हिंदी कहानियां - गंगाराम पटेल और बुलाखी राम नाई की रोचक कहानियां, ठग की शादी
गंगा राम पटेल और बुलाखी नाई अपने सफर को आगे बढ़ाते हुए एक नए नगर पहुंचे। वहां एक खूबसूरत सा बाग देख कर उन दोनों ने वही ठहरने का निश्चय किया।
Hindi story- ठग की शादी |
इसी बीच जब वे दोनों उस नगर में प्रवेश कर रहे थे तो, इस बार बुलाखी ने देखा की एक नौजवान चक्की के दो पाटों को एक लकड़ी में डालकर उन्हें रास्ते पर लुढ़कता हुआ ला रहा था। तभी घोड़े पर सवार होकर मर्दाना वेश में एक स्त्री वहां पर पहुंची। उसने उस नौजवान पर हंटर बरसाने शुरू कर दिए। युवक हाथ जोड़कर उससे माफी मांगने लगा। युवक के बार-बार माफी मांगने पर वह युक्ति कुछ नरम पड़ी और हंटर बरसाने बंद कर वहां से घोड़ा दौड़ाती हुई आगे चली गई। यह नजारा देखकर बुलाखी के मन में उस रहस्य को जानने की उत्सुकता पैदा हो गई। रात को सोने से पहले जब उसने गंगाराम पटेल से इस रहस्य को उजागर करने का आग्रह किया तो गंगाराम ने कहा - बुलाखीराम ..!
ध्यान से सुन- इस नगर में रामू नाम का एक ठग रहता है। रामू के पिता का देहांत हो चुका है, परिवार में उसकी मां और वह स्वयं, दो प्राणी है। रामू ठगी के द्वारा ही अपनी जीविका चलाता है।
एक दिन की बात है, रामू की मां बहुत उदास भाव में बैठी हुई थी। तभी रामू अपने काम से घर वापस लौटा। मां को उदास देखकर उसने पूछा- मां..! क्या बात है, आज तो बहुत उदास लग रही है..?
मां बोली- बेटा रामू, मेरी उदासी का कारण तू ही है। मैं तेरे ही बारे में चिंतित हूं।
मेरे विषय में..?
हां, बेटा। मैं यह सोच कर चिंतित हो रही हूं कि मेरी मृत्यु के बाद तू भोजन कैसे बनाकर खाएगा? अगर मेरे सामने ही तेरा विवाह हो जाता तो कितना अच्छा होता। मैं तुझसे बार-बार कहती हूं कि बेटा अपना विवाह कर ले, लेकिन तू मेरी बात पर ध्यान ही नहीं देता।
मां...!!
रामू बोला अब तू यह चिंता छोड़ दे। मैंने विवाह करने का मन बना लिया है। जल्द ही मैं तेरे लिए एक ऐसी खूबसूरत बहू ढूंढ लाऊंगा, जो तुझे हर प्रकार का आराम देगी। बहू के आ जाने पर चूल्हा चक्की के कामों से तुझे मुक्ति मिल जाएगी। फिर तू आराम से बैठकर ईश्वर भजन करती रहना।
रामू की मां यह सुनकर खुश हो गई। रामू भी अपनी होने वाली पत्नी के लिए जेवर आदि जुटाने में लग गया। इसी प्रयास में एक दिन एक सर्राफा की दुकान पर पहुंचा। उसने बड़ी अच्छी पोशाक पहन रखी थी, इसलिए सर्राफ उसे कोई बहुत बड़ा ग्राहक समझा। रामू से उसने पूछा- बताइए जनाब..! कौन सा जेवर खरीदेंगे..?
रामू ने कहा-
मुझे एक खूबसूरत सा हार दिखाइए, ऐसा हार जिसकी कीमत भी वाजिब हो और जो दिखने में भी अच्छा हो।
हां-हां जरूर। मैं अभी आपको आपकी पसंद का हार दिखाता हूं। यह कहकर सर्राफ ने उसके सामने कई तरह के हार पेश कर दिए।
रामू ने उसमें से एक हार पसंद कर लिया हार को पर रखते हुए उसने सर आपसे पूछा कितनी कीमत है इस हार की?
