हर साल मार्च अप्रैल महीने के बीच महावीर स्वामी का जन्म दिवस महावीर जयंती के रूप मे मनाया जाता है यह दिन जैनियों के लिए एक खास त्योहार है तो आइये आज हम सभी onlinehitam के इस लेख के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलूओं को जानते है
यह लेख छात्रों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है इस लेख को कक्षा 4,5,6,7,8,9,10 तक के छात्र निबंध रूप मे भी उपयोग कर सकते है
महावीर जयंती- जीवन परिचय व निबंध |
महावीर जयंती 2022 महावीर स्वामी का जीवन परिचय व निबंध
प्रस्तावना -
महावीर जन्म कल्याणक यानी कि महावीर जयंती ये जैन धर्म के सबसे आखिर और महान तीर्थकर थे। इनके पहले के तीर्थंकरों की जयंती सर्दियों क मौसम में मनाई जाती थी।भगवान महावीर को जैन धर्म में एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में वर्णित किया गया है। इस दिन गरीब लोगो को दान दिया जाता है और भगवान महावीर के हमेशा सदमार्ग में चलने का आशीर्वाद मांगा जाता है।
महावीर जयंती का इतिहास -
जैनों के 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी यह जनों के अंतिम तीर्थकर थे इन्हें वर्धमान नाम से भी जाना जाता है। महावीर स्वामी को जैन धर्म की खोज और जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों का प्रतिपादन करने के लिए जाना जाता है इनका जन्म 540 ईसा पूर्व शुक्ल पक्ष की चैत्र महीने के 13 वें दिन बिहार वैशाली जिले के कुंडल ग्राम में हुआ था।यही कारण है कि हर साल महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के साथ-साथ अन्य लोगों द्वारा भी महान जैन संत महावीर स्वामी का जन्म दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इनका जन्म दिवस जैन समाज के लिए एक बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण और पारंपरिक उत्सव है भारत में इस दिन को अवकाश के रूप में घोषित किया गया है इस दिन सभी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों का अवकाश होता है
महावीर स्वामी का जन्म -
महावीर स्वामी का जन्म आज से लगभग 540 ईसा पूर्व भारत के बिहार राज्य के एक राज परिवार में हुआ था ऐसा कहा जाता है कि इनके जन्म के समय राज्य के सभी लोग बहुत ही खुशहाल थे इसलिए इन्हें वर्धमान नाम दिया गया था।इनके जन्म के समय ही इनकी माता को अद्भुत और स्वर्णिम स्वप्न आने लगे थे कि या तो उनका पुत्र एक महान सम्राट के रूप में जाना जाएगा या फिर एक महान तीर्थकर के रूप में इनके बारे में कहा जाता है कि इनके जन्म के उपरांत भगवान इंद्र ने स्वयं स्वर्ग से इन्हें दूध से तीर्थांकार के रुप में अनुष्ठान पूर्वक स्नान कराया था।
बड़े होकर महावीर स्वामी सत्य व धार्मिकता की खोज के लिए 30 वर्ष की आयु में अपना गृह त्याग कर दिया था और 12 वर्ष 6 माह के ध्यान या कठिन परिश्रम के बाद इन्हें कैवल्य यानी ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात उन्होंने संपूर्ण भारत का भ्रमण किया लोगों में अहिंसा सत्य के मार्ग में चलने, असत्य को त्यागने , ब्रम्हचर्य आदि आदि ज्ञान का प्रसार किया।
लगातार 30 वर्षों तक अपने ज्ञान का प्रसार करने पश्चात 72 वर्ष की आयु में यह मृत्यु को प्राप्त हो गए इनकी मृत्यु को महापरिनिर्वाण कहा गया। मृत्यु पश्चात महावीर स्वामी जैन धर्म के एक महान तीर्थ कर बन गए, और इन्हें इनकी महानता, सरल स्वभाव, और स्वर्णिम ज्ञान के कारण जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है।
महावीर स्वामी का परिवार -
महावीर स्वामी का जन्म वैशाली जिले के कुंडल ग्राम के एक राज परिवार में हुआ था। महावीर रानी त्रिशला और राजा सिद्धार्थ के पुत्र थे।महावीर के विवाह को लेकर जानकारों में कई तरह के मतभेद है कोई कहता है कि महावीर अविवाहित थे तो कई जानकारों का मानना है इनका विवाह यशोदा से हुआ था और इनकी प्रियदर्शना नामक एक पुत्री भी थी।
