प्रस्तावना -
भारत में ऐसे बहुत से राज्य हैं जहां की जनसंख्या अपना शहर व राज्य छोड़कर रोजगार की तलाश में बड़े या मेट्रो शहरों की तरह अपना पलायन करती है। ऐसा करने के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य होता है जोकि अपने जीवन को किसी तरह आगे बढ़ाना है भारत में बेरोजगारी और बेकारी एक बहुत ही बड़ी समस्या है यही एक बड़ा कारण भी है कि लोग अपना शहर या कस्बे छोड़कर बेरोजगारी होने के कारण दूसरे शहरों की तरफ जाते हैं।
प्रवासी मजदूर कौन होते है (Migrant workers meaning) -
ऐसे लोग जो काम या रोजगार की तलाश में अपना शहर या प्रदेश छोड़कर किसी अन्य बड़े शहर या प्रदेश में रोजगार की तलाश के लिए जाते हैं एवं पैसे कमाने के लिए कोई काम या रोजगार कर वहीं जीवन यापन करना शुरू कर देते है। परन्तु वे लोग वहां स्थाई रूप से नहीं रहते बल्कि जब तक उनका रोजगार चलता है सिर्फ तब तक एक अस्थाई निवासी के रूप में रहते है। और ऐसे ही लोगों को प्रवासी मजदूर (Migrant Worker) भी कहा जाता है।
प्रवासी मजदूर का पलायन क्या है -
पलायन का अर्थ है एक जगह से दूसरी जगह जाना सर्वप्रथम लोग अपना घर व शहर छोड़ कर रोजगार की तलाश में दूसरी जगह पर जाकर रहते हैं एवं अगर वहां से उनका रोजगार समाप्त हो जाता है तो वह लोग किसी तीसरी जगह में जाकर वहां रहकर अपना जीवन यापन करते हैं
प्रवासी मजदूर का पलायन से अर्थ है की इनमें से अधिकतर लोग छोटे-मोटे काम कंस्ट्रक्शन, छोटे उद्योग धंधे, या किसी ठेकेदार के साथ एवं दिहाड़ी मजदूर के रूप में कार्य करते हैं एक बार जब इनका रोजगार उस जगह से समाप्त हो जाता है जहां यह लोग रहकर काम करते हैं तब यही लोग किसी नए काम की तलाश में किसी नई जगह चले जाते हैं।
प्रवासी मजदूर की क्या क्या समस्याएं है -
प्रवासी मजदूर सिर्फ अपने जीवन यापन के लिए किसी
और जगह अपना अस्थाई निवास बना कर रहते है और इसी कारण उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाले कई लाभ नहीं मिल पाते और ऐसे लोगो का सरकार के पास कोई पुख्ता डाटा भी नहीं होता।
इसके अलावा भी इन्हें कई बड़ी की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे आवास संबंधी, समस्या, शोषण, बिचौलिए, मानसिक दबाव आदि।
कोरोना काल में प्रवासी मजदूर की परेशानियां -
बीते दिनों समाज के हर वर्ग ने एक अलग तरह की दिक्कत का सामना किया है हममें से किसी ने अब तक ये नहीं सोचा था कि कभी ऐसा भी होगा जब लोग एक दूसरे से डरने लगेंगे सभी अपना काम छोड़ कर वापस अपने घर के तरफ जाने की कोशिश करेंगे।
जब देश में लॉक डाउन लगा था उस वक्त हर कोई परेशान था देश की ज्यादातर जनता अपने अपने घरों में रहने मजबूर थी।
लेकिन देश में एक बड़ा तपका ऐसा भी था जो इन सब के बीच फस कर रह गया था अचानक लॉक डाउन की वजह से लोगो के काम बंद हो गए उनकी नौकरियां चली गई। सबसे बड़ी मुसीबत में माइग्रेंट वर्कर्स थे जिन्हें ना तो सरकार से सही सहयोग मिल रहा था ना ही उन फैक्ट्री मालिकों से जिनके लिए वे काम करते थे
हर दिन कमाने और खाने वाले लोगो को दो वक्त के खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था काम छूट जाने के कारण उन्हें पैसे संबंधी पेरशानी होने लगी थी और जहा भी वो रहते उनके घर या आवास का किराया देना भी मुश्किल हो रहा था।
कोरोना काल में सभी बस, ट्रेन बंद हो जाने के कारण लोग पैदल ही अपने घर को लौटने पर मजबूर हो चुके थे।
भारत में एक बड़ा तपका प्रवासी है जो छोटे गांव या छोटे शहर से भारत के बड़े शहरों में आ कर प्रवासी मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करते है। बीते साल कोरोना महामारी की वजह से लगभग 3-4 करोड़ माइग्रेंट वर्कर्स पूरे भारत में यहां से वहां हुए।
उपसंहार -
(Migrant workers)माइग्रेंट वर्कर्स जब किसी नए शहर में किसी नए काम के लिए जाते हैं तो उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है जैसे आवाज संबंधी समस्या सुरक्षा आर्थिक समस्या आदि इसके अलावा वे लोग सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं से भी वंचित हो जाते हैं और ना ही उन्हें सही मजदूरी मिल पाती है।
इसका मुख्य कारण मध्यस्थ एजेंट या बिचौलिए भी होते हैं यह ऐसे लोग होते हैं जो फैक्ट्री मालिकों के साथ मिलकर मजदूरों पर मानसिक दबाव बनाते हैं हमसे ज्यादा से ज्यादा काम निकलवाने की कोशिश करते हैं एवं उनसे काम दिलवाने या किसी और तरीके से कमीशन भी प्राप्त करते हैं।
आता अतः सरकार को प्रवासी मजदूर माइग्रेंट लेबल्स के लिए उनके हित के लिए कुछ करें और अच्छे कानून बनाने की जरूरत है।
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