एक छोटे से गांव में मुरारी लाल नाम का एक मेहनती किसान अपनी बीवी और दो बच्चो वाणी और मुकेश के साथ रहता था।
खेती किसानी के साथ-साथ थोड़ी ज्यादा आय के लिए कुछ गाय रख कर उनसे दूध दुह कर आस-पास के इलाके में बेचता था। और उस दूध से होने वाली कमाई को मुरारी लाल अपनी गायों की देख रेख और बच्चो की पढ़ाई का खर्च पूरा करता था।
हिंदी स्टोरी -kisan ki sujh bujh |
सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था परिवार में सभी खुश थे। मुरारी लाल और उसका बेटा जहां रोज़ नए नए पकवान खाने के शौकीन थे वहीं मुरारी लाल की बीवी भी खाना पकाने में अच्छी तरह से निपुर्ण थी कोई भी खाना पकाने में उसका हाथ नहीं पकड़ सकता था। और मुरारी लाल की बेटी वाणी भी अपनी मां का काम में हाथ बटाने को हर समय तैयार रहती थी।
देखते ही देखते बच्चे बड़े हो रहे थे अब मुरारी लाल को मन ही मन अपनी बेटी वाणी को देख कर ये महसूस होने लगा था कि उसकी बेटी अब शादी की उम्र को छूने वाली है उसकी शादी धूम धाम से एक अच्छे परिवार में करने के लिए बहुत पैसे की जरूरत होगी। वहीं दूसरी तरफ मुरारी का बेटा मुकेश भी 11वी क्लास तक पहुंच गया था.. मुरारी लाल और उसकी बीवी ने मुकेश के पैदा होने पर ही सोच लिया था कि मुकेश को किसी बड़े शहर भेज कर बहुत पढ़ा लिखा कर एक अच्छा और सफल इंसान बनाना है।
वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि दूसरे शहर रहना और पढ़ाई के लिए कॉलेज के खर्च में काफी पैसे लगने थे और इसलिए ही मुकेश की पढ़ाई के लिए मुरारी और उसकी बीवी ने काफी पहले से ही सोने और कुछ पैसों के रूप में कुछ बचत करना शुरू कर दिया था लेकिन इन सब बातों के बीच वे दोनों वाणी की शादी के लिए लगने वाले खर्च को तो भूल बैठे थे।
समय बस ऐसे ही बीतता गया और वाणी अब कॉलेज के दूसरे साल में आ गई थी और इधर मुकेश भी 12 वी क्लास तक आ खड़ा हुआ
शादी ब्याह में अब रिश्तेदार मुरारी लाल और उसकी बीवी से कहने लगे थे कि बेटी का रिश्ता कब करने वाले हो ....
वे दोनों ही बेटी की पढ़ाई पूरी होने तक की बात कह कर बात को टाल देते थे ...!
अब मुरारी लाल मन ही मन काफी चिंता में रहने लगा था कि उसके पास तो सिर्फ कुछ ही पैसे है जिसमें से या तो वो बेटी की शादी किसी अच्छे परिवार में कर सके गा या फिर बेटे को दूसरे शहर पढ़ाई के लिए भेज पाएगा।
हर समय उसके मन में ख्याल आता रहता कि
क्या करूं..... क्या करूं......
पास के ही एक स्कूल के मास्टर जी, मुरारी के अच्छे दोस्त थे एक दिन वह दबे स्वर में उनसे पूछ बैठा की बेटे को अगर दूसरे शहर पढ़ाई के लिए भेजना हो तो कितना खर्च आए गा ..
मास्टर जी मुरारी लाल की ये बात सुन कर अचंभित हो कर मुरारी का मुंह देखते रह गए और कुछ देर बाद हस्ते हुए बोले अरे भाई...
ये तो तुमने बहुत अच्छा सोचा है लेकिन पहले ये बताओ इतनी अच्छी बात पूछते हुए तुम इतने परेशान क्यों हो.... मुझे मास्टर बाद में और अपना दोस्त रघु पहले समझा करो और बताओ क्या बात है।
मुरारी लाल को थोड़ा सहज महसूस हुआ और वह बोल पड़ा देख रघु तू तो जनता है मै तो बस दो चार जमात पढ़ा हुआ हूं बस अपना किसानी का हिसाब किताब कर पता हूं ..
मास्टर रघु ने हस्ते हुए कहा तो इसमें डर कैसा है मुरारी ये तो सभी जानते है और फिर यहां इक्का दुक्का को छोड़ कर कौन है जो बहुत पढ़ा लिखा है।
और इस बात से तेरे बेटे के दूसरे शहर की पढ़ाई का क्या लेना देना जो तो इतना डर-डर कर बोल रहा है आखिर तेरे मन में क्या बात है ठीक से बता ....
मुरारी हिम्मत कर के एक दम से बोल पड़ा रघु मै और मेरी बीवी ने मुकेश के पैदा होते ही सोच लिया था कि हम अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दे कर एक बड़ा और सफल इंसान बनाएं गे। हमने अपनी तरफ से जितना हो सका बचत भी की लेकिन इन सब में हम ये भूल गए कि हमारी बेटी के ब्याह के लिए भी काफी पैसे की जरूरत होगी अब या तो मै अपनी बचत से बेटी को किसी अच्छे घर की बहू बना सकता हूं या बेटे को अच्छी शिक्षा के लिए बड़े शहर भेज सकता हूं...!!
तू ही बता मै क्या करू..?
मुरारी लाल की बात सुन कर मास्टर जी बोले बात तो ठीक ही कह रहे हो दोस्त लेकिन आज कल के ज़माने में दोनों काम ही जरूरी है, बेटा बेटी में फर्क नहीं कर सकते।
मुरारी लाल यह बात सुन कर तुरंत बोला नहीं मास्टर मेरी सोच इतनी छोटी भी नहीं लेकिन क्या करू मेरी चादर छोटी है इससे ज्यादा पैर नहीं पसार सकता ।
तभी मास्टर ने पूछा अच्छा बेटे को शहर भेजने से पहले ये तो बता कि क्या पढ़ने के लिए तू मुकेश को शहर भेजने वाला है शायद उस बात से तेरी मुश्किल आसान हो जाय ।
मुरारी लाल बोला यही जानकारी लेने तो तेरे पास आया था रघु ...
तुमने उसे बचपन में पढ़ाया भी है तुम मुझ से बेहतर जानते होगे उसके लिए क्या सही है।
मैंने आज तक यह बात किसी को नहीं बताई अपने बेटे को भी नहीं लेकिन तुम्हें बता रहा हूं ताकि उसका भविष्य तुम तय कर सको।
यह बात सुन कर मास्टर रघु चिंता में पड़ गया और बोला दोस्त तेरा बेटा मेरे लिए बाकी बच्चो की तरह था जिन्हें मैने आज तक पढ़ाया है लेकिन ये बात कह कर तुमने मुझे भी चिंता में डाल दिया है किसी का भविष्य तय करना आसान काम नहीं है।
मुझे थोड़ा समय दो मै सोच कर बताऊं गा...!
