सी करके मंदिर जा सकते है या फिर 2-3 किलोमीटर पैदल भी जा सकते है।
लेकिन अगर आप जबलपुर शहर के ही रहने वाले हैं तो आपने हर हाल में विजय नगर चौक के बारे में सुना ही होगा यहां से कुछ ही दूरी पर शहर का मुख्य बस स्टैंड भी है। तो अगर आप अपने खुद के साधन से कचनार सिटी तक जाना चाहते है तो आपको सबसे सीधा रास्ता लेना चाहिए जो कि दमोह नका से हो कर जाता है, कुछ ही मिनटों में इस रास्ते से आप विजय नगर चौक में पहुंच जाएंगे और यहां से लगभग 2 से 3 किलोमीटर अंदर विजय नगर की ओर चलने पर आप कचनार सिटी मंदिर मंदिर पहुंचने लगेंगे लेकिन ध्यान रहे विजय नगर चौक से आगे कचनार सिटी मंदिर के लिए आपको किसी भी तरह का कोई साइन बोर्ड नजर नहीं आएगा इसलिए आपको यहां से आगे जाने के लिए गूगल मैप का सहारा लेना चाहिए जिससे आप अपने रास्ते पर भटके नहीं सीधा-सीधा मंदिर पहुंच जाएं।