सर्राफ - पांच हजार रूपए श्री मान।
ठीक है। यह हार मेरा हुआ। जब तक मैं रुपए निकाल लूं, आप इसकी रसीद लिखकर मुझे दे दीजिए।
दुकानदार जब रसीद बुक लेने अंदर चला गया तभी योजना अनुसार रामू की मां ग्राहक बनकर वहां पहुंची और शो केसों में सजे जेवरों को देखने लगी इससे पहले की सर्राफ लौटता रामू ने बड़ी पोती के साथ वह हार अपनी मां की तरफ उछाल दिया जिसने फौरन ही वह हर अपने ब्लाउज के गले में खोस लिया जब तक सर्राफ रसीद लेकर लौटता वह हार लेकर वहां से रफूचक्कर हो गई रामू ने रसीद लेकर जेब में रख ली और ₹5000 गिनकर
सर्राफ को दे दिए, लेकिन उसने वहां से उठने का कोई प्रयास नहीं किया उसकी निगाह शो केसों में लटके दूसरे जेवरातों पर घूमती रही। उसे उत्सुक देखकर सर आपने पूछा कोई और जीवन चाहिए जनाब?
दुकानदार ने तत्परता से उसे दूसरा हार निकाल कर दे दिया रामू ने हाथ जेब में डाला और बाहर जाने लगा यह देखकर दुकानदार ने कहा श्रीमान इस हार की कीमत तो चुका दीजिए।
कीमत कीमत तो मैं आपको पहले ही दे चुका हूं अब क्या एक चीज की कीमत दो दो बार लोगे रामू दुकानदार पर बिगर उठा
दोनों में झगड़ा होने लगा हालत हाथापाई तक पहुंच गई दुकान के बाहर भीड़ इकट्ठी हो गई सर आप कह रहा था कि हार का दाम चुका हूं और रामू कह रहा था कि मैंने कीमत चुका दी है झगड़ा बड़ा तो वहां पुलिस पहुंच गई कोतवाल दोनों को पकड़कर पुलिस थाने ले गया कोतवाल ने सर आपसे पूछा सेठ जी अब बताओ मामला क्या है?
सेठ बोला हुजूर इस आदमी ने मुझसे एक हार खरीदा था उसकी कीमत देकर इसने मुझसे रसीद लिख वाली फिर इसने दूसरा हार खरीदा परंतु उसकी कीमत नहीं चुकाई और यह हाल लेकर चल दिया जब मैंने इसे रोक कर कहा की हार के दाम चुका दो तो यह कहता है कि कीमत तो मैं दे चुका हूं।
सर आपकी बात सुनकर कोतवाल ने रामू से पूछा अब तुम बताओ भाई क्या यह सेठ जी सच कह रहे हैं?
नहीं हुजूर यह कतई झूठ बोल रहे हैं मैंने इनसे एक ही हार खरीदा है जिसकी रसीद मेरे पास है यह कहकर उसने वह हार और उसकी रसीद कोतवाल के सामने पेश कर दिए फिर बोला हुजूर मेरी तलाशी ले लीजिए अगर मेरे पास कोई दूसरा हार मिल जाए तो आप जो भी चाहे सजा दे देना परंतु अगर मेरी बात सच निकले तो इस दुकानदार पर रहमत खाना यह दुकानदार तो ग्राहकों को दिनदहाड़े लूटता है।
कोतवाल ने रामू की तलाशी ली लेकिन उसके पास से कोई और हार ना मिला यह देख कर सर आपका चेहरा पीला पड़ गया उसने धीमी आवाज में कहा हुजूर इसने वह हार किसी दूसरे आदमी को दे दिया होगा।
देखिए हुजूर अब यह आदमी मुझ पर दूसरा आरोप लगा रहा है मैं इस शहर में परदेसी आया हूं यहां मेरा ना कोई रिश्तेदार और ना ही कोई दोस्त है मैं तो यहां अपनी पत्नी के लिए कुछ जेवर खरीदने आया था मुझे क्या पता था कि इस शहर में आकर मेरी ऐसी फजीहत होगी यदि मैं यह बात जानता होता तो कभी इधर का रुख ना करता रामू ने एक अच्छा खासा लेक्चर दे डाला रामू के इस लेक्चर का कोतवाल पर अच्छा प्रभाव पड़ा उसने रामू निर्दोष जानकर उसे जाने की अनुमति दे दी और दुकानदार को डांट फटकार कर वहां से भगा दिया बेचारा दुकानदार लिपटकर वहां से चला आया।
घर लौट कर रामू ने वह हार भी अपनी मां को सौंप दिया और अगले दिन किसी दूसरे व्यक्ति को ठगने की योजना बनाने लगा।
बुलाखी राम..!