और तुम मुझे ये बताओ कि तुम्हारी बचत कितनी है और उस बचत को बेटी की शादी में खर्च करना है या बेटे की पढ़ाई में...?
मुरारी ने मास्टर से कहा हमने आज तक उस बक्से में सिर्फ पैसे और गहने डाले है कभी निकाल कर हिसाब किया ही नहीं, मुझे तो लगा ही नहीं था कि जीवन में ये समय भी आए गा वरना दो रोटी कम खा कर गुजरा करता और ज्यादा बचत करता ।
लेकिन हा कम से कम तीन-चार लाख तो जुड़े ही होंगे उसमे कुछ गहने भी है जो खरा सोना है।
मास्टर जी ने मुरारी लाल को समझाते हुए कहा देख मुरारी तेरा बेटा इस साल बारहवी की परीक्षा देने वाला है और बेटी भी आगे छ: महीने बाद पढ़ाई पूरी कर लेगी अब समय आ गया है कि तू अपनी बचत का हिसाब कर।
तब तक मै तेरे मुकेश के लिए क्या अच्छा है ये सोच कर बताता हूं..!
चल बहुत देर हो गई हैं भाभी तेरी राह देख रही होंगी लेकिन ध्यान रखना घर जा कर आज तुझे तेरी बचत का हिसाब करना है तेरे बच्चो का भविष्य तेरे उस बचतिया डिब्बे में बंद है।
मुरारी लाल घर की तरफ चल पड़ा....
उसके दिल में मास्टर रघु का दिया हुआ दिलासा भी था और दिमाग में एक अजीब सा दवाब भी..
यही सब बातें सोचता हुआ मुरारी लाल अपने घर को आ गया तभी उसकी नज़र घर के बाहर कुछ चप्पल जूतों पर गई ..
कौन आया होगा ...!
सोचते हुए मुरारी अपने ही घर में मेहमान की तरह दबे पाव घुस रहा था कि,तभी उसकी नजर उसके किसी दूर के रिश्तेदार पर गई जो मुस्कुराते हुए उसकी तरफ बढ़ रहा था।
रिश्ते में तो वह मुरारी का दूर का चचेरा भाई था लेकिन पैसे में वह काफी अमीर था और इस वजह से मुरारी लाल उनसे थोड़ा दूरी बना कर रखता था।
लेकिन आज मामला कुछ अलग ही था मुरारी लाल अपने चचेरे भाई के साथ घर के अंदर जाते ही देखता है कि अंदर कुछ और मेहमान बैठे हैं और उसकी बीवी मेहमानों की आओ भगत में लगी हुई है उन सभी मेहमानों के चेहरे मुरारी लाल के लिए पूरी तरह अनजान थे।
तभी मुरारीलाल अपनी बीवी की तरफ देखता है तो कुछ समझ नहीं पता, उसकी बीवी बहुत खुश नजर आ रही थी। वह मन में सोचने लगता हे कि पता नहीं क्या बात है जो यह इतना खुश हो रही है मैं तो इन्हें जानता तक नहीं..!
तभी मुरारी लाल का चचेरा भाई उसे पूरी बात बताता है कि... उसके घर आए हुए मेहमान उसके ही गांव का एक संपन्न परिवार है। 23 एकड़ जमीन, एक बड़ी गौ शाला और कुछ नौकर चाकर के साथ उनका एक बड़ा घर भी है।
कुछ महीनों पहले जब शादी में हम मिले थे इन्होंने तभी तुम्हारी बेटी को अपने बेटे के लिए पसंद कर लिया था लेकिन तब तुमने कहा था कि तुम बेटी की पढ़ाई पूरी होने का इंज़ार करोगे इस बात से इन्होंने वहां बात करना सही नहीं समझा लेकिन ये लोग पिछले कई दिनों से तुमसे बात करने के इच्छुक थे इसलिए आज मै इन्हें यहां ले कर आया हूं।
यह बात सुन कर मुरारी लाल खुश भी था और चिंतित भी खुशी इस बात की थी भाग्य का खेल देखो इतना अच्छा और बड़ा अमीर परिवार है खुद चल कर मेरी बेटी का हाथ मांगने आया है ऐसा मौका बार बार तो नहीं आता, और चिंता इस बात की भी थी कि ये बड़े लोग है पता नहीं शादी ब्याह में कितना खर्च आए गा।
तभी मेहमानों में से एक महिला बोल पड़ी भाई साहब आपकी बेटी बड़ी सुंदर और गुणवान है। मै और मेरे बेटे ने शादी में देख कर ही इसे पसंद कर लिया है अब सिर्फ आप लोगो की हां की देर है। बाकी सारी बाते हमने बहन जी को बता दी है, बस आप अब जल्दी जवाब दीजिए और हमारे घर पधारिए आखिर आपकी बेटी भी पढ़ी लिखी समझदार है जिस लड़के से शादी होगी उसके बारे में पता होना चाहिए उसे। घर आ कर आप अपनी और अपनी बेटी की मर्ज़ी जरूर बताइए गा।
और वे सभी मेहमान चाय नाश्ता कर मुरारी लाल के घर से चल पड़े, इधर मुरारी लाल की बीवी हद से ज्यादा खुश थी और दूसरी तरफ मुरारी बेहद चिंता में डूबा हुआ था उसकी बीवी लड़के वालों और लड़के के बारे में बताते नहीं थक रही थी और मुरारी लाल अपनी बीवी की बाते सुन कर और अधिक चिंता में डूबा जा रहा था।
मुरारी लाल की बीवी से अब रह नहीं गया और वह पूछ ही बैठी।
क्यों जी ....!!
आपको वे लोग पसंद नहीं आए क्या जो आप इतने चुप हैं और पता नहीं किस सोच में डूबे हुए हैं मुझे तो वे लोग ठीक लगे...
मुरारी लाल ने कुछ नहीं कहा किसी तरह बात को टाल कर किनारे किया और अपनी बेटी वाणी को बुला कर उस से पूछ बैठा।
तुझे क्या लगता है बेटी, ये लोग कैसे लगे तुझे तभी मुरारी लाल की बीवी एका एक बोल पड़ी बेटी से ऐसे सवाल कौन करता है, अरे बेटी को तो दूसरे के घर जाना ही पड़ता है।
मुरारी लाल अपनी बीवी की बात को अनसुना करते हुए वाणी से बोला बता बेटी...?
