भारतीय सब्जियों में मसालों का भरपूर उपयोग किया जाता है। जो ना केवल हमारे खाने को स्वादिष्ट बनाते है बल्कि इन मसालो की गर्म तासीर हमारी सेहत के लिए भी लाभकारी है।इन्हीं मसालों में से एक है जीरा, जिससे हम सभी बचपन से जानते है।
जीरा |
जीरा ना सिर्फ हमारे खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि इसकी गर्म तासीर और आयुर्वेदिक गुणों से हमारी सेहत भी भली चंगी बनी रहती है।
जीरा के उपयोग -
अतिसार-
बार-बार पतला दस्त हो तो भुना हुआ जीरा 5 ग्राम व समान मात्रा में शहद मिलाकर तीन - चार घंटे के अंतर से दिन में कई बार रोगी को दें। साथ ही गाय या बकरी के मट्ठे के साथ तीन ग्राम के लगभग भुने हुए जीरे का चूर्ण काला नमक मिलाकर पथ्य रूप में दें।
मसूड़े फूलना -
मसूड़ों में दर्द टिस सूजन आदि विकार होने पर भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक सम मात्रा में पीसकर छान ले और मसूड़ों पर रगड़े एवं मुख नीचा करके लार टपकाए।
दस्त होना -
दही, मट्ठा या ताजा पानी के साथ 5 से 6 ग्राम भुना हुआ जीरा दिन में तीन से चार बार सेवन कराएं दस्त बंद हो जाएगी।
स्तनों में दूध की कमी -
देसी खांड में भुना हुआ जीरा मिलाकर खिलाएं यह योग श्वेत प्रदर में भी लाभदायक है।
रतोंधी -
जीरा, आंवला तथा कपास के पत्ते सम मात्रा में लेकर इन्हें पानी में पीस लें इसका सिर पर लगभग 3 सप्ताह लेप करना रतौंधी में लाभप्रद सिद्ध होगा।
मुंह की बदबू -
जीरे को भूनकर खाने से मुंह से बदबू आना बंद हो जाती है।
सुजाक -
लगभग 10 ग्राम जीरा, 50 ग्राम धनिया, गुलाब के फूल की पंखुड़ियां 20 ग्राम तथा खाने का सोडा 50 ग्राम उक्त सभी पदार्थ लेकर आपस में मिलाकर चूर्ण बना लें प्रतिदिन दो बार एक एक चम्मच उक्त चूर्ण लेना सूजाक में फायदेमंद है।
पागल कुत्ते द्वारा काट लेने पर -
जीरा तथा काली मिर्च मिलाकर घोंट ले इसे छानकर सेवन करने से विष उतर जाता है।
कच्चा पिसा जीरा व गुड 1-1 ग्राम लेकर आपस में मिला लें। इसे प्रतिदिन लेने से पुराना ज्वर ठीक हो जाता है।
अंड कोश वृद्धि -
काली मिर्च तथा जीरा जल में पीसकर उसे अच्छी तरह पका लें फिर गुनगुना रहने पर इसे अंडकोष मल कर धोएं।
पथरी, सूजन, पेशाब में रुकावट -
चीनी तथा जीरा दोनों बराबर बराबर लेकर पीस लें इसकी एक-एक चम्मच प्रतिदिन ठंडे जल से फांकी के रूप में लें।
मकड़ी काटने पर -
सोंठ व जीरा जल में पीस कर दंशित स्थान पर लगाएं।
मलेरिया -
एक चम्मच जीरा पीस कर तीन चम्मच गुड इसमें मिला ले निश्चित समय पर सर्दी लग जाने के कारण आने वाले मलेरिया बुखार के आने से पहले एक-एक गोली प्रति घंटे कुछ दिनों तक दें।
खूनी बवासीर -
जीरा, सौंफ, धनिया 1-1 चम्मच लेकर मिला ले इसे एक गिलास जल में आधा पानी रहने तक उबालें फिर उसे छानकर उसमें एक चम्मच देसी घी मिलाने इसे प्रतिदिन दो बार पीना (रक्तार्ष) बवासीर में लाभदायक है।
(नोट - यह रोग गर्भवती महिलाओं के होने वाले बवासीर में लाभदायक है।)
खुजली व पित्ती उठना -
जीरो को पानी में उबालकर, इस पानी द्वारा स्नान करने से शरीर की खुजली व पित्ती ठीक हो जाती है।
मुख पार्क या छाले -
ताजा जल में जीरो और भुनी हुई फूली फिटकरी पीसें, फिर इलायची का चूर्ण मिलाकर रोगी को दिन में दो से तीन बार कुल्ले करवाएं तो मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
संग्रहणी -
शरीर की वायु बिगड़ जाने से मंदाग्नि होकर संग्रहणी यंत्र की कार्य क्षमता घटने लगती है अतः उसे सुचारू रूप से कार्यरत रखने के लिए जीरे द्वारा निर्मित लड्डू (भुने हुए गेहूं का आटा देसी खांड गी व जीरा मिलाकर) खाने चाहिए।
स्तन का फोड़ा या गांठ -
फोड़ा या गांठ होने पर रोग स्थान पर जीरा पीसकर लेप करें।
मुख्य सौंदर्य -
जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से मुख को धोने और ऐसी क्रिया को कुछ दिनों तक दोहराने से मुक्ति श्यामलता झाई चकते आदि दाग से मुक्ति मिल जाती है और चेहरा खिल जाता है।