रामू अगले दिन फिर ठगी करने के लिए निकला उसने एक हलवाई की दुकान से दो से जलेबी खरीदी और उन्हें लेकर नगर के बाहर एक रास्ते पर बैठ गया वहां उसने उन जलेबी ओं में कांटो से छेद कर दिए और एक बबूल के पेड़ पर चढ़कर वजले दिया पेन के कांटो में टंगा दी कुछ जलेबियां अपने पास भी रख ली कुछ देर बाद उसे एक आदमी घोड़े पर बैठा आता दिखाई दिया उसके घोड़े पर बहुत सारा सामान लगा हुआ था और वह घोड़ा भी बहुत अच्छी नस्ल का था रामू ने उस व्यक्ति को ही अपना शिकार के रूप में चुन लिया वह व्यक्ति पास आया तो रामू ने उससे कहा आओ आओ मित्र घोड़े से उतर कर नीचे आओ देखो मेरे पास कैसी बढ़िया चीज है
वह व्यक्ति घोड़े से नीचे उतर आया रामू ने कुछ जलेबियां उसकी और बढ़ाते हुए कहा लो यह फल खाओ इसका स्वाद बहुत ही अच्छा है।
अजनबी व्यक्ति जब जलेबी लेने में झिझक ने लगा तो रामू ने एक जलेबी अपने मुंह में डाल ली बोला झिझको नहीं मेरे भाई निसंकोच होकर खाओ खाने में बेहद मजेदार है यह फल।
फल? तुम इन्हें फल कह रहे हो यह तो जलेबियां हैं अजनबी बोला।
रामू बोला तुम्हें धोखा हो रहा है मित्र यह फल ही है समीप के एक वृक्ष से मैंने अभी-अभी इन्हें तोड़ा है।यकीन ना हो तो मेरे साथ चल कर देख लो अजनबी उसकी बातों में आ गया उसने एक जलेबी मुंह में डाली अब जलेबी तो मीठी होती ही है अजनबी को वह बहुत स्वादिष्ट लगी वह बोला यह तो सचमुच बहुत मीठी है परंतु मुझे यह विश्वास नहीं हो रहा की सचमुच ही तुमने इन्हें किसी पेड़ से तोड़ा है।
ओफ्फो! मित्र तुम तो बहुत शक की जान पढ़ते हो आओ मेरे साथ मैं तुम्हें वह पेड़ दिखाता हूं उस पर अभी भी इस जैसे बहुत से फल हैं यह कहकर वह अजनबी को बबूल के पेड़ के पास ले गया और उस पर अपनी द्वारा लटका ही हुई जलेबियां को दिखाते हुए बोला लो देख लो अपनी आंखों से वह लटके हैं फल।
अजनबी लालच में आ गया उसने घोड़े की रास रामू को पकड़ाई और यह कहकर कि तुम इस घोड़े को पकड़ो कुछ फल मैं भी तोड़ दूं बबूल के उस पेड़ पर चढ़ गया बस फिर क्या था रामू उछलकर घोड़े की पीठ पर जा बैठा घोड़ा घोड़ा और दो तीन हंटर उसकी पीठ पर जमा दिए घोड़ा तूफानी रफ्तार से भाग छूटा अजनबी यह दृश्य देखकर बौखला उठा वह तेजी से नीचे उतरा और पकड़ो दौड़ो की आवाज लगाता उसके पीछे भागा किंतु घोड़े और मनुष्य का क्या मुकाबला रामू शीघ्र ही उसकी निगाहों से ओझल हो गया लुटा पिटा मुसाफिर आवाजें लगाता ही रह गया।
बुला खी राम जब घोड़े को सर पर दौड़ आता हुआ ले जा रहा था तभी मार्ग में उसे एक बढ़िया दिखाई दी जो अपनी जवान बेटी के साथ शहर की ओर जा रही थी यह देखकर रामू का शैतानी दिमाग फिर से सक्रिय हो उठा उसने अपना घोड़ा उस बुढ़िया के पास जाकर रोका और उसे पूछा माई कहीं दूर से आ रही हो क्या?
बुढ़िया बोली -हां बेटा हम पांच कोस दूर से पैदल ही चल कर आ रही हैं शहर में एक रिश्तेदार के यहां जाना है।
तब तो जरूर थक गई होगी आओ मेरे पीछे घोड़े पर बैठ जाओ मैं तुम्हें वहां तक छोड़ दूंगा रामू ने कहा।
बुढ़िया बोली नहीं बेटा मैं तो नहीं था कि क्योंकि मुझे पैदल चलने का अभ्यास है हां यह मेरी बेटी जरूर थक गई है कभी इतनी दूर पैदल नहीं चली है ना इसलिए तुम मेरी जगह कुछ देर के लिए इसे अपने पीछे बैठा लो।
रामू ने तब उसकी जवान बेटी को अपने पीछे घोड़े पर बैठा लिया बुढ़िया ने कहा बेटा तुम सचमुच एक नेक आदमी हो वरना आज के जमाने में कौन किसी की मदद करता है अच्छा जरा अपना नाम तो बता दो।
मेरा नाम है जमाई राजा ऐसा कहकर रामू ने घोड़े को एक हंटर जमा दिया और घोड़ा तेजी से आगे की ओर भाग छूटा यह देखकर बुढ़िया चिल्लाने लगी अरे जमाई राजा रुको मेरी बेटी को कहां भगाई ले जा रहे हो अरे कोई मेरी मदद करो जमाई राजा मेरी बेटी को भगाए ले जा रहा है।
उसकी पुकार सुनकर लोग हंसने लगे एक व्यक्ति कहने लगा आधी बुढ़िया माई तेरी बेटी को तेरा जमाई ले जा रहा है तो इसमें बुरी बात क्या है पत्नी तो अपने पति के साथ ही जाएगी ना फिर तू इतना क्यों चिल्ला रही है
बेचारी बुढ़िया हाथ मल कर रह गई रामू थकने उसे भी चूना लगा दिया बहरहाल रामू उस युवती को लेकर अपने घर पहुंचा लड़की चिल्लाने लगी तो रामू ने उसके मुंह पर कपड़ा बांध दिया उसके हाथ पांव भी बांध दिए ताकि वह भाग ना सके वह फिर अपनी मां से बोला मां तू मुझसे विवाह करने को कह रही थी ना देख यह बहू लाया हूं तेरे लिए।
यह सुनकर बुढ़िया प्रसन्न हो गई उसने लड़की की बनाई हुई और रामू से कहा बेटा बहुत अच्छी है परंतु तुमने हाथ पांव और मुंह क्यों बांध दिए हैं अरे खोल दे इसके हाथ पाव को यह तो मेरी बड़ी प्यारी बहू है यह कोई गड़बड़ थोड़ी ही करेगी फिर उसने उस युवती के सिर पर हाथ फेरते हुए उससे पूछा क्यों बहू चीखेगी चिल्लाएगी तो नहीं?
युवती भी हालात को समझ गई और उसने गर्दन हिलाकर सहमति व्यक्त कर दी उसने मन में सोचा कि अवसर मिलने दे बुढ़िया तुझे और तेरे बेटे को ऐसा पाठ पढ़ आऊंगी कि तू भी क्या याद रखेगी।
उस रात रामू की मां ने अपनी नई बहू के लिए बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और अपने हाथों से उन्होंने उस युवती को खिलाया।
अगले दिन रामू की तथाकथित बहू ने रामू से कहा अजी सुनिए...! अब तो मैंने भी फैसला कर लिया है, कि आपकी पत्नी बन कर ही इस घर में रहूंगी। पर ऐसा करने से पहले मुझे अपनी गृहस्ती का सामान भी इकट्ठा करना होगा। ऐसा कीजिए बाजार चले जाइए और एक चक्की खरीद लाइए मैं अपने हाथों से आटा पीस कर उससे आपका भोजन तैयार किया करूंगी।
इतनी कहानी सुना कर गंगाराम पटेल ने कुछ क्षण के लिए विराम लिया। हुक्के के दो तीन घूंट लगाए और बोला बुलाखी स्त्री जात बहुत विचित्र होती है। त्रिया चरित्र के बारे में अनेक कहावतें कहीं और सुनी जाती हैं। कहते हैं कि जब इसका भेद ब्रह्मा ने भी नहीं पाया तो आदमी की क्या औकात !
रामू उसकी बातों में आ गया। और उसी समय चक्की लाने के लिए बाजार को चल पड़ा।
जब उस युवती को यह यकीन हो गया कि अब रामू काफी दूर चला गया है। तो उसने उठकर अंदर का कुंडा बंद कर लिया चलती हुई वह रामू की मां के करीब आई और किसी चीते की तरह तेजी से उस पर झपट पड़ी, उसने उसे काबू में किया और उसके हाथ पांव और मुंह पर कपड़ा बांधकर उसे एक कोने में पटक दिया अब उसने पूरे घर को खंगालना शुरू किया। घर की सभी मूल्यवान चीजें जैसे जेवर रूपए पैसे आदि खोज खोज कर एक बड़े से थैले में भर लिए अपना जनाना (स्त्री) लिबास उतारा और रामू के कीमती मर्दाना कपड़े पहन लिए फिर उसने थैला उठाया और उसे घोड़े की पीठ पर रख लिया। वह घोड़े पर बैठी और उस पर सवार होकर बाहर चली गई रामू की मां उसे जाते हुए देख कर कुटूर-कुटूर ताकती रह गई चोर के ऊपर मोर पड़ गया था।
युवती मर्दानी वेश में घोड़े पर सवार होकर बाजार पहुंची जल्द ही उसे रामू दिखाई दे गया। जो चक्की के दोनों पाटो को एक लकड़ी के डंडे में फंसा कर उसे घसीटा हुआ ला रहा था युवती उसके पास जा रुकी और कड़क कर कहा अरे हरामखोर यह क्या कर रहा है। इस चक्की के पाटों को सड़क पर घसीट कर राजकीय सड़क को खराब कर रहा है। ऐसा कहकर उसने तीन चार हंटर रामू की पीठ पर जमा दिए हंटर की मार खाकर रामू कराह उठा और बार-बार हाथ जोड़कर उससे माफी मांगने लगा उसने युवती को बिल्कुल भी नहीं पहचाना था। मर्दाने वेश में वह उसे कोई बहुत बड़ा सरकारी अफसर ही समझ रहा था। युवती को शायद उस पर रहम आ गया था। इसलिए उसने हंटर समेटा और घोड़े को दौड़ आती हुई एक दिशा में चली गई।
अपनी कहानी को विराम देते हुए गंगाराम पटेल बोले बुलाखी आज शाम सड़क पर जो नजारा तू देख कर आया था..!
पीटने वाला वह शख्स रामू ही था। और हंटर वाली वह युवती जिसे वह अपनी पत्नी बनाने के लिए अपने घर लाया था। अब रात भी बहुत हो गई और तेरे प्रश्न का उत्तर भी तुझे मिल गया है।
इसलिए अब आराम से सो मेरी आंखों में भी गहरी नींद गहराने लगी है। और फिर अगली सुबह की यात्रा भी तो करनी है।
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