महावीर स्वामी की जीवनी (जीवन परिचय) -
महावीर स्वामी के जन्म को लेकर अभी भी कई तरह की अनिश्चितता है और मतभेद हैं जानकारों का कहना है कि इनका जन्म कुंदलपुर, जामुई, वैशाली, कुंडलीग्राम, बसोंकुंड, नालंदा या इसके आसपास हुआ था। इनका परिवार पारसव के महान अनुयायी थे, इन्होंने बचपन में ही एक भयानक सांप को अपने नियंत्रण में ले लिया था और इस कारण इनका नाम महावीर रखा गया जिसका अर्थ होता है एक महान योद्धा, इन्हें नाता पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
30 वर्ष की आयु में गृह त्याग के समय इन्होंने अपनी पत्नी यशोदा और पुत्री प्रियदर्शना को महल में ही छोड़ दिया था।
सत्य की खोज में निकले महावीर स्वामी ने लगभग 12 सालों तक अथक परिश्रम और ध्यान से सत्य का ज्ञान प्राप्त किया और आगे 30 वर्षों तक पूरे भारत का भ्रमण कर जन-जन तक अपने वास्तविक जीवन दर्शन के ज्ञान का प्रसार किया। महावीर के दर्शन के पांच महान यथार्थ सिद्धांत अहिंसा, सत्य, असत्य, ब्रम्हचर्य एवं अपरिग्रह थे।
समाज कल्याण करते हुए इन्होंने 72 वर्ष की आयु में अपना देह त्याग कर दिया इनके त्याग को जैन धर्म में महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।
देह त्याग पश्चात इनके शरीर का क्रियाकर्म पावापुरी में किया गया जो आज जलमंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और जैनियों का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के ले आते है।
महावीर जयंती समारोह -
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह दिन हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आता है महावीर जयंती को महावीर के जन्म कल्याण नाम से जाना जाता है।
यह दिन पूरे भारतवर्ष में जैन समाज के लिए एक खास दिन होता है इस दिन पर सभी जैन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है झंडे लहराए जाते हैं इस दिन महावीर की मूर्ति को पारंपरिक रूप से स्नान कराया जाता है इसके बाद इनकी मूर्ति के साथ भव्य जुलूस निकाला जाता है।
संपन्न लोग गरीबों को भोजन, कपड़े, कम्बल या पैसे दान करते है।
महावीर जयंती पर होने वाले आयोजन -
महावीर स्वामी के जन्म के उपलक्ष्य जैनियों द्वारा विभिन्न प्रकार के बड़े कार्यकर्म आयोजित किए जाते है। बिहार पावापुरी पारसनाथ मंदिर कोलकाता श्री महावीरजी राजस्थान गुजरात आदि में बड़े आयोजन किए जाते हैं।
इस दिन जैन धर्म के लोगों द्वारा महावीर स्वामी की मूर्ति को स्नान करा कर कविताएं पढ़कर दान कर स्वयं से कुछ अच्छा काम होने की उम्मीद की जाती है। इस दिन जैन धर्म के साथ-साथ अन्य लोगों द्वारा भी ध्यान पूजा व दर्शन करने के लिए जैन मंदिरों में जाते हैं।
इस दिन गरीब लोगों को कपड़े, भोजन, रुपये और अन्य आवश्यक वस्तुओं को बाँटने की परंपरा है। इस तरह के आयोजन जैन समुदायों के द्वारा आयोजित किए जाते हैं। बड़े समारोह उत्सवों का गिरनार और पालीताना सहित गुजरात, श्री महावीर जी, राजस्थान, पारसनाथ मंदिर, कोलकाता, पावापुरी, बिहार आदि में भव्य आयोजन किया जाता है। यह लोगों के द्वारा स्थानीय रुप से महावीर स्वामी जी की मूर्ति का अभिषेक करके मनाया जाता है। इस दिन, जैन धर्म के लोग शोभायात्रा के कार्यक्रम में शामिल होते हैं तथा लोग ध्यान और पूजा करने के लिए जैन मंदिरों में दर्शन करने जाते है।
उपसंहार -
कबीर जयंती न केवल भारत के लिए अब तू विश्व कप के कई अन्य देशों के लिए एक विशेष त्यौहार है इस दिन भारत के साथ-साथ अन्य कई देशों में भी सरकारी अवकाश घोषित है।
इस दिन को जैन समाज बड़ी धूमधाम से झांकियां व शोभायात्रा निकालकर मनाता है भगवान महावीर स्वामी की मूर्ति को स्नान करा कर शोभायात्रा में घुमाया जाता है। हंस आलिया दिन मार्च या अप्रैल माह में आता है इस दिन जैन मंदिरों को फूलों व झंडों से सजाया जाता है।
महावीर स्वामी की प्रचलित कथाओं का मंचन होता है और इनके सभी उपदेशों को याद किया जाता है।