वाणी भी क्या कहती उसने बस यही कहा कि आप लोगो को ठीक लगता है तो ठीक ही होगा पिताजी।
इसके बाद सभी ने बैठ कर खाना खाया और अपने अपने बिस्तर में सोने चले गए लेकिन मुरारी लाल तो रात भर बस छत को निहारते लेटा रहा।
मुरारी की बीवी को भी लगने लगा था कि मुरारी लाल किसी बड़ी चिंता में डूबता जा रहा है यह सोचते हुए उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई और जब सुबह वह उठी तो मुरारी सुबह सूरज उगने के पहले ही खेत को निकल चुका था।
अब तो मुरारी लाल की बीवी अपना मन बना कर बैठी थी कि आज जो भी हो जाय वह अपने पति से उसके इस अजीब बर्ताव की वजह जान कर ही रहेगी।
और मुरारी लाल ही सुबह से सोच कर बैठा था कि आज घर जा कर सबसे पहले अपनी बचत का हिसाब करना है उसकी बचत ही बेटी की शादी निर्धारित करे गी।
अब हाल ये थे कि पिछले कुछ दिनों से जो बात मुरारी लाल के दिल का डर बनी हुई थी अब वही बात उसे सच होती नजर आ रही थी। और ये सब उसकी सोचे हुए वक्त से पहले शुरू हो गया था। मुरारी लाल तो इन सब के लिए पूरी तरह तैयार भी नहीं था..
सारा दिन मुरारी लाल की बीवी भी अपने पति के इस अजीब बर्ताव के बारे में सोचती रही।
वह खुद से ही बाते करती हुई ..!
पता नहीं क्या हुआ होगा अभी तक तो सब बताया करते थे अब ना जाने क्या करते है।
कहीं काम में कोई बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ है या फिर बेटी की शादी से बेटी के दूर हो जाने से परेशान है।
जैसे तैसे आधा दिन बीत गया और मुरारी लाल घर वापस आया ..
उसकी बीवी भी मुरारी लाल का इंतजार है कर रही थी..
खाट में बैठा देख उसकी बीवी हाथ में पानी का ग्लास ले कर आई और हाथ में पानी का ग्लास थमा कर अपनी बात शुरू करने का रास्ता ढूंढने लगी।
की तभी मुरारी लाल बोला अरे वो अपना बचतिया डिब्बा था ना उसको बाहर निकालना आज देखना है कि हम दोनों ने कितनी बचत कर ली है। और बोलता हुआ नहाने चल दिया।
मुरारी की बीवी कुछ बोल पाती उस से पहले ही मुरारी की बात सुन कर उसके दिल में एक अजीब सा पहाड़ टूट पड़ा।
हे राम ... ऐसी क्या अफत है। जो इन्हें बचत के पैसों की जरूरत आन पड़ी है वो पैसे तो मुकेश की पढ़ाई के लिए है।
मुकेश की मां से अब रहा नहीं गया वो हड़बड़ाती हुई उस पानी की टंकी के पास जा खड़ी हुई और मुरारी लाल से कड़े स्वर में बोली .......
ऐसी क्या आफत आन पड़ी है जो आपको उन पैसों का हिसाब करना है।
मुरारी लाल शांत स्वर में बोला अरे कोई आफत-वफात नहीं आई है, अपने पैसे है सारी ज़िन्दगी जमा किया है अब क्या उन्हें देखना भी सही नहीं है।
मुरारी की बीवी तीखे स्वर निकलते हुए बोली तो आज से पहले ही ये सब ध्यान में क्यों नहीं आया आपको मै देख रही हूं पिछले कुछ दिनों से आप बहुत ही अजीब बर्ताव करने लगे हो....
ना ठीक से खा रहे हो.. ना तो सो रहे हो....!
सुबह जल्दी घर से चले जाते हो और अब तो पहले कि तरह बैठ कर हमसे बात भी नहीं करते आखिर क्या हुआ है।
कोई कर्ज वागेहरा ले रखा है क्या या जुआ खेलने लगे हो..?
बीवी की बाते सुन कर मुरारी लाल को थोड़ा गुस्सा आया और वह जोर से बोला।
अरे हां लिया है कर्ज... तुझे तो जैसे सब पता होता है ना बड़ी अन्तर्यामी हो गई है। अपना दिमाग खर्च मत कर ज्यादा जल्दी बचत के डब्बे को निकाल कर रख बाहर मुझे देखना है।
मुरारी की बीवी बेमन काम कि तरह उस बचतिया डिब्बे को खाट में ला कर पटक देती है
मुरारी भी जल्दी से आ कर अपनी बचत को देखने बैठ जाता है। दो तीन बार गिनने के बाद मुरारी अपनी बीवी को आवाज़ लगा कर कहता है कि देख ये है अपनी बचत जो तूने और मैने अपनी पूरी जिंदगी में बचाए है। देख पूरे 2 लाख 95 हजार और 6 सौ रुपए है और उन सब के बाद ये कुछ सोने के गहने भी है।
मुरारी लाल बीवी को गहने दिखाते हुए कहता है लाख डेढ़ लाख के तो ये गहने भी होंगे ही..
मुरारी की बीवी चुपचाप खड़ी यह सब देख रही थी और सोच रही थी कि पता नहीं अब क्या करने वाले है ये।
और वह बोली अरे यह तो हमने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए इकट्ठा किया है ना...?
आप को क्या हो गया है क्या करोगे आप अचानक इतने पैसों का...?
अब मुरारी के दिल में थोडी ठंडक आ गई थी और वो पहले की तरह अपनी बीवी को पास बैठा कर समझाने लगा कि हम दोनों ने एक बड़ी गलती की है..!
जिससे हम दोनों ही अंजना है...
ऐसी बाते सुन कर मुरारी लाल की बीवी भी संकोच में आ गई और बोली कि क्या गलती है..?
जो आपको इतना अफसोस है, और क्या यही बात है आपके दिल में जो आओ पिछले कुछ दिनों से ना सही से खा रहे हो ना बोल रहे हो।
मुरारी लाल हल्की मुस्कान लिए हुए अपनी बीवी से पूछता है हमने मुकेश को पढ़ने का सपना तो देखा है लेकिन तू ही बता तेरी बेटी भी तो अब शादी लायक हो गई है..!
कल जो रिश्ता उसके लिए आया वो तो हम सभी पर भगवान की एक बड़ी कृपा जैसा है ना...?
तू भी तो कल बड़ी खुश नजर आ रही थी।
मुरारी की बीवी बोली क्यों खुश ना होती मै, हमसे ज्यादा अमीर लोग है..
वो उनका व्यवहार भी काफी अच्छा लगा मुझे बोल चाल में भी ठीक है और फिर रिश्ता आपके चचेरे भाई ही लाए है तो कुछ अच्छा देख कर यहां तक लाए होंगे।
मुरारी लाल - हां.. हां.. तेरी सभी बाते सही है लेकिन क्या तू नहीं जानती लड़की की शादी करना कोई हसी मज़ाक नहीं होता ..
वो बड़े लोग है तो उनकी मांगे भी ज्यादा ही होंगी उनके नाथ रिश्तेदारों का स्वागत भी सही तरीके से करना होगा उनका बेटा भी बहुत पढ़ा लिखा है अच्छा कमा लेता होगा तो उसके लिए तो और भी बड़े बड़े रिश्ते आए होंगे फिर उसे हमारी बेटी ही क्यों पसंद आई कुछ तो बात होगी ना?
