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गुरु पूर्णिमा-
गुरु एक ऐसा मार्गदर्शक होता है जिसकी आवश्यकता हर व्यक्ति को हर क्षेत्र में पढ़ती है। संसार में लगभग ऐसा कोई काम या क्षेत्र नहीं है जहां बिना गुरु की किसी को भी सफलता मिली हो। हर किसी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती ही है। दरअसल गुरु शब्द का मतलब ही होता है अंधकार को दूर करने वाला आइए इसे कुछ इस तरह समझते हैं कि-
गुरु-
'गु' शब्द का अर्थ है अंधकार और
'रू' शब्द का अर्थ होता है दूर करने वाला
कब आती है गुरु पूर्णिमा -
गुरु पूर्णिमा का यह दिन हर साल आषाढ़ महीने में, जून से जुलाई के बीच पढ़ने वाली पूर्णिमा के दिन आता है।
विश्व विख्यात महाकाव्य महाभारत के लेखक ऋषि वेदव्यास जी को सम्मानित करने के लिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
इस साल 2022 में गुरु पूर्णिमा बुधवार 13 जुलाई को होगी।
गुरु का महत्व -
व्यक्ति के जीवन में गुरु के महत्व का अंदाजा सिर्फ इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हमारे वेदों पुराणों में गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर बताया गया है।
माता पिता भी अपने बच्चों को जो शिक्षा देने में असमर्थ होते हैं, वह शिक्षा उन्हें गुरु द्वारा मिलती है गुरु ही हैं जो मनुष्य को सद्बुद्धि देते हैं, सत्य का मार्ग दिखाते हैं। सफलता के रास्ते में बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। अगर सीधे शब्दों में कहने की कोशिश की जाए तो गुरु के बिना एक मनुष्य का जीवन शून्य कि भी होता है।
गुरु की छवि केवल छात्रों के जीवन में ही नहीं बल्कि लगभग हर क्षेत्र में गुरु का महत्व एक समान होता है। अध्यात्म के रास्ते पर भी एक गुरु ही है जो अपने शिष्य को सही रास्ता दिखाता है साथ ही साथ तंत्र आदि के क्षेत्र में भी एक गुरु की शिक्षा और दीक्षा के बिना कोई भी शिष्य सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता।
गुरु पूर्णिमा संबंधित मान्यताएं -
गुरु पूर्णिमा पर्व की शुरू होने संबंधी दो मान्यताएं जनमानस में प्रचलित है।
हिंदू धर्म में माना जाता है कि संसार और मानव जाति की भलाई के लिए स्वयं भगवान शिव ने इस दिन अपने भक्तों को ज्ञान दिया था।
वहीं दूसरी तरफ एक अन्य मान्यता भी है जिसके अनुसार इस दिन बौद्ध धर्म के गुरु व संस्थापक महात्मा बुद्ध द्वारा गुरु पूर्णिमा की शुरुआत की गई थी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को अन्य सभी ग्रहों का गुरु माना जाता है। और इसी कारण आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा को बृहस्पति से जोड़कर देखा जाता है।
गुरु पूर्णिमा कैसे मनाते है -
गुरु पूर्णिमा के दिन कॉलेज, आश्रम, स्कूल आदि में लेख भाषण प्रतियोगिता चित्रकला नाटक का आयोजन किया जाता है जो पूर्णता गुरु के सम्मान में समर्पित होते है।
दूसरी तरफ आध्यात्म या तंत्र विद्या को समर्पित लोग आज के दिन अपने गुरु को ईश्वर के समान मैं कर पूरे विधि विधान से पूजते है और उनसे आशीर्वाद की कामना करते है।
उपसंहार -
ऐसा माना जाता है कि गुरु की कृपा पा कर ही शिष्य ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। शिष्य गुरु के लिए कच्ची मिट्टी के समान होता है। जिसे गुरु जैसा चाहे रूप दे सकता
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