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महाशिवरात्रि का पर्व हिन्दू धर्म को मानने वाले श्रेष्ठ देवता भगवान शिव पर आधारित है आज हम सभी इस पर्व के बारे में जानने की कोशिश करते है साथ साथ यह भी जानेंगे की आखिर क्यों इसे शिवरात्रि या महा शिवरात्रि कहा जाता है।
Maha shiv ratri |
प्रस्तावना -
हिंदू धर्म में होली, दिवाली, राखी जैसे कुछ खास त्यौहार है जोकि संपूर्ण विश्व में प्रचलित है लेकिन इनके अलावा भी कुछ ऐसे पर्व हैं जिनका धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है तो चलिए आज हम सनातन धर्म के ऐसे ही एक खास पर्व के बारे में जानेंगे जिसे हम सभी महाशिवरात्रि के नाम से जानते हैं।महाशिवरात्रि का पर्व देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने हेतु मनाया जाता है।आदि शंकर महादेव भोलेनाथ का स्थान देवताओं में प्रमुख माना जाता है महाशिवरात्रि का यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है संपूर्ण भारत में फैले 12 ज्योतिर्लिंगों में महाशिवरात्रि के दिन विधि विधान से तीनों पहर पूजा अर्चना की जाती है तथा रात जागरण भी किया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन शिव में आस्था रखने वाले भक्त उपवास रखकर भगवान श्री महाकाल को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना करते हैं।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है (When is Mahashivratri celebrated?) -
महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। हिंदू देवताओं में सबसे लोकप्रिय देवता शिवजी हैं। वह देवों के देव महादेव हैं।साल 2022 में महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाएगी।
इस पर्व को महाशिवरात्रि क्यों कहा जाता है -
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव सृष्टि में सभी जीव जंतुओं, भूत, दानव, देवता आदि के स्वामी है। उनकी इच्छा के बिना कोई कार्य नहीं होता इस कथन को शिव पुराण भी सत्यापित करता है।शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव वर्ष में 6 माह अपने लोक कैलाश पर्वत पर एवं अन्य 6 माह धरती लोक में आकर शमशान में निवास करते है। जब भगवान शिव कैलाश पर्वत अपनी तपस्या में लीन होते हैं तक सभी कीड़े मकोड़े भी अपने बिलों में छुप जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव का अवतरण धरती पर होता है अतः यह महान दिन शिवभक्तों में 'महाशिवरात्रि' के नाम से जाना जाता है
शिवरात्रि एवं महाशिवरात्रि में अंतर(Difference Between Mahashivratri And Shivratri) -
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आता है एवं शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है।इस प्रकार पूरे साल में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है. जैसा कि हम सभी जानते है कि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पड़ती है और यह साल में 1 बार ही आती है।
पौराणिक मान्यताएं (Mythological Beliefs) -
शिवरात्रि मनाए जाने के पीछे कई मान्यताएं है जिसमें से सबसे प्रचलित मान्यता है कि महाशिरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह हुआ था भगवान् शिव की बारात रात्रि काल में ही निकली थी जिसमे देव, दानव, भूत आदि सम्मलित थे एवं यही कारण है कि सारी रात जाग कर महाशिवरात्रि मनाई जाती है।महाशिवरात्रि का महत्त्व (Importance Of Mahashivratri) -
शिवरात्रि के दिन सभी शिव मंदिरों को अच्छी तरह से फूल मालाओं रंग बिरंगी लाइटिंग के माध्यम से सजाया जाता है। भक्तगण सारा दिन भूखे रहकर उपवास करते हैं एवं भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं तत्पश्चात भक्त भगवान शिव के शिवलिंग को दूध, दही, घी, गुलाब जल, शहद, भभूत, आदि भगवान शिव की प्रिय चीजों से उनका स्नान कराते हैं। साथ ही भगवान शिव के अतिप्रिय वाहन ननदी जी का भी पूजन अर्चन किया जाता है।भक्त पूरे दिन व सारी रात जागरण कर तीनों प्रहर भगवान शिव का पूजन अर्चन करते है बेल पत्र चढ़ाते है।
उपसंहार-
हम सभी जानते है कि भगवान शिव को भोले नाथ भी कहा जाता है जो भी भक्त सच्चे दिल से व संपूर्ण दया भाव से भगवान शिव की पूजा करता है तो भोले नाथ अपने सच्चे भक्तो से जल्दी प्रसन्न हो जाते है।भगवान शिव का यह महान पर्व शिवरात्रि संपूर्ण भारत में बड़ी धूम से मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि पर दस लाइन (Ten Lines On Mahashivratri) -
1. महाशिवरात्रि भगवान शिव का एक विशेष
पर्व है।
2. इस दिन सभी शिव भक्त पूरी आस्था से
भगवान शिव को खुश करने का प्रयास करते
है।
3. साल में पड़ने वाली 12 शिवरात्रि में से इस
महाशिवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता
है।
4. सभी शिव मंदिरों को बड़ी अच्छी तरह
सजाया जाता है।
5. भारत में स्थित भगवान शिव के 12
ज्योतिर्लिंगों की खास पूजा आराधना
की जाती है।
6. इस दिन भगवान शिव व उनके प्रिय वाहन
ननदी जी की भी विशेष पूजा होती है।
7. भगवान शिव की सभी प्रिय वस्तु जैसे बेल
पत्र, भभूत, धतूरे का फूल एवं फल के साथ
साथ पंचमेवा भी भगवान के शिव लिंग को
अर्पित किया जाता है एवं इनसे स्नान भी
करवाया जाता है।
8. कई जगहों पर शिव को भांग भी अर्पित कि
जाती है और प्रसाद स्वरूप बांटा भी जाता
है।
9. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान
शिव व माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ
था।
10. भगवान शिव को भोले नाथ भी कहा जाता
है मान्यता है कि को भी भगवान को सच्ची
भक्ति से नमन करता है दिल में दया व
आस्था रखता है भगवान शिव उनसे जल्दी
प्रसन्न हो जाते है।
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