मुरारी की बीवी बोली ऐसी कोई बात नहीं है उन्हें बस एक सुंदर-सुशील लड़की चाहिए थी। और हमारी बेटी को हमने बचपन से ही अच्छे संस्कार दिए है इसलिए वाणी उनका मन जीत गई।
मुरारी लाल - हां लेकिन तुझे समझ क्यों नहीं आता हमें पहले उनकी मांग जान लेना चाहिए। बात को आगे बढ़ाते हुए मुरारी बोला हमने आज तक जो बचत किया है वो यही है तेरे सामने ही है।
तू खुद ही सोच बेटी को खाली हाथ विदा करेगी क्या...?
कम से कम कुछ गहने कुछ सामान देना तो मां बाप का फर्ज होता है।
ये तो लड़के वालों का बड़ा दिल है कि उन्होंने अपनी कोई मांग नहीं रखी या फिर अपनी मांग रिश्ता पक्का होने पर बताने का इंतजार कर रहे है।
आगे मुरारी बोलता है तू खुद सोच तेरे सामने ये पैसे और सोना पड़ा है मेरे खयाल से इसकी कुल कीमत 4-5 लाख के बीच होगी, अब इस मंहगाई के ज़माने में अगर तुझे इसमें ही तेरी बेटी की शादी और बेटे की पढ़ाई करवानी हो तो क्या करेगी तू?
अब जा कर मुरारी लाल की बीवी उसकी चिंता का कारण समझ पाई थी... वह धीरे से मुरारी के कंधे पर हाथ रख कर बोली चिंता ना करो भगवान सब ठीक ही करेंगे।
शाम होते ही मुरारी अपने दोस्त मास्टर रघु के पास पहुंचा और सीधा पूछने लगा कि क्या हुए मास्टर जी अपने मेरे बेटे के लिए कुछ सोचा भी या नहीं।
मास्टर जी भी अपने मित्र की मदद की पूरी तैयारी कर चुके थे लेकिन....
मास्टर जी का मुरारी से पहला सवाल वहीं था जहां बीते दिन उन्होंने अपनी बात खत्म कि थी।
मास्टर जी भी बिना संकोच पूछ बैठे की तेरे बचत से कितने पैसे निकले पहले वो तो बता ..?
मुरारी लाल थोड़ा खुश होता हुआ कहता है कम से कम चार लाख के आस पास तो पहुंच ही जाएंगे। लेकिन रघु एक बात और है जो मुझे एक अजीब स्थिति में डाल रही है।
मास्टर रघु - अरे भाई अब क्या बात हो गई चलो पहले तुम ही बता दो फिर आज मै तुम्हारी सारी समस्याओं का समाधान करता हूं।
मुरारी लाल - मास्टर कल जब मै तेरे पास से वापस घर को लौटा तो मेरे घर मेरे चचेरे भाई आए हुए थे और साथ में कुछ और मेहमान भी थे।
पूछताछ हुई तो पता लगा वे लोग वाणी को पसंद कर उसका हाथ मांगने आए है काफी अमीर घराना है लड़का भी पढ़ा लिखा है।
रिश्ता बहुत अच्छा है ऐसा मौका बार बार नहीं आता लेकिन .....
मास्टर रघु - लेकिन क्या..?
मुरारी लाल - बात यह है मास्टर इतनी महंगाई है। अगर मै बेटी की शादी कर दी तो ज्यादा से ज्यादा एक लाख ही बचा सकता हूं
मास्टर रघु हस्ते हुए बोले अरे तो सोचना क्या है जो सामने है पहले उस काम को पूरा करो बाकी का मै तुम्हे समझता हूं।
तभी मास्टर रघु अंदर से एक पुराना अखबार ले कर आए और बोले ध्यान से सुनना में पढ़ कर सुनता हूं..
मुरारी लाल - अरे मास्टर रुको तुम्हे पता है ना .....?
मुझे वो सब समझ में तो आए गा नहीं तुम मुझे ऐसे समझाओ की मुझे समझ आ जाय..!
मास्टर रघु ने कहा देखो मुरारी हर कोई अपने बच्चे को डॉक्टर, इंजिनियर या फिर कलेक्टर बनाने की सोचता है...
और तुमने भी ऐसा ही कुछ सोचा होगा..
मुरारी लाल मास्टर की बात सुन कर बोला बात तो सही कह रहे हो मास्टर लेकिन मुझे अगर यही समझ आता कि मै अपने बेटे को क्या बनाऊ तो मै ये सारी बाते तुमसे क्यों कहता भला...
मास्टर रघु - अरे भाई तुम मेरी बात को समझो मेरे हिसाब से तुम्हारे बेटे के की इंजिनियर की पढ़ाई अच्छी रहेगी। आज कल तो इसकी पढ़ाई के लिए लोन भी आसानी मिल जाता है। और इंजिनियर की नौकरी है, भी बहुत अच्छी, पैसे भी अच्छे मिलते है..
लेकिन इंजिनियर की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला ऐसे ही नहीं मिलता उसके लिए अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा देनी होती है जिसे अंग्रेजी में (JEE Main) कहते है।
इस परीक्षा में हर साल 1 लाख विद्यार्थी भाग लेते है लेकिन सिर्फ कुछ ही बच्चे होते है जो इस परीक्षा को पास कर आगे पहुंच पाते है। इसके लिए सही मार्गदर्शन, सही शिक्षक की जरूरत होती है जो बच्चे को इस परीक्षा के लिए तैयार कर सके।
मास्टर की बात सुन कर मुरारी लाल बोला फिर तो इसकी पढ़ाई में बहुत पैसे लगते होंगे जब हर बार इतने सारे बच्चे यह परीक्षा देते है और उनको सफलता नहीं मिलती इसका ये मतलब भी है कि यह परीक्षा बहुत कठिन होती होगी।
मास्टर रघु ने मुरारी की बात का उत्तर यह के कर दिया कि- भाई पढ़ाई पूरी होने पर नौकरी भी तो साहबों वाली मिलती है...
इस परीक्षा की सफलता का फल इतना मीठा होता है कि बच्चे और उसके मां बाप की सारी ज़िन्दगी में उसकी मिठास घुल जाती है।
मुरारी लाल - मास्टर तुमने कहा है तो सही ही होगा लेकिन यह तो बताओ की खर्च कितना होगा ...?
मास्टर रघु - हां मै भी वही बता रहा हूं कि इसका खर्च तो थोड़ा ज्यादा है। लेकिन अगर तेरे बेटे को इस परीक्षा में सफलता मिल जाती है तो आगे की कॉलेज की पढ़ाई का लगभग सारा खर्च सरकार पूरा करेगी तुम्हे बस अपने बेटे की निजी जरूरतों और कुछ उपरी खर्चों का ध्यान रखना होगा..!
मास्टर की यह बात सुन कर तो मुरारी फुला नहीं समाया और मानो बस उछल ही पड़ा तभी मास्टर रघु, मुरारी को शांत करवाते हुए कहते है कि अरे यह सब इतना आसान नहीं है इसमें बहुत कड़ी मेहनत लगती है तुम भूल गए क्या....?
तुम्हारे बेटे जैसे एक लाख लोग और भी यही परीक्षा देने आते है वो भी हर साल...!!
तुम अब थोड़ा शांत हो कर मेरी बात सुनो ..!
मुरारी लाल - हां मास्टर रास्ता तो बहुत अच्छा सुझाया है तुमने अब आगे का मार्गदर्शन भी तुम्हे ही करना है।
मास्टर रघु - मुरारी भाई देखो....!
मै सिर्फ सस्ता बता सकता हूं सही और गलत का चुनाव आखिर में तुम्हे ही करना होगा कुछ ग़लत हुआ तो मुझे ना कहना बाद में..!
मुरारी लाल - अरे ये कैसी बाते कर रहे हो भाई रघु ऐसा ना कहो मेरी हालात तो पहले से ही खराब है अब ऐसा कह कर तुम तो मेरा दिल ही बैठा दोगे ...!
मास्टर रघु - मै ठीक ही कहा रहा हूं मुरारी ये जो पढ़ाई और परीक्षा का रास्ता बता रहा हूं ये कतई आसान नहीं होगा खास कर तुम्हारे बेटे के लिए, लेकिन अभी के तुम्हारे हाल ऐसे है कि मुझे इससे अच्छा रास्ता नहीं सूझा...
अगर बात बन गई तो बेटे को बड़े शहर भेज देना वरना वापस बुला कर गांव के कॉलेज में दाखिला करवा देना, और फिर तीन साल पूरे होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए बाहर भेज देना इस बीच तुम्हे थोड़ा टाइम भी मिल जायगा पैसे जोड़ने के लिए। ऐसा करने से तुम्हारे दिल को सुकून भी मिलेगा की कम से कम एक कोशिश तो की तुमने।
मुरारी लाल - अरे मास्टर कैसी कोशिश कैसा टाइम मुझे सही तरह से समझाओ मै समझ ही नहीं पा रहा हूं तुम्हारी बातें।
मास्टर रघु - देखो मुरारी लाल में लो आज कि तारीख में तुम्हारे पास 4 लाख रुपए है। और तुम्हारे हाथ बेटी के की अच्छा रिश्ता भी है। फिलहाल तुम तीन लाख रुपयों से बेटी की शादी कर लो और फिर तुम्हारे हाथ सिर्फ एक लाख रुपए रह जाएगा।
इतने पैसे तुम्हारे बेटे मुकेश की एक साल JEE
की पढ़ाई में लगा दो, रहा रहने खाने का खर्च तो कुछ मै तुम्हारी मदद कर दूंगा और थोड़ा तुम यहां वहां से हाथ मार कर जुगाड कर लेना।
आगे साल में आने वाला JEE का फार्म तुम्हारे बेटे को भरवा कर परीक्षा में बैठा कर देखते है। अगर वो पास हो गया तो समझो तुम्हारी और उसकी किस्मत अच्छी है और उसे आगे पढ़ने बाहर भेज देना वरना वापस गांव बुला कर तीन साल यही कोई कॉलेज में दाखिला दिला देना।
मेरी नजर में यही सबसे अच्छा रास्ता है इससे सांप भी मर जाएगा, और लाठी भी नहीं टूटेगी आगे जैसा तुम्हे ठीक लगे ये सिर्फ मेरी सलाह है ।
मास्टर रघु की ये सभी बात सुन कर मुरारी लाल को कुछ बाते समझ आई और कुछ बाते समझ नहीं भी नहीं आई की...
वह बोला मास्टर कैसी बात करते हो एक साल जब कोई कॉलेज नहीं होगा तो मेरे बेटे को कौन पढ़ाए गा....?
मुरारी की बात सुन रघु हस्ते हुए बोला अरे भाई अब जमाना बदल गया है आज कल एक साल क्या दो तीन साल तक बच्चे सिर्फ इस परीक्षा को पास करने के लिए ट्यूशन लेते है जिसकी सालाना फीस ही करीब लाख रुपए होती है।
और कुछ नसीब वाले होशियार बच्चे पहले साल में ही इस परीक्षा को पास कर लेते है।
मुरारी लाल - ठीक है मास्टर ....!!
मै तुम्हारी सलाह से ही काम करता हूं आज जा कर मै अपने बेटे को इस बारे में बताता हूं, देखो उसका क्या सोचना है।
मास्टर रघु - हां मुरारी ये बात तो बिल्कुल सही कहा है। तुमने उसकी मर्ज़ी और उसकी रुचि इस बात में होनी बहुत ही जरूरी है वरना जब उसका मन पढ़ाई में लगे गा ही नहीं तो वो पास कैसे होगा...? यहां पढ़ाई के साथ आपकी रुचि का होना भी बहुत जरूरी है।
बस फिर क्या था बेटे की तकदीर बन जाय बस यही सोचते हुए मुरारी घर को निकल गया घर जा कर उसने सारी बात अपनी बीवी को बताया और बोला तू क्या सोचती है क्या करना चाहिए..?
मुरारी की बीवी भी अब कोई ज्यादा पढ़ी लिखी महिला तो थी नहीं उसने भी मुरारी की हां में हां मिलाते हुए कह दिया आपको सही लगता है तो अच्छा ही होगा अब तक भगवान ने हमारे साथ कुछ बुरा नहीं होने दिया है आगे भी सब अच्छा ही होगा....
मै कल ही मंदिर जा कर अपने दोनो बच्चो के लिए मन्नत मानूंगी।
फिर क्या था शाम खाना खाते हुए दोनों पति पत्नी ने अपने दोनो बच्चो वाणी और मुकेश से इस बारे में बात की ...!
वाणी अपनी शादी का सारा फैसला पहले ही अपने माता पिता पर छोड़ चुकी थी और रही मुकेश की बात तो जब उसे बाहर जा कर JEE कि कोचिंग का प्रस्ताव अपने पिता से मिला तो वह भी बहुत खुश हुआ।
उसने बताया कि उसकी सीनियर क्लास के दो बच्चे पिछले दो साल से वहां जा कर तैयारी कर रहे है।
लेकिन मुकेश सोचता था वह लोग तो बहुत अमीर है बड़े जमींदार के बच्चे है...!
मै अगर सोचू भी तो इतने पैसे कहा से आएंगे उसके पिता तो मामूली किसान है। इसलिए मुकेश ने कभी ऐसी बाते की ही नहीं जो सुन कर उसके माता पिता को छोटा पन महसूस हो।
लेकिन आज जब उसके पिता ने पूरी बात बताई और यह प्रस्ताव सामने रखा तो मुकेश की उत्सुकता देख कर मुरारी और उसकी बीवी ख़ुश हो गए ..
उनकी खुशी की एक वजह यह भी थी कि उनके दोनो ही बच्चे बहुत शांत और शालीन स्वाभाव के थे। जहां एक तरफ बेटी को अच्छा घर मिल रहा था वहीं दूसरी तरफ बेटे को एक अच्छी शिक्षा पाने का मौका भी नजर आ रहा था..!
मुरारी तभी मुकेश को समझते हुए बोला बेटा तुझे तो सब पता ही है। की इसकी पढ़ाई इतनी मंहगी होती है तेरे पास समय बहुत ही कम होगा तेरी बहन की शादी के बाद मेरे पास सिर्फ इतने ही पैसे होंगे की मै तुझे एक साल वह पढ़ा सकू।
अगर तुझे सफलता नहीं मिलती है तो अगले साल तुझे वापस आ कर यहां गांव के किसी कॉलेज में दाखिला लेना होगा।
मुकेश ने अपने पिता मुरारी की बात सुन कर जवाब में कहा...
पिताजी मैने तो ये कभी सोचा भी नहीं था आप मुझे इतनी बड़ी परीक्षा के लिए किसी बड़ी कोचिंग में जाने बोलेंगे।
उल्टा मै तो खुद यही सोच रहा था कि अगले साल गांव के आस-पास किस कॉलेज में अपना दाखिला करवाना होगा। आप चिंता ना करें पिता जी मै पूरी मेहनत करुगा और आपको पास हो कर दिखाऊ गा।
अपने बेटे कि बात सुन कर मुरारी लाल भी बहुत खुश हुआ...
अगले दिन मास्टर रघु अचानक मुरारी के घर आ कर उससे पूछ बैठा की क्या सोचा है फिर...?
मुरारी भी जैसे ताक में था। मुरारी झट से बेटे को आवाज़ लगा कर बुलाता है और मास्टर रघु को अंदर बुलाते हुए कहता है कि ...
कल रात ही मैने बेटे से बात की उसे तो ये सारी बाते पहले से पता है वह तो बता रहा था अपने जमींदार साहब के दोनो बेटे भी दो साल से इस परीक्षा कि तैयारी वहां रह कर कर रहे है।
मेरा बेटा तो कह रहा था वो अपनी पूरी जान लड़ा देगा इस परीक्षा के लिए बस मास्टर अब ये बता देना कहां जाना है, और क्या करना है मेरा बेटा अभी बहुत छोटा है और मै कुछ जानता नहीं इस बारे में....!
मास्टर हड़बड़ाते हुए बोला अरे मुरारी तुम दोस्त कहते हो और एक पल में पराया भी कर देते हो.....!
मै हूं ना खुद साथ चलूंगा... वहां मेरी पहचान के कुछ लोग है अपना काम आसानी से हो जाय गा। लेकिन है मेरी एक शर्त है और उसके बिना मै तो नहीं मानूंगा....!
बोलो अगर तुम पूरी करो तो ठीक वर्ना मै ये चला....!
तभी मुकेश वह आ कर चुपचाप दोनो की बाते सुन रहा था कि मास्टर की नजर मुकेश पर पड़ी और वो बोले अरे बेटा तू क्या सुन रहा है हमारी बाते तेरे समझ नहीं आने वाली ये सब बात ...
तू मुझे ये बता तेरे बापू ने तुझे सब बता दिया है ना...?
बोल तू अपनी खुशी से वहां जा रहा है ना या तेरे बापू का कोई दबाव है तुझ पर साफ बता दे बेटा तेरे बापू से मत डर उसे पढ़ाई लिखाई का ज्यादा नहीं पता...!
अगर तेरा दिल वहां जाने का नहीं है या कुछ और पढ़ने का है तो साफ बता दे अभी बेटा..!
मुकेश बोला नहीं मास्टर जी मै तो आस-पास के कॉलेज से इंजीनयरिंग कर पाऊं यही बड़ी बात समझ रहा था लेकिन कल रात पिता जीने जब यह प्रस्ताव मुझे बताया तो मुझे बहुत अच्छा लगा मैं अपनी पूरी मेहनत से एक साल में ही पास हो कर डिखाऊ गा ।
मास्टर रघु - हां बेटा ....बात तो तेरी ठीक है लेकिन- बात की गहराई को समझ लेना सही तरीके से अगर तुम सफल नहीं हुए तो वापस गांव आ कर यह से पढ़ाई आगे बढ़ाना पड़ेगा।
जहा तुम परीक्षा की तैयारी के लिए जा रहे हो वो नेशनल लेवल एग्जाम है, इतना आसान नहीं होगा लेकिन एक बार इस परीक्षा को पार कर गए तो तुम्हरा हाथ कोई नहीं पकड़ पाएगा फिर तुम सिर्फ आसमान की ऊंचाई को छू कर अपने माता पिता को गौरवान्वित करोगे।
अच्छा चलो जाओ पढ़ाई करो अभी पहले अपनी बारहवी की परीक्षा तो अच्छे नंबर से पास हो जाओ।
इतना कह कर मास्टर उठ खड़े हुए और बोले चलो मुरारी मै भी चलता हूं अब कुछ और काम भी पूरे कर लूं। और हां अपनी बेटी की शादी में मुझे मत भूल जाना समझे ....!!
कहते हुए मास्टर जी अपने रास्ते चल दिए ...
अब मुरारी लाल चाय का ग्लास हाथ में पकड़े हुए सोचने लगा मेरी सारी चिंता तो अकेले मास्टर ने सुलझा दिया सही ही कहते है जीवन में एक अच्छा दोस्त जरूर बनाना चाहिए ...!!
आज रात बड़े सुकून की नींद आएगी मुझे।
देखते ही देखते आगे कुछ और दिन बीत गए अब मुरारी की बीवी मुरारी पर दवाब बनाने लगी कि लड़के वालों के घर जा कर बेटी का रिश्ता भी पक्का कर आओ ऐसा ना हो कि मौका हाथ से निकल बाहर हो...
मुरारी ने भी अपनी बीवी की बात पर हामी भरी और दो-तीन दिन बाद अपने चचेरे भाई के घर चलने की बात कह कर शांत हो गया।
और दो-तीन दिन बाद रविवार की सुबह दोनो पति पत्नी साथ कुछ पैसे रख कर अपने उस रिश्तेदार के घर की तरफ निकल पड़े।
और वहां जा कर उन्होंने लड़के के बारे में थोड़ी पूछताछ कर शादी पक्की करने की बात कही तो।
मुरारी के चचेरे भाई भी खुश हो कर बोले वाणी बहुत सौभाग्यवती है जो इतना अच्छा खानदान उसे मिल रहा है
तभी मुरारी बोल पड़ा लेकिन इतना अमीर परिवार है इनकी मांगें क्या होंगी तुम तो जानते ही हो भाई हम तो बड़े साधारण से लोग है।
तभी मुरारी के भाई बोले अरे भाई साहब यही तो सबसे अच्छी बात है इनकी कोई ज्यादा मांगे नहीं है बस जो आप खुशी से बेटी के साथ विदा करो वहीं बहुत है। उन्होंने तो यह तक कह दिया है कि अगर आपको कोई आर्थिक या किसी और तरह की मदद लगे तो आप बेजिजक उनसे बताए।
मुरारी थोड़ा पुराने खयाल का था भाई की ये बाते सुन कर वह बोला ...
अरे अरे क्यों पाप में डाल रहे हो भाई लड़की का बाप हो कर उल्टा लड़के वालों के सामने मै क्या मांगने जाऊं गा। नहीं भाई इतनी हिम्मत तो मुझमें नहीं है और फिर तुम्हें तो पता ही है थोड़ी मदद अगर वो कर भी देंगे तो बदले में मेरी बेटी को सारी ज़िन्दगी उस बात का तना सुनना पड़ेगा।
बस वह बात वहीं आई गई हो गई अब आगे मुरारी और उसके भाई का परिवार लड़के वालों के घर जा कर रिश्ता पक्का कर बेटी के कॉलेज खत्म होने के बाद शादी की बात कह कर आते है।
अब बेटी के कॉलेज खत्म होने को सिर्फ कुछ समय ही था इसके मुरारी और उसकी बीवी अपने हिसाब से तैयारियां करने मै लग गए।
इधर मुकेश के बारहवी के पेपर भी खत्म हो चुके थे जल्दी ही उसका रिजल्ट भी आने वाला था।
जल्दी ही दो महीने गुजर गए और बेटी की शादी की तारीख फिक्स हो गई मुरारी ने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर राहत की सांस लिया ही था कि अचानक एक दिन उसे उड़ती खबर पता लगी की बारहवी का रिजल्ट आने वाला है अब मुरारी लाल का ध्यान बेटी से हट कर बेटे के भविष्य पर टिक गया।
वह मन ही मन प्रार्थना करने लगा भगवान अब तक आपके आशीर्वाद से सब अच्छा हुआ है आगे भी सब मंगलमय करना।
अब मुरारी मन में चिंता भाव जेब में बेटे का रोल नंबर और हाथ में बेटी की शादी का हल्दी चावल (निमंत्रण) ले कर सभी रिश्तेदारों के घर घूमने लगा। अगले दस दिनों में बेटी की शादी जो थी।
मुरारी की बैचैनी बढ़ती जा रही थी और मुकेश का रिजल्ट आने को तैयार नहीं था। वह रोज एक बार मास्टर के घर जा कर मुकेश के रिजल्ट के बारे में जरूर पूछता था।
बेटी की शादी के तीन रोज़ पहले मास्टर मुरारी के घर आया और मुरारी को ढूंढने लगा मेहमानों से भरे घर में मुश्किल से मुरारी मिला तब मास्टर ने मुरारी को रिजल्ट पेपर में आने की बात कहा और दोनो जल्दी में घर से बाहर निकाल गए इधर मुकेश के दोस्त भी सुपर फास्ट ट्रेन की तरह घर आ कर मुकेश को साथ ले गए।
वाणी और उसकी मां को कुछ समझ ही नहीं आया आखिर ये सब हो क्या रहा है लेकिन घर में इतने मेहमान होने की वजह से वह दोनो मुरारी लाल और मुकेश से कुछ पूछ ही नहीं पाई।
मास्टर के घर पहुंच कर मास्टर जल्दी से अखबार में मुकेश का रोल नंबर ढूंढने लगा और वहीं दूसरी तरफ मुकेश के दोस्त तो पहले से सब देख कर आए थे।
मुकेश को ये तो पता था कि वो हर हाल में पास हो जाय गा लेकिन इतने कम नंबर से आने वाले है ये नहीं जानता था।
वहां मास्टर भी पेपर में मुकेश का रोल नंबर देख कर मुरारी को यह बताता है कि उसका बेटा फर्स्ट डिवीजन से पास हुआ है लेकिन उसके परसेंट थोड़े कम है अब मुरारी के लिए तो यही बात बहुत ही की उसका बेटा 12वीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास हुआ है।
मुकेश भी इसी बात से परेशान था कि उसके पिता उसके लिए कितने बड़े सपने देख रहे हैं लेकिन जब उन्हें पता चलेगा कि उसके सिर्फ 65 प्रतिशत अंक आए हैं तब वह उन्हें क्या जवाब देगा।
हालांकि मुकेश अपने सभी मित्रों से एक-दो अंक आगे ही था लेकिन फिर भी उसे संतुष्टि ना थी। उसके दोस्त उसे लगातार समझा रहे थे कि बिना किसी कोचिंग के 65% अंक लाना भी कोई छोटी बात नहीं है लेकिन मुकेश के मन में कुछ और ही चल रहा था।
अब उसे यह शंका होने लगी थी कि इतने कम नंबर के साथ क्या उसके पिताजी उसे अब भी कोचिंग के लिए बाहर भेजने को राजी होंगे या फिर नहीं।
मुकेश के दोस्त पास होने की खुशी में मुकेश को खींच कर मोहल्ले के पास के ही एक होटल में लेकर जाते हैं सभी अपनी अपनी पसंद के पकवान खाते हैं लेकिन मुकेश एक कोने में मुंह लटकाए चुपचाप बैठा हुआ था दोस्तों के लाख समझाने पर भी मुकेश नहीं माना।
कुछ ही देर बात मुरारी लाल और मास्टर भी उसी होटल में पहुंचते हैं मुरारी लाल 1 किलो बूंदी के लड्डू बांधने के लिए कहता है तभी मास्टर की नजर मुकेश पर पड़ती है और वह मुरारी को बताता है मुकेश के दोस्त जहां खुशी से शोर मचा रहे थे कॉलेज की बातें कर रहे थे अपनी पसंद के पकवान खा रहे थे।
वही मुकेश एक कोने में बैठकर मुंह लटकाए पता नहीं किस सोच में डूबा हुआ था।
तभी अचानक मास्टर रघु और मुरारी लाल मुकेश के पास जाकर खड़े हो गए मुकेश उन दोनों को देखकर बहुत डर गया और सोचने लगा कि अब मैं इन्हें क्या जवाब दूं आज मेरे दोस्तों के सामने ही मुझे डांट पड़ने वाली है।
तभी मास्टर ने मुकेश से पूछा क्या हुआ तुम अपने दोस्तों के साथ खुशी नहीं मना रहे हो आखिर क्या बात है..?
तुम्हें पास होने की खुशी नहीं हुई है तब मुकेश बोला मास्टर जी पास तो मैं भी हो गया हूं लेकिन सिर्फ 65% अंकों से और आप तो जानते ही हैं मेरे बाबा ने मेरे लिए क्या सोचा है अब पता नहीं इतने कम अंकों को देखकर वह मुझे पढ़ने भेजेंगे भी.... या नहीं...!
मैंने तो अपनी तरफ से कोई कसर बाकी नहीं रखा था लेकिन पता नहीं कैसे मेरे अंक इतने कम हो गए।
मुरारी लाल चुपचाप खड़ा होकर मास्टर और मुकेश की बातें सुन रहा था तब उसे भी महसूस हुआ कि मास्टर ने भी कहा था कि मुकेश के प्रतिशत अंक थोड़े कम है।
मुरारी लाल माहौल को खुशनुमा करने के इरादे से बोला बेटा तूने अपनी तरफ से तो पूरा जोर लगाया था ना अब जो हुआ वह अच्छा ही है तभी मुकेश का एक दोस्त पीछे से बोल पड़ा जी हां मैं भी इसे यही समझा रहा था कि बिना किसी मार्गदर्शन, किसी कोचिंग के तूने इतने अच्छे नंबर से अपना रिजल्ट बनाया है लेकिन पता नहीं फिर भी यह क्यों दुखी है।
मुरारी लाल मास्टर की तरफ देख कर बोला अभी भी तो यह प्रथम श्रेणी ही कहलाएगा ना तो क्या यह उस परीक्षा में नहीं बैठ पाएगा तब मास्टर जी ने मुकेश को देख कर कहा ऐसा नहीं है कि यह परीक्षा में नहीं बैठ पाएगा लेकिन अंक थोड़े ज्यादा होते तो अच्छा होता खैर यह भी बुरा नहीं है।
लेकिन मुकेश तुम्हें अगर अपना भविष्य सुनहरा बनाना है तो आगे ऐसी गलती की गुंजाइश मत रखना वहां तो एक नंबर भी बहुत मायने रखते हैं और तुम यहां 5% अंकों के लिए उदास बैठे हो जो हुआ सो हुआ अब आगे ऐसी गलती ना हो यह सुनिश्चित करना ही तुम्हारा पहला लक्ष्य होना चाहिए।
और रही तुम्हारी उस चिंता का निवारण में अभी किए देता हूं कि इतने अंकों में तुम्हारे बाबा तुम्हें पढ़ाई के लिए भेजेंगे या नहीं। तो तुमसे ज्यादा खुश तुम्हारे बाबा है उन्हें तो सिर्फ प्रथम श्रेणी का मतलब ही सही समझ आता है प्रतिशत ज्ञान और प्रतिशत की कदर उन्हें नहीं है।
यह सब बातें हो ही रही थी कि मुरारीलाल एक बड़ा सा बूंदी का लड्डू लेकर अपने बेटे के मुंह में ठूंसते हुए कहता है कि चल अब रोनी सूरत मत बना देख मास्टर ने भी कह दिया है कि आगे ऐसी गलती ना हो और अभी यह गलती इतनी भी बड़ी नहीं है कि तुझे रोनी सूरत बना कर घूमना पड़े इतना कहकर दोनों चल पड़े और जाते जाते कहने लगे कि,
तेरी बहन की शादी भी है, घर जल्दी आ जाना बहुत से काम करने हैं।
मास्टर और मुरारी लाल के जाने के बाद जब दोस्तों ने उसके पिता की तारीफ की तब जाकर मुकेश के चेहरे पर मुस्कान वापस लौटी और उसके डर का भी अंत हुआ कि उसके पिता उससे बाहर जा कर पढ़ाई करने का वह मौका अभी भी उसे दे रहे है।
आगे तीन दिनों में वाणी की शादी भी हो गई जल्दी ही मुकेश के दूसरे शहर जाने का दिन भी आ गया।
मास्टर और मुरारी लाल ने मुकेश के जाने की तैयारी, कोचिंग में एडमिशन जैसी सभी व्यवस्थाएं पहले से ही पूरी कर दी थी। बस अब मुकेश को वहां जा कर दिल लगा कर पढ़ाई करना था।
मुरारी लाल ने अपनी जीमेदरियों को पूरा कर जैसे चैन कि सांस लिया उसे पूरी उम्मीद थी कि उसका बेटा परीक्षा में जरूर पास हो जाएगा और उसकी बेटी भी अब अपने परिवार में सुखी सुखी रह रही थी।
मुकेश भी वहां पढ़ाई में लग गया देखते देखते एक साल बीत गया और वह JEE का एग्जाम दे कर घर वापस आ गया था ।
घर आए कुछ ही दिन हुए थे कि एग्जाम का रिजल्ट आ गया और मुरारी लाल को जैसा अनुमान था कि उसका बेटा एग्जाम में पास जरूर होगा और हुए भी ऐसा ही उसके बेटे की JEE में ठीक ठाक रैंक आ गई थी जिसके बल पर उसे भारत के टॉप कॉलेज में से एक में दाखिला भी मिलना था।
अच्छी बात यह थी कि मुरारी को इतने बड़े कॉलेज की पढ़ाई के खर्च की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं थी मास्टर जी ने मुरारी और मुकेश को सब अच्छी तरह समझा दिया अब ये बात पक्की थी कि स्कॉलरशिप से मुकेश की आगे की पढ़ाई पूरी हो जाए जी मुरारी लाल को बस बेटे की उपरी जरूरतों का ख्याल रखना था।
दिन बीतते रहे और मुकेश देखते ही देखते पढ़ाई पूरी कर एक अच्छी कंपनी में जॉब भी करने लगा उसे महीने की अच्छी तनखा, रहने को बड़ा घर और भी दूसरी सुविधा मिली अब मुरारी और उसकी बीवी के दिन सुकून के कर रहे थे बेटा एक अच्छी रकम मुरारी के खाते में डाल देता था।
बस अब मुरारी बेटे से यही पूछता की घर कब आए गा बेटे मुकेश की ज़िन्दगी अब काफी व्यस्त हो चुकी थी इसलिए कभी कभी मुरारी और उसकी बीवी ही मुकेश से मिलने चले जाते थे। और इस तरह भविष्य के लिए की हुई बचत, थोड़ी सूझबूझ, अच्छे मित्र की सलाह और थोड़ा रिस्क ले कर एक आम किसान ने अपने बेटे को एक मल्टी नेशनल कंपनी तक पहुंचा दिया।
निष्कर्ष - मुरारी लाल की सूझबूझ देख कर यह पता लगता है कि अगर इंसान मन बना ले तो वह लक्ष्य जरूर पा लेता है। जीवन में एक साथ कुछ भी हाथ नहीं आता लेकिन थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़ कर जहा मुरारी लाल अपने बेटे व बेटी का जीवन संवारने में कमियाब रहा.....!
तो वहीं जीवन में एक सच्चे व समझदार मित्र की वजह से मुरारी लाल ये सब कर पाया था इसलिए हमेशा कहा जाता है दोस्ती सजनो से करो जो आपको सही रास्ता दिखाएं।
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