Sampurn vidur niti in hindi, महात्मा विदुर जी द्वारा धृतराष्ट्र को बताए गए मूर्ख व्यक्ति के 11 लक्षण हिंदी में
विदुर जी द्वारा धृतराष्ट्र को पांडु पुत्रों को उनका हक लौटने और पुत्र के प्यार में अंधे हुए उनके अवचेतन मन को जगाने के लिए कई तरह के उदाहरण प्रस्तुत किए गए।
जिनमें से एक उदाहरण यह भी है जहां महात्मा विदूर द्वारा मूर्ख व्यक्ति के लक्षण व उनकी पहचान बताने का प्रयास किया गया है।
Vidur niti in hindi
मूर्ख के 11 लक्षण -
उल्टे काम करने वाले (व्यक्ति) लोगों को (Vidur niti) विदुर नीति में मूर्खों की संज्ञा दी गई है। मूर्ख व्यक्ति उल्टे काम करके अपने आपको भी संकट में डाल लेता है और साथ-साथ विश्व को भी।
मूर्ख व्यक्ति के लक्षणों का वर्णन करते हुए विदुर जी धृतराष्ट्र से कहते हैं -
हे राजन ....!
- जो व्यक्ति अनपढ़, अज्ञानी होकर भी बहुत घमंड करता है, दरिद्र होकर भी बड़ी-बड़ी इच्छाएं पालता है, बिना कर्म किए ही धन की कामना रखता है। ऐसे व्यक्ति को ज्ञानीजन मूर्ख कहते हैं।
- जो अपना कार्य छोड़ देता है और दूसरों के कार्य में लग जाता है तथा मित्र के साथ कपट करता है, वह मूर्ख है।
- जो ना चाहने योग्य को चाहता है, तथा चाहने योग की अवहेलना करता है। अपने से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति के साथ बैर रखता है, वह मूर्ख है।
- जो मित्र के साथ द्वेष रखता है तथा विश्वासघात करता है और निरंतर दुष्ट कर्मों में लगा रहता है, वह मूर्ख है।
मूर्ख के लक्षणों का वर्णन करते हुए विदुर जी महाराज धृतराष्ट्र को आगे बताते हैं -
हे भरत कुल शिरोमणि...!
- जो अपने भविष्य की योजनाओं को दूसरों से बता कर कोई काम करता है। सबके प्रति संदेह रखता है, शीघ्र करने योग्य कार्यों को बाद में करता है, वह मूर्ख है।
- जो पितरों का श्राद्ध तथा देवताओं का पूजन नहीं करता, अर्थात अपने पूज्य माता-पिता, दादा-दादी आदि को श्रद्धा पूर्वक अन्य वस्त्र आदि नहीं देता।
- सदा परमपिता परमात्मा, गुरु, सन्यासी व जड़ देव, अग्नि, जल, प्रथ्वी, वायु आदि के प्रति कृतज्ञता का भाव नहीं व्यक्त करता, वह मूर्ख है।
- जो बिना बुलाए ही अंदर चला आए, तथा बिना पूछे ही बहुत बोलता है। और अविश्वसनीय व्यक्तियों पर विश्वास करता है, वह मूर्ख है।
- जो स्वयं गलतियां करता रहता है, और उन्हीं गलतियों के लिए दूसरों को दोष देता है, जो असमर्थ होते हुए भी क्रोध करता है, वह मूर्ख है।
- जो अपनी क्षमता को नहीं पहचानता और धर्म व अर्थ के विपरीत बिना मेहनत किए ऐश्वर्य प्राप्त करना चाहता है। वह इस संसार में मूर्ख कहा जाता है।
- जो अनाधिकारी को ज्ञान का उपदेश देता है, इष्ट का निर्धारण किए बिना उपासना करता है तथा कंजूस का आश्रय लेता है, वह मूर्ख है।
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