मनुष्य द्वारा आदि काल से उगाए जाने वाले अनाजो में से एक गेहूं भी है आज तक आप ने कितने बार गेहूं से बनी हुई रोटियों का सेवन किया होगा आपको भी याद नहीं होगा जिसकी वजह सिर्फ इतनी है कि गेहूं हर घर में पाया जाता है यह हमारी मूल भूत जरूरतों में से एक है। मगर यकीनन आप गेहूं के पूरे गुणों से अनजान होगे। इसकी पूरी तरह जानकारी और सही सेवन शरीर की जरूरत पड़ेगी।
Wheat |
गेहूं के घरेलू उपाय -
खांसी-
20 ग्राम गेहूं के दाने मैं नमक मिलाकर ढाई सौ ग्राम जल में उबाल लें और एक तिहाई मात्रा रहने पर ठंडा करके थोड़ा थोड़ा पीने से लगभग 1 सप्ताह में खासी चली जाएगी।
अनैच्छिक वीर्य पात-
रात में पेशाब के साथ या आपकी इच्छा के बिना वीर्य निकालने पर एक मुट्ठी गेहूं कम से कम 12 घंटे पानी में फुला कर उसकी बारिक लस्सी बनाकर पिये। स्वाद के लिए आवश्यकतानुसार मिश्री मिला सकते हैं इसके सेवन से वीर्य का पतलापन ही दूर होगा।
उदर शूल (पेट दर्द)-
गेहूं के हरीरा में चीनी व बादाम गिरी का कतक मिलाकर सेवन करने से दिमाग की कमजोरी, नपुंसकता तथा छाती में होने वाली पीड़ा शांत हो जाती है।
खुजली-
खुजली , त्वचा की जलन, फोड़े फुंसी, आग से जलने पर गेहूं का आटा गूथ कर आवश्यक स्थान में लगाने से लाभ होता है।
मूत्र रोग -
लगभग 70-70 ग्राम गेहूं रात्रि में सोते समय पानी में भीगा है और प्रातः उसे पीस छान कर स्वाद के लिए थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पिएं। ऐसा सात दिन करने से सही में उत्पन्न गर्मी शांत हो जाती है। मूत्र रोग से संबंधित अनेक रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
अस्थि भंग (हड्डी टूटना)-
थोड़े से गेहूं को तवे पर पिरा लें और शहर मिलाकर कुछ दिनों तक चाटने से अस्थि भंग दूर हो जाता है।
नपुंसकता-
अंकुरित गेहूं भोजन से पूर्व प्रातः काल नियमित रूप से कुछ दिन तक खूब चबाकर खाने से जन इंद्रियां संबंधी समस्त रोग विकार दूर होते हैं। नपुंसक व्यक्ति पूर्णता पौरुष शक्ति पा कर पारिवारिक प्रसंग के लिए तैयार हो जाता है।इसमें स्वाद के लिए बड़ी मिश्री का सेवन नियमित करना चाहिए।
किट दंश (कीड़े के काटने पर)-
किसी जहरीले कीड़े के काटने पर काटी गई जगह में गेहूं का आटा सिरका मिला कर लगाना चाहिए।
बद या ग्रंथि शोध-
बद या किसी फोड़े को पकाने के लिए गेहूं के आटे की पुल्टिस (पोटलिया) 7-8 बार बांध लेना चाहिए।
बालतोड़-
शरीर के किसी भी अंग पर किसी प्रकार मसल कर बाल टूट जाने से फोड़ा हो जाता है, जोकि अत्यंत दाहक और कष्ट दाई होता है। इसमें मुख से गेहूं के दाने चबा चबा कर बांधने से 2-3 दिन में ही लाभ हो जाता है।
पथरी-
पथरी के रोगी व्यक्ति को गेहूं और चने का उबाला हुए पानी पिलाने से किडनी और ब्लैडर की पथरी गल कर बाहर हो